संभागायुक्त ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों से की चर्चा, आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर महिलाओं के जीवन में आया नया बिहान

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बिलासपुर

राज्य शासन की फ्लैगशीप योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण अपना भविष्य संवार रहे हैं। रोजगारमूलक गतिविधियों से जुड़कर महिलाओं की ऐसी खुशियां भी पूरी हो पा रही हैं, जो सामान्यतः विवाह जैसे बड़े मौकों पर पूरी हो पाती थी और उसके लिए भी अमूमन कर्ज का सहारा लेना पड़ता था। फ्लैगशीप योजनाओं के तहत समूह से जुड़कर महिलाओं के जीवन में नया बिहान आया है। आज रायगढ़ जिले की महिला स्व सहायता समूहों ने कुछ इसी प्रकार के विचार संभागायुक्त डॉ. अलंग से साझा किए।

संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग शासकीय योजनाओं की लगातार जमीनी समीक्षा कर रहे है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम डॉ. अलंग हितग्राहियों से उनके अनुभव सीधे सुन रहे हैं। विकासखण्ड बरमकेला के ग्राम हिर्री की ग्राम्यश्री स्व सहायता समूह की महिलाएं आज अपने पैरों पर खड़ी हैं। परिवार, समाज एवं राष्ट्रीय आय में भागीदार हैं। इस समूह में 10 महिलाएं कार्यरत है। एन.आर.एल.एम. के माध्यम से इन्हें आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती शारदा बाई ने संभागायुक्त डॉ. अलंग को बताया कि उनके समूह द्वारा पेवर ब्लॉक एवं सीमेंट पोल बनाने का कार्य किया जा रहा है। समूह ने अब तक 17 लाख से अधिक की आमदनी अर्जित की है। प्रत्येक सदस्य को व्यक्तिगत रूप से डेढ़ लाख से अधिक की आय मिल चुकी है।

इस बेहतरीन उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के हाथों उनका समूह सम्मानित भी हो चुका है। श्रीमती शारदा ने बताया कि इस आमदनी से उन्हें घर के खर्चाें में बराबर का सहयोग दिया, इसके अतिरिक्त राशि का सदुपयोग किस तरह हो सकता है। यह विचार आया, उन्होंने अपने लिए सोने के आभूषण खरीदें। वे कहती हैं कि यह हमेशा के लिए यादगार रहने वाली चीज होती है और स्त्रीधन होता है। इसकी कीमत भी हमेशा बढ़ती रहती है। खरिसया ब्लॉक के चपले ग्राम की उजाला स्व सहायता समूह की महिलाएं सैनेटरी पेड निर्माण कर रही है।

अध्यक्ष श्रीमती विमला पटेल ने बताया कि उनके समूह ने अब तक 15 हजार रूपए की सैनेटरी पैड की बिक्री की है। वे कहती हैं कि आत्मनिर्भर होने से खुशी मिलती है। परिवार एवं समाज में भी हमारा सम्मान बढ़ गया है। रायगढ़ विकासखण्ड के ग्राम भेलवाटिकरा की राधा महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं फ्लाई ऐश ईट निर्माण का काम करती है। अब तक उनके समूह को 5 लाख रूपए की आमदनी हो गई है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती सीता राठिया बताती है कि आत्मनिर्भर होने से उनके परिवार का जीवन स्तर सुधर गया है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में इस राशि का उपयोग कर रही है। परिवार के खर्चाें में सुदृढ़ता से मदद करने से आत्मविश्वास बढ़ गया है।

आत्मविश्वास और जज्बे की कुछ इसी प्रकार की कहानी सारंगढ़ विकासखण्ड के ग्राम लेंधा की रौशनी महिला स्व सहायता समूह की भी है। अध्यक्ष श्रीमती किरण कौसले ने बताया कि उनके समूह द्वारा सीमेंट पोल निर्माण का काम किया जा रहा है। प्रत्येक सदस्य को अब तक 22 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। श्रीमती कौसले ने बताया कि इस राशि को उन्होंने घर की मरम्मत में खर्च किया। सारंगगढ़ विकासखण्ड के ग्राम बटाऊपाली की श्रीमती चंपा बाई की कहानी भी बुलंद हौसलों की मिसाल है। मनरेगा के तहत श्रीमती चंपा बाई द्वारा  बकरी शेड का निर्माण कराया गया। प्रारंभ में उनके पास दो बकरी थी, आज उनके पास 26 बकरियां है। अब तक उन्हें इससे 65 हजार का मुनाफा हो चुका है। राज्य शासन की फ्लैगशीप योजनाओं से महिलाओं के जीवन में सकरात्मक बदलाव आया है। आर्थिक सुरक्षा हासिल होने से महिलाओं का मनोबल काफी बढ़ गया है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में डिप्टी कमिश्नर श्रीमती अर्चना मिश्रा, श्री अखिलेश साहू, रायगढ़ जिले से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री रवि मित्तल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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