नरवा विकास : वन क्षेत्रों में 30-40 मॉडल के 1.67 लाख संरचनाओं का निर्माण जारी, अब तक 4 हजार एकड़ भूमि उपचारित

February 23, 2022 Off By Samdarshi News

अनउपजाऊ तथा बंजर भूमि में 30-40 मॉडल है काफी फायदेमंद: वन मंत्री श्री अकबर

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

प्रदेश में कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना के अंतर्गत विगत 3 वर्षों के दौरान वनांचल में स्वीकृत 30-40 मॉडल के एक लाख 66 हजार 809 संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है। इनमें से अब तक पूर्ण हुए लगभग 01 लाख संरचनाओं से वनांचल के 4 हजार एकड़ भूमि का उपचार हो चुका है। इसके तहत 30-40 मॉडल के समस्त 1.67 लाख संरचनाओं के निर्माण से वनांचल के लगभग 7 हजार एकड़ अनउपजाऊ तथा बंजर भूमि को उपचार का लाभ मिलेगा।

नरवा विकास कार्यक्रम में कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2019-20 के अंतर्गत 30-40 मॉडल में कुल स्वीकृत 56126 संरचनाओं में से अब तक समस्त 56126 संरचनाओं का निर्माण पूर्ण हो चुका है। इसी तरह वार्षिक कार्ययोजना 2020-21 के अंतर्गत 30-40 मॉडल में कुल स्वीकृत 58 हजार 119 संरचनाओं में से अब तक 37 हजार 697 संरचनाओं का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। इसके अलावा कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 के अंतर्गत 30-40 मॉडल में कुल स्वीकृत 52 हजार 564 संरचनाओं में से अब तक 2 हजार 749 संरचनाओं का निर्माण पूर्ण हो चुका है।

नरवा विकास योजना में इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि यह संरचना वनांचल के लिए काफी उपयोगी है। इसके मद्देनजर उन्होंने राज्य के वनांचल स्थित उभरे भागों अथवा ढलान क्षेत्रों में 30-40 मॉडल के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता से शामिल करने के निर्देश दिए है। गौरतलब है कि नरवा विकास योजना के तहत बनाए जा रहे 30-40 मॉडल के बारे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वनबल प्रमुख श्री राकेश चतुर्वेदी तथा कैम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि वनांचल के जिन क्षेत्रों में मिट्टी की गहराई 0.60 मीटर तथा मुरमी मिट्टी, हल्की पथरीली भूमि, अनउपजाऊ भूमि, छोटे झाड़ों के वन और बंजर भूमि में यह मॉडल बहुत उपयुक्त है। इसके निर्माण से कुछ दिनों के पश्चात् उक्त क्षेत्रों की भूमि उपजाऊ होने लगती है। 30-40 मॉडल में वर्षा जल को छोटे-छोटे चौकोर आकार मेड़ों के माध्यम से एक 1.20 X 1.40 X 0.90 मीटर के गड्डे में भरते हैं और इसे श्रृंखला में बनाने से उक्त स्थल में नमी अतिरिक्त समय तक बनी रहती है। इस पद्धति में कार्य करने से वर्षा के जल को काफी देर तक रोका जा सकता है।