संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को जनादेश का सम्मान करना चाहिये, भाजपा स्पष्ट करे वह छत्तीसगढ़िया कुलपति की मांग से सहमत है अथवा असहमत-कांग्रेस

संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को जनादेश का सम्मान करना चाहिये, भाजपा स्पष्ट करे वह छत्तीसगढ़िया कुलपति की मांग से सहमत है अथवा असहमत-कांग्रेस

February 19, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और कर्मचारियों द्वारा स्थानीय कुलपति के नियुक्ति की मांग पर भारतीय जनता पार्टी अपना मत स्पष्ट करे। वह छत्तीसगढ़िया कुलपति की मांग से सहमत है अथवा नहीं? छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में छत्तीसगढ़िया कुलपति के मामले में भाजपा का मौन स्पष्ट कर रहा है कि वह राज्य में छत्तीसगढ़ के प्रतिभाओं के साथ हो रहे अन्याय की समर्थक है तथा अपनी विचारधारा के लोगों की नियुक्ति के लिये छत्तीसगढ़ के लोगों की अनदेखी कर रही है। छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हमारे प्रोफेसर, रिचर्स स्कालर, वैज्ञानिक, विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में देश-विदेश में अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवा चुके है। ऐसे में अपने ही राज्य में कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपने राज्य की प्रतिभाओं की अनदेखी किया जाना अनुचित और अस्वीकार्य है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कुलपतियों की पिछली कुछ नियुक्तियों में जो प्रक्रिया अपनाई गई जिन लोगों की नियुक्तियां हुई उससे एक बात स्पष्ट हुई कि कुलपतियों के चयन में विचारधारा विशेष से प्रभावित व्यक्तियों को ही नियुक्त किया गया, इससे छत्तीसगढ़ की प्रतिभाओं की उपेक्षा के साथ राजभवन की मर्यादा भी आहत हुई है। राजभवन दल विशेष के एजेंडे का पैरोकार है ऐसा संदेश जनता में नहीं जाना चाहिये। इससे संवैधानिक पद की मर्यादायें आहत होती है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कुलपति की नियुक्ति का विशेषाधिकार राजभवन के पास है लेकिन यह भी मान्य परंपरा है कि राजभवन राज्य सरकार की अनुशंसा पर निर्णय लेता है। प्रजातंत्र में संविधान ने विधायिका और मंत्रिमंडल को कानून बनाने और उनके क्रियान्वयन का अधिकार दिया गया है। लोकतंत्र में जनादेश सर्वोपरि है। संवैधानिक पद पर मनोनीत व्यक्ति उनको जनादेश का सम्मान करना चाहिये तथा अधिकारों का उपयोग संविधान की निहित मंशा के अनुरूप करना चाहिए ताकि जनादेश का रंचमात्र भी अपमान नहीं हो।