क्या आप जानते हैं ? कोसा कीटपालन से सालाना एक लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है ? जशपुर की एक महिला, एक सपना और कोसा का कीड़ा, पढ़ें बसंती मिंज की कहानी.

जशपुर 15 अक्टूबर/ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के सार्थक प्रयास कर रहे हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुनकुरी विकासखंड में ग्राम बोडाटांगरी को शासकीस टसर विस्तार केन्द्र  वर्ष-2001-02 स्थापित किया गया है।

रेशम विभाग के द्वारा शासकीस टसर विस्तार केन्द्र बोडाटांगरी अन्तर्गत 20 हेक्टयर वनभूमि में साजा, अर्जुना पौधरोपण कराया गया है। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इसी ग्राम के 20 हितग्राही टसर कीट पालन कर अपना स्थिति सुधार कर अच्छा आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।  वर्ष 2023-24 में ग्राम बोडाटोंगरीं सी.एस.बी. मधुपुर जिला देवघर (झारखण्ड) के द्वारा यहाँ के हितग्राहियों को अच्छे स्व.डिम्ब समूह प्रदाय किया जाता है जिससे यहाँ के हितग्राहियों को अच्छा आमदनी तथा उत्पादन भी भारी मात्रा में होता है। आदिवासियों के उत्थान एवं रोजगार मूलक कार्य हेतु रेशम उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया है। जिससे जुडकर आज एक अच्छी जिन्दगी जी रहे है।

कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल मार्गदर्शन एवं जिला पंचायत सीईओ श्री अभिषेक कुमार के दिशा-निर्देश में ग्राम बोड़ाटोगरी के निवासी श्रीमती बसंती मिंज द्वारा कोसा पालन कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोसा उत्पादन कार्य में सतुष्ट है एवं गरीब परिस्थिति व पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपना सपना पूरा नहीं कर पाते थे छोटी-मोटी जरूरतों पर दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता था, कृषि भूमि भी कम होने के कारण अनाज का भी उत्पादन ज्यादा नहीं हो पाता था। परन्तु रेशम विभाग से जुड़कर उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई है खेती किसानी के अलावा अतिरिक्त आय अर्जित कर पाते हैं। बंसती ने बताया कि उनकी वार्षिक आय लगभग 01 लाख तक हो जाती है। जिससे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिला रहे तथा अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा कर पा रही है।

उन्होने बताया कि रेशम विभाग अधिकारी द्वारा रोजगार हेतु अथक प्रयास कर उन्नत किस्म के स्व.डिम्ब समूह प्रदाय करते है। ताकि हमारी आमदनी अधिक से अधिक हो तथा आर्थिक स्थिति पर सुधार हो सके और जिस प्रकार से विभाग की पहल से हमारे जैसे दूरवर्ती क्षेत्र में बसे लोगों तक शासन का योजना का लाभ पहुंचा रहे हैं निश्वित तौर पर आने वाले पीडियों को रोजगार हेतु किसी अन्यत्र राज्य में पलायन नहीं करना पडे़गा। स्वरोजगार का माध्यम रेशम विभाग से बेहतर कोई नही होगा।

सहायक संचालक रेशम जशपुर श्री श्याम कुमार ने बताया कि जिले के सभी कोसा कृमिपालक को अच्छी आमदनी हो सके इसके लिए विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किया जाता है। इसके लिए अन्य राज्यों से अण्डे मंगाकर वितरण किया गया है। वर्तमान में इस पहल से जिले के सभी कृमिपालकों को अच्छी उन्नत कोसा बीज अन्य राज्यों से मंगाकर लगभग 1 लाख डीएफएल्स वितरण कराया गया है। जिससे लगभग 60-70 लाख कोसा उत्पादन होने की सम्भावना है। इससे कृमिपालको का रुझान और भी बढ़ती नजर आ रही है।

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