
मेडिसिन अपडेट 2025 में जुटे नामी मेडिसिन विशेषज्ञ, चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे नये अद्यतन (अपडेट) को किया साझा
March 1, 2025भविष्य में चिकित्सा जगत में उन्नत प्रौद्योगिकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये रोगी देखभाल (पेशेंट केयर) पर हुई चर्चा
रायपुर. 01 मार्च 2025// पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर में मेडिसिन विभाग द्वारा वार्षिक राज्य स्तरीय सम्मेलन मेडिसिन अपडेट 2025 का आयोजन महाविद्यालय परिसर स्थित स्व. अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में शनिवार को सफलतापूर्वक किया गया। इस सम्मेलन में राज्यभर के मेडिसिन विभाग के नामी चिकित्सकों ने जुटकर चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे नये अपडेट को साझा किया। मेडिसिन अपडेट 2025 का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. जी. बी. गुप्ता (पूर्व कुलपति आयुष विवि), विशिष्ट अतिथि डॉ. शशांक गुप्ता (पूर्व विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग नेहरू चि. महाविद्यालय), डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. विवेक चौधरी, अम्बेडकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर एवं आयोजन अध्यक्ष तथा विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. डी. पी. लकड़ा की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीन डॉ. विवेक चौधरी ने कहा कि यह कार्यक्रम चिकित्सा के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति पर चर्चा करने के लिए अग्रणी विशेषज्ञों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को एक साथ लेकर आया है। अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने कहा कि यह सभी चिकित्सकों के लिए चिकित्सा जगत में भविष्य की चुनौतियों के साथ-साथ अवसरों पर चर्चा करने का एक शानदार अवसर है। वहीं डॉ. डी. पी. लकड़ा ने मेडिसिन अपडेट 2025 को स्नातकोत्तर चिकित्सा छात्रों के लिए बेहद उपयोगी बताते हुए कहा कि आयोजन समिति ने सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी लोगों के लिए, सीखने के अवसर प्रदान करने हेतु बहुत प्रयास किए हैं। यहां मेडिसिन के बहुविशेषज्ञता के क्षेत्र जैसे – कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, न्यूरोलॉजी तथा रूमेटोलॉजी के विशेषज्ञ शामिल हुए हैं। इन विशेषज्ञों द्वारा दी गई विशेषज्ञता की सूक्ष्म एवं गहन जानकारियों से सभी को मेडिसिन के क्षेत्र में कुछ नया सीखने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
कार्यक्रम के वैज्ञानिक सत्र को संबोधित करते हुए एम्स रायपुर के रूमेटोलॉजिस्ट डॉ. जॉयदीप सामंत ने रुमेटी (गठिया) के प्रति दृष्टिकोण एवं इसके प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। एनएच. एमएमआई हॉस्पिटल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एच. पी. सिन्हा ने मस्तिष्क शिरा घनास्त्रता (सेरेब्रल वेनस थ्रोम्बोसिस/सीवीटी) वाले रोगी के प्रति दृष्टिकोण और इसके प्रबंधन पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सीवीटी दुर्लभ बीमारी नहीं है, यह अधिकतर युवा रोगियों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में कई बार अचानक शुरू होने वाले गंभीर सिरदर्द, सिरदर्द शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर दौरे, उसके बाद हेमिपेरेसिस या दृश्य हानि हो सकती है। इसके रोगकारकों में मस्तिष्क की नसों के बंद होने से मस्तिष्क में स्थानीय सूजन एवं रक्तस्त्राव हो सकते हैं। साइनस थ्रोम्बोसिस से पीड़ित लगभग पांचवें मरीज में केवल इंट्राक्रैनियल उच्च रक्तचाप होता है तथा कॉर्टिकल वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण नहीं होते। डॉ. सिन्हा ने सीवीटी के लिए एंटीकोएगुलेशन अनफ्रैक्शनेटेड हेपरिन, वारफेरिन, एसीनोकौमारोल इत्यादि को कब और कितने दिनों तक देना चाहिए, इस पर प्रकाश डाला। बढ़े हुए अंतः कपालीय दबाव के लिए चिकित्सा उपचार में आसमाटिक थेरेपी और हाइपरवेंटिलेशन की जानकारी दी।
