जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि बढ़ाने की मांग का विरोध धरमलाल कौशिक और भाजपा के जनविरोधी चरित्र का प्रमाण है – सुरेंद्र वर्मा

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उत्पादक राज्यों को जीएसटी भारपाई पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सामूहिक प्रयास सराहनीय।

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का चरित्र छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया के आर्थिक हितों के खिलाफ है

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

जीएसटी लागू होने से उत्पादक राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई की अवधि बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा केंद्र सरकार और 17 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की टिप्पणी का कड़ा प्रतिवाद करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का चरित्र छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया के आर्थिक हितों के खिलाफ है। जब भी प्रदेश के हित और अधिकारों की मांग केंद्र के समक्ष रखनी होती है तब-तब भाजपा के नेता प्रदेश हित के बजाय मोदी सरकार के समक्ष अपना नंबर बढ़ाने तथ्यहीन, अनर्गल बयानबाजी करने से नहीं चूकते। संघीय व्यवस्था के तहत हमारा देश राज्यों का संघ है और राज्यों की आर्थिक व्यवस्था पर चोट करके समग्र विकास की कल्पना व्यर्थ है। कोरोना संकट से काफी पहले ही मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों और बिना तैयारी के त्रुटिपूर्ण जीएसटी लागू करने के चलते देश की आर्थिक हालत खस्ता हाल में पहुंच चुका था। कोविड काल से पहले ही जीएसटी की खामियों के चलते अर्थव्यवस्था के कैशफ्लो में 77% तक कमी आ चुकी थी। जीएसटी लागू होने के बाद उत्पादक राज्यों को बड़ा नुकसान हो रहा है। छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने सामूहिक प्रयास पर जोर देते हुए देश के 17 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति 10 वर्ष तक जारी रखने के लिए आग्रह किया जाए।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार ने राज्यों को आश्वासन दिया था कि हर वर्ष कम से कम 14% की वृद्धि हो जाएगी, इससे कम वृद्धि होने पर कमी की भरपाई अगले पांच वर्षों तक केंद्र सरकार के द्वारा किया जाएगा। जून 2022 के बाद केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की क्षतिपूर्ति के रूप में भरपाई बंद कर दी जाएगी ज्यादा नुकसान उत्पादक राज्यों को है। कई राज्यों की आय 20 से 40% तक कम हो जाएगी। मोदी सरकार ने इस समस्या का हल सुझाते हुए कहा है कि राज्य और अधिक मात्रा में ऋण ले सकते हैं, राज्य के कुल जीडीपी का 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने की मंजूरी दी गई है, लेकिन सवाल यह है कि जब उनकी जीएसटी की वसूली ही कम हो रही है तो वे ऋण की अदायगी कैसे करेंगे?

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जरूरत यह थी कि राज्यों की आय बढ़ाने की व्यवस्था की जाती, क्षतिपूर्ति की दर और अवधि बढ़ाई जाती, एक सीधा उपाय यह भी था कि हर राज्य को छूट दे दी जाती कि वह अपनी सीमा में जीएसटी की दर को निर्धारित कर सके, जैसा कनाडा में है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार का रवैया पूंजीवाद से प्रेरित और अधिनायकवाद के रास्तों पर चलकर राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ है। 2014 के बाद से लगभग सभी केंद्रीय योजनाओं में केंद्रास कम करके राज्यांश बढ़ाया जा रहा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में टैक्स कम कर के सेस लगाया जा रहा है, ताकि राज्यों को हिस्सेदारी ना देना पड़े। देश के लगभग सभी उत्पादक राज्यों की समस्या को लेकर संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा लिखे गए पत्र का विरोध नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और भारतीय जनता पार्टी के जनविरोधी चरित्र को प्रमाणित करता है।

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