एकीकृत बाल संरक्षण योजना (मिशन वात्सल्य) के संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग जशपुर द्वारा बताये गये दिशा-निर्देश एवं मापदण्ड

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि एकीकृत बाल संरक्षण योजना (मिशन वात्सल्य) के तहत् प्रवर्तकता कार्यक्रम के प्रभावी संचालन हेतु पात्रता रखने वाले देखरेख और संरक्षण की आवश्कयता वाले बालों को प्रवर्तकता हेतु राजपत्र में अधिसूचना जारी की गई है। जिसके अंतर्गत्  एकल माता-पिता के बच्चे विशेषकर एकल माता-विछिन्न विवाह स्त्री, कुटुम्ब द्वारा परित्यक्ता या विधवा के बच्चे। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है तथा विस्तारित परिवार की देखरेख में रहते हैं। माता-पिता द्वारा परित्यक्त ऐसे बच्चे जो विस्तारित परिवार की देखरेख में रह रहे हैं। माता-पिता द्वारा परित्यक्त ऐसे बच्चे जो विस्तारित परिवार की देखरेख में रह रहे हैं। ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता कारागृह में है। ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता असहाय-अशक्त या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। ऐसे बच्चे, जिनकी गैर कानूनी उद्देश्य के लिए उपयोग किया गया है, या किया जा रहा है। एच.आई.वी, एड्स प्रभावित बच्चे।

उक्त कार्यक्रम अंतर्गत सहायता प्रदान किये जाते हैं। इनमें पात्रता की श्रेणी आने वाले परिवार के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह प्रति बालक 2 हजार रूपये अथवा तत्समय भारत शासन द्वारा निर्धारित प्रावधान अनुसार सहायता धनराशि प्रदान की जायेगी। परिवार में दो से अधिक बच्चे होने पर बालिकाओं को प्राथमिकता दी जायेगी। परन्तु चार से अधिक जैविक बालकों वाले परिवार को यह सहायता देय नहीं होगी। यह सहायता अधिकतम 03 वर्ष अथवा 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जो भी पहले हो जैसा कि परिवार की आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा, प्रदान की जा सकेगी। प्रवर्तकता की समाप्ति से पूर्व परिवार को बच्चों की देखरेख करने हेतु आर्थिक एवं अन्य रूप से सशक्त बनाये जाने के प्रयास किये जायेगें।

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