एम्स रायपुर के जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. विनय आर. पंडित ने मधुमेह में हृदय विफलता के प्रबंधन पर व्याख्यान देते हुए बताया कि एचएफआरईएफ और मधुमेह के रोगियों में हार्ट फेल्योर और मृत्यु के जोखिम को कम करने के लिए बीटा ब्लॉकर्स दिया जा सकता है। मधुमेहरोधी दवाओं जैसे – मेटफॉर्मिन, सल्फोनिलयूरिया, इंसुलिन, एसजीएलटी21 और थियाज़ोलिडीनडायनस का कार्डियोवैस्कुलर और हार्ट फेल्योर परिणामों पर प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने डीकेडी (डायबिटीक किडनी डिजीज)-शीघ्र निदान और शीघ्र हस्तक्षेप (इंटरवेंशन) विषय पर वैज्ञानिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रारंभिक चरण के सीकेडी प्रबंधन को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। यदि उचित तरीके से प्रबंधित किया जाए तो इसकी गति को धीमा या रोका जा सकता है। एमआर अतिसक्रियता के साथ सूजन और फाइब्रोसिस सीकेडी की वृद्धि में योगदान देता है, इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। अब फाइनरेनोन को वैकल्पिक औषधि के बजाय सी. वी. और किडनी की सुरक्षा के लिए अन्य औषधियों के साथ लेने की सलाह (रिकंमडेड) दी जाती है।
अपर (ऊपरी) जीआई रक्तस्राव का प्रबंधन विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए इंटरवेंशनल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (सुयश हॉस्पिटल) डॉ. मनोज लाहोटी ने बताया कि जीआई ब्लीडिंग प्रतिवर्ष, प्रति 100,000 लोगों में 150 को प्रभावित करता है। एंडोस्कोपी ने जीआई के निदान और चिकित्सा में क्रांति ला दी है। यह रक्तस्राव के स्रोत की पहचान करता है और तत्काल उपचार को सफल बनाता है। जीआई रक्तस्त्राव के लिए एंडोस्कोपिक डॉपलर जांच, एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड सहायक हैं और इसके उपचार के लिए यांत्रिक, थर्मल, इंजेक्शन और और हेमोस्टेटिक पाउडर या जेल (GEL) सुविधा उपलब्ध है। ईबीवी संक्रमण के दीर्घकालिक परिणाम पर वैज्ञानिक सत्र को विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग डॉ. डी. पी. लकड़ा ने संबोधित किया और इसके जांच एवं निदान के तरीके बताये।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यशाला में हैदराबाद के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. अतुल हर्ष हिरानी, मुम्बई के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. आलोक डी. मोदी, इंदौर के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. भरत साबू मुख्य वक्ता रहे। संचार क्रांति के क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी एआई पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने बताया कि आने वाले समय में बीमारियों की जांच और निदान में एआई से काफी मदद मिलेगी। भविष्य में अलग-अलग एआई सिस्टम और एप्लीकेशन को हेल्थ केयर फैसिलिटी के सुधार में उपयोग किया जा सकेगा।
डॉ. वेणुगोपाल मार्गेकर एवं डॉ. अंकित शर्मा मेड मेनिया प्रश्नोत्तरी के क्विज मॉडरेटर रहे। पीजी रेजिडेंट द्वारा दी गई मौखिक प्रस्तुति में डॉ. ऋचा भारद्वाज एवं डॉ. सेजल बाफना मॉडरेटर रहे। डॉ. अरविंद नेरल, विभागाध्यक्ष पैथोलॉजी विभाग एवं डॉ. निधि पांडे, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया। सम्मेलन में बैच 2020 और 2022 के अकादमिक उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार वितरण किया गया।
मेडिसिन अपडेट में मेडिसिन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. आर. एल. खरे, डॉ. वाई मल्होत्रा, डॉ. आर. के. पटेल, डॉ. अर्चना टोप्पो, डॉ. एम. पाटिल, डॉ. प्राची दुबे, डॉ. एच. वर्मा, डॉ. नेमेश साहू, डॉ. सुजय त्रिवेदी, डॉ. अनुषा चौहान, डॉ. ज्योति बंजारे, एवं डॉ. वेदब्यास चौधरी उपस्थित रहे। वहीं रेसीडेंट डॉ. शीरिन श्रीवास्तव, डॉ. धवानील पटेल, डॉ. वासु कन्नौजे, डॉ. मंसिज मिरे, डॉ. मोनिका माधव, डॉ. आकाश कौशिक, डॉ. पुकेश्वर वर्मा, डॉ. बलविंदर सिंह, डॉ. भूपेन्द्र जंघेल, डॉ. अस्मिता श्रीवास्तव, डॉ. रजतदीप सिंह, डॉ. राकेश सिंह, डॉ. शरद बाबू वी. एस., डॉ. अनमोल अग्रवाल, डॉ. भेदराज चौधरी, डॉ. विकास कुमार एवं डॉ. खुशबू कुमारी ने सम्मेलन के सफलतापूर्वक आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में शामिल सभी चिकित्सकों के प्रति आभार प्रदर्शन डॉ. एस. चंद्रवंशी ने किया।