बच्चों के संतुलित विकास हेतु आयोडीन युक्त नमक का सेवन जरूरी, आयोडीन अल्पता से हो सकते है कई गंभीर रोग, बंद डिब्बे में रखना चाहिए आयोडीन नमक

बच्चों के संतुलित विकास हेतु आयोडीन युक्त नमक का सेवन जरूरी, आयोडीन अल्पता से हो सकते है कई गंभीर रोग, बंद डिब्बे में रखना चाहिए आयोडीन नमक

February 21, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

आयोडीन मानव शरीर के संतुलित विकास के लिए अत्यंत आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है। पर्याप्त मात्रा में शरीर में आयोडीन न मिलने पर कई तरह के रोग होने की संभावना बनी रहती है । विशेषकर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं में आयोडीन की कमी घातक होती है। समाज में सही जानकारी के अभाव के कारण आयोडीन अल्पता विकार एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन जाता है। वर्ष 2020-21 में हुए एनएचएफएस एंड 5 के सर्वे अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 99 प्रतिशत एवं शहरी क्षेत्रों में 98.3 प्रतिशत इस तरह कुल 98.5 प्रतिशत लोगों द्वारा राज्य में आयोडीन नमक का उपयोग किया जा रहा है।

राज्य नोडल अधिकारी आयोडीन अल्पता कार्यक्रम डॉक्टर कमलेश जैन ने बताया कि आयोडीन युक्त नमक एवं खाद्य पदार्थों के सेवन के प्रति लोगों में जागरूकता बेहद जरूरी है। घर में आयोडीन नमक हमेशा एअर टाईट बंद डब्बे में रखना चाहिए व उपयोग के बाद डब्बे के ढ़क्कन को अच्छी तरह से बंद करना चाहिए जिससे की नमक में मौजूद आयोडीन हवा में वाष्पीकरण न हो जाए उन्होंने बताया की नमक का उपयोग खाना बनाते समय सीधे पहले से न करें ,खाना बनाने के बाद सब्जी, दाल आदि में नमक का उपयोग करना चाहिए, जिससे की आयोडीन का उपयोग मानक मात्रा अनुसार शरीर में हो सकेगा। आयोडीन की कमी का सर्वाधिक असर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को होता है । गर्भवती माताओं में  आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवजात शिशु का वजन कम होना, शिशु का मृत पैदा होना और जन्म लेने के बाद शिशु की मृत्यु होना आदि होते हैं। शिशु में आयोडीन की कमी से बौद्धिक और शारीरिक विकास समस्याएं जैसे मस्तिष्क का विकास धीमा होना, शरीर का कम विकसित होना, बौनापन, सुनने और बोलने की समस्या तथा समझ की कमी आदि समस्याएं होती है।

राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत पूर्व में राज्य के सभी जिलों में सर्वे पूर्ण किया गया है। राज्य के चयनित 4 जिले रायगढ़, सरगुजा, बिलासपुर एवं जशपुर में ग्वाइटर रिसर्वे का कार्य किया जा रहा है। उक्त सर्वे 6 से 12 वर्ष की स्कूली बच्चों के बीच किया जाएगा । 4 जिलों के 120 क्लस्टर/ ग्रामों के 10800 बच्चों का ग्वाइटर जांच किया जाएगा। जिसमें 2160 नमक के नमूने एवं 1080 यूरिन के नमूने जांच हेतु एकत्रित किए जाएंगे।

रायगढ़ में ग्वाइटर सर्वे प्रारंभ- रायगढ़ जिले में 21 फरवरी से राज्य आईडीडीसी संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ एवं जिला स्तर के नामांकित अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा ग्वाइटर सर्वे किया जा रहा है। आप अपने खाने के नमक की जांच मितानिन, हाट बाजार या हेल्थ वेलनेस सेंटर में करा सकते हैं। समाज में जागरुकता लाने के लिए व आयोडीन अल्पता विकार के गंभीर प्रभावों से बचाव के लिए प्रतिवर्ष  21 अक्टूबर  वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण हेतु प्रदेश में कई जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन समय समय पर किया जाता है।