पानी के नीचे छिपा खतरा! जशपुर में भूजल प्रदूषण और बोरवेल धंसने की घटनाओं पर प्रशासन सख्त, शुरू हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

पानी के नीचे छिपा खतरा! जशपुर में भूजल प्रदूषण और बोरवेल धंसने की घटनाओं पर प्रशासन सख्त, शुरू हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

March 29, 2025 Off By Samdarshi News

कलेक्टर की अध्यक्षता में भूजल प्रबंधन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

जशपुर जिले में वर्षा जल संचयन समय की आवश्यकता- डॉ.नायक

जशपुर, 29 मार्च 2025/ कलेक्टर रोहित व्यास की अध्यक्षता में जिले में भूजल प्रबंधन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला पंचायत के बैठक कक्ष में आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार उपस्थित थे। कार्यक्रम में कलेक्टर ने भूजल से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा की और विभिन्न विभागों के बीच समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने फ्लोराइड प्रदूषण और कई गांवों में बोरवेल धंसने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।

क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रबिर के. नायक ने जशपुर जिले में भूजल के सतत विकास पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया, जिसमें जिले के वर्तमान भूजल परिदृश्य और इसके सतत उपयोग की रणनीतियों पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने जशपुर जिले में वर्षा जल संचयन पर जोर दिया, जिससे भूजल पुनर्भरण और जल संकट की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, उन्होंने वर्षा जल संचयन मॉडलका प्रदर्शन किया, जिसमें जल संरक्षण के व्यावहारिक उपाय प्रस्तुत किए गए।

जिला पंचायत सीईओ अभिषेक कुमार ने जल संरक्षण और प्रबंधनके विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया। इस अवसर परमिशन लाइफ पोस्टर उन्हें सौंपा गया, जिससे जल प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया गया। कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ शामिल थीं, जिनमें कुनकुरी ब्लॉक में भूजल नाक्विम के निष्कर्षों पर शुभम प्रकाश दास वैज्ञानिक-बी का व्याख्यान और सुमन भारती वैज्ञानिक-बी द्वारा भू भौतिकीय प्रदर्शन शामिल था। इसके अलावा, कमल किशोर साहू ने जल स्रोतों और पुनर्भरण संरचनाओं की पहचान के लिए जीआईएस के उपयोग पर व्याख्यान दिया, जब कि सहायक हाइड्रोजियोलॉजिस्ट सर्वाेदय बारिक ने छत वर्षा जल संचयन तकनीकों पर जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम के दौरान कंदोरा, अंबाटोली, बेने, धूमाडांड, मायाली, सिरिटोली सहित 13 गांवों में फ्लोराइड प्रदूषण की समस्या प्रस्तुत की गई। साथ ही जोकारी और गडाकटा गांवों में बोरवेल धंसने की घटनाओं पर चर्चा की गई, जो कमजोर चिकनी मिट्टी संरचना के कारण हो रही हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जल संसाधन विभाग, कृषि, पीएचई, एनआरएलएम, पीएमकेएसवाई, सरपंचों सहित विभिन्न विभागों के 95 अधिकारियोंने भाग लिया। कार्यक्रम के समापन परप्रतिभागियों ने भूजल संरक्षण और प्रबंधन के व्यावहारिक समाधानों पर चर्चा की और अपने सुझाव साझा किए।

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