विश्व रेबीज़ दिवस : जशपुर में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को किया जागरूक, रेबीज के खतरे से बचाव के लिए दिए गए उपाय, जन-जागरूकता रैली का हुआ आयोजन

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समदर्शी न्यूज़ जशपुर, 28 सितंबर/ स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिला जशपुर में विश्व रेबीज दिवस के उपलक्ष्य मे आज रेबीज से लोगो को जागरूक करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग के साथ जशपुर नगर में जनजागरूकता रैली का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जी. एस. जात्रा, जिला कार्यक्रम गनपत कुमार नायक, जिला महामारी विशेषज्ञ सत्येंद्र यादव एवं स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों ने अपनी सहभागीता सुनिश्चित करते हुए लोगों को जानवरों के काटने उपरान्त रेबीज का टीका लगाने हेतु प्रेरित किया।

महामारी विशेषज्ञ एवं पब्लिक हेल्थ सलाहकार ने बताया की अगर आपको किसी भी जानवर द्वारा दांतो से काटा गया गया है, दांत या नाखून से स्क्रेच या किसी भी प्रकार का घाव लग गया है तो तुरंत उपचार करवाएं। ऐसे में रेबीज़ वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है जोकि जानलेवा हो सकता है। छत्तीसगढ़ में मृत्यु दर 3% से भी अधिक है। रेबीज़ बीमारी कुत्तों के काटने से सबसे अधिक होता है लगभग 97% बाकि 3% बिल्ली , बंदरों या अन्य जानवरो के काटने से होता है।

क्यों है खतरनाक रेबीज़

जानवरो के काटने का बाद वायरस डैमेज हुए त्वचा के तांत्रिक कोशिकाओं के माध्यम से दिमाग तक पहुंचता है और अपना असर दिखाता है। एक बार अगर लक्षण आ गए तो मरीज का बचना असंभव है। इसलिए यह रोग बहुत घातक माना जाता है।

क्या है लक्षण

संक्रमित जानवर के काटने के 30 दिनों से 90 दिनों या अधिकतम 6 वर्ष के अंदर भी मरीज में लक्षण दिखाई दे सकते है ।

1. हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना)

२. फोटो फोबिया ( प्रकाश से डर)

3. एयरोफोबिया (हवा से डर)

क्यों आवश्यक है टीका- एंटी रेबीज़ वैक्सीन

संक्रमित जानवर से संपर्क में आने के बाद यदि लक्षण दिख गए तो इलाज संभव नहीं, इसलिए बचाव के रूप में एंटी रेबीज़ वैक्सीन लगाना बेहद आवश्यक है ।

आजकल उपलब्ध टीका अत्यंत सुरक्षित है तथा शासकीय चिकित्सालय में निःशुल्क उपलब्ध रहता है । पहले लगने वाले 14 इंजेक्शनों के बजाय आजकल मांसपेशियों में लगने वाला 5 टीका जिसे 0, 3,7,14 और 28वें दिन लगाया जाता है अथवा त्वचा में लगने वाला 4 टीका जिसे 0, 3, 7 और 28वें दिन लगाया जाता है, पूर्णतः सुरक्षित है।

जानवरो द्वारा काटने के बाद क्या करे

तुरंत कटे हुए जगह को साबुन या डिटर्जेंट या एंटीसेप्टिक से बहते हुए पानी से धोएं और चिकित्सक के पास टीकाकरण हेतु पहुंचे। डॉक्टर द्वारा घाव को देखकर निर्णय लिया जाएगा की घाव कौन सी कैटेगरी का है।

कैटेगरी I अंतर्गत जानवरो को छूना सहलाना प्यार करना भोजन देना बिना कटे त्वचा को चाटना आदि शामिल है, इसमें केवल संबंधित भाग को एंटीसेप्टिक से धोएं, टीका की आवश्यकता नहीं होती।

कैटेगरी II अंतर्गत त्वचा में दांत या नाखून द्वारा खरोच, कुतरना, कट जाना, नोचना आता है इसमें घाव को धोकर पूरे डोज टीके की आवश्यकता होती है ।

कैटेगरी III में जानवर द्वारा गहराई से काटना जिसमे घाव से अधिक रक्तस्राव हो रहा हो आता है। इसमें घाव को धोकर पूरे डोज टीके के साथ इम्यूनोग्लोबुलिन सीरम की जरूरत होती है । सीरम 24 घंटे के भीतर लगाना चाहिए या अनुपलब्धता में अधिकतम 7 दिनों के भीतर।

जानवरो को भी टीकाकृत करे

पालतू और आवारा पशुओं को भी एंटी रेबीज़ टीका लगाया जाना चाहिए जिससे संक्रमण से बचाव हो सके।

स्वास्थ्य एवं पशुपालन विभाग के समन्वय से यह कार्य किया जा रहा है।

जानवरो द्वारा काटने/रेबीज़ से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप 9907539674 पर कॉल कर सकते है।

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