‘पीडियाट्रिक टीबी’ विषय पर एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन : टीबी जांच के लिये गैस्ट्रिक एस्पीरेट तकनीकी प्रक्रिया के बारे में किया प्रशिक्षित.

‘पीडियाट्रिक टीबी’ विषय पर एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन : टीबी जांच के लिये गैस्ट्रिक एस्पीरेट तकनीकी प्रक्रिया के बारे में किया प्रशिक्षित.

December 2, 2024 Off By Samdarshi News

जगदलपुर : बस्तर को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिये स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इसी दिशा में लेप्रा सोसाइटी (साथी) पार्टनर के द्वारा, जिला टीबी सेल के सहयोग से महारानी अस्पताल के गुण्डाधुर सभागार में, पीडियाट्रिक टीबी विषय पर एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण (टीओटी) का आयोजन किया गया।

सीएमएचओ डॉ. संजय बसाख ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया, “छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग होने की जरूरत है, श्वसन सम्बन्धी गम्भीर रोगों में शामिल टीबी, एक संक्रामक रोग है। इसका खतरा बच्चों में भी बढ़ रहा है, आज आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तरीय संस्थाओं और निजी स्वास्थ्य संस्थाओ में प्रीजम्टीव पीडियाट्रिक टीबी की पहचान व गाइडलाइन के अनुरूप चिकित्सीय उपचार सुनिश्चित कराना है।

मुख्य प्रशिक्षक के रूप में जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. सी.आर.मैत्री ने सभी प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा और टीबी उन्मूलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया, बच्चों में टीबी के रोग को रोकने के लिए समाज में जागरुकता लानी होगी। बच्चों की टीबी में सबसे प्रमुख लक्षण खांसी, भूख में कमी, वजन का कम होना है। माता-पिता इन्हें कोई सामान्य समस्या मान कर नजर अंदाज न करें।

मुख्य प्रशिक्षक डॉ. राजेन्द्र ने सभी प्रतिभागियों को गैस्ट्रिक एस्पीरेट, इंडयूस्ड स्प्युटम की तकनीकी प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया, अगर बच्चों को खांसी है और 14 दिनों से ज्यादा समय तक बनी हुई है, साथ ही बुखार भी नहीं उतर रहा है, तो ये लंग्स वाली टीबी के लक्षण हैं।

मुख्य प्रशिक्षक व मेडिकल कॉलेज डिमरापाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डी.आर.मण्डावी ने बताया, क्षय रोग (टीबी) एक दीर्घकालिक जीवाणु संक्रमण है जो आमतौर पर फेफड़ों को संक्रमित करता है, टीबी मुख्य रूप से वायु जनित बीमारी है। सही देखभाल और उपचार से टीबी का इलाज संभव है। इसके बारे में समय पर पता चल जाने से उपचार के सफल होने की सम्भावना अधिक रहती है।

प्रभावित बच्चे की उम्र के आधार पर टीबी के विभिन्न लक्षण दिख सकते हैं। सक्रिय टीबी के सबसे आम लक्षण बुखार, अनपेक्षित वजन घटना, सही से विकास ना हो पाना, रात में पसीना आना, खांसी होना, ग्रंथियों में सूजन आना, ठंड लगना। इसके अलावा किशोरों में टीबी होने पर खांसी जो तीन सप्ताह से अधिक समय तक रहती है, सीने में दर्द, थूक में खून आना, कमजोरी और थकान, ग्रंथियों में सूजन, भूख में कमी, बुखार और ठंड लगना या रात को पसीना आना शामिल है।

इस एक दिवसीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीएमएचओ डॉ. संजय बसाख, सिविल सर्जन डॉ. संजय प्रसाद, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रीना लक्ष्मी, डब्लूएचओ से सलाहकार डॉ. मनीष मसीह, राज्य तकनीकी प्रबंधक (लेप्रा सोसायटी) डॉ. अभिलाषा शर्मा, स्टेट नर्स मेंटर (लेप्रा सोसायटी) संजय चौधरी, सहित समस्त ब्लॉक के बीएमओ, स्टॉफ नर्स, निजी चिकित्सालय के शिशु रोग डॉक्टर व जिला लेप्रा सोसायटी से जिला परियोजना प्रबन्धक डॉ. प्रेम प्रकाश आनंद, जिला परियोजना समन्वयक प्रसन्न खाण्डे, जिला नर्स मेंटर दीपक राठौर व एसीएफ भूषण सोन उपस्थित रहे।