जशपुर जिले में स्थापित 81 वीं बटालियन सीआरपीएफ को जशपुर से हटाकर बीजापुर स्थानांतरित करने पर रोक लगाने और सीआरपीएफ बटालियन को जशपुर जिले में ही रखे जाने के लिए अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत नें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

जशपुर जिले में स्थापित 81 वीं बटालियन सीआरपीएफ को जशपुर से हटाकर बीजापुर स्थानांतरित करने पर रोक लगाकर सीआरपीएफ बटालियन को जशपुर जिले में ही रखे जाने के लिए अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व मंत्री छत्तीसगढ़ शासन गणेश राम भगत नें महामहिम राष्ट्रपति को पत्र प्रेषित कर मांग की है। श्री भगत ने पत्र की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, महामहिम राज्यपाल छ.ग. सुश्री अनुसुईया उईके एवं मुख्यमंत्री छ.ग. शासन भूपेश बघेल को भी प्रेषित की है।

प्रेषित पत्र में इस विषय में विवरण देते हुए लिखा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर स्थित  जशपुर जिला दो राज्यों झारखंड और उड़ीसा से लगा हुआ है साथ ही झारखंड एवं उड़ीसा के जंगल जशपुर जिले के जंगलों से आपस में मिले हुए हैं ।जिसके कारण  नक्सल गतिविधियों के कारण जशपुर जिले में पिछले कई वर्षों से अशांति का माहौल बना हुआ था। आए दिन नक्सल गतिविधियों के कारण जशपुर जिले में रहने वाले 60ः से भी अधिक जनजातीय समाज का तथा अन्य वर्ग के लोगों का जीना दूभर हो गया था। जशपुर जिले में नक्सलियों का ख़ौफ़ इस कदर था कि यहां के निवासियों के जीवन यापन का एक मात्र आधार साप्ताहिक बाजार भी बंद होने लगे थे ।तथा नक्सल गतिविधियों के कारण जशपुर जिले में अन्य राज्यों से आने वाले व्यापारियों का आना जाना बंद हो गया था ।जिसके कारण जशपुर जिले का स्थानीय व्यापार भी प्रभावित हो गया था। जिसके कारण कई ऐसी वस्तुएं जो दूसरे राज्यों से जशपुर में लाकर बेची जाती थी उनके मूल्यों में वृद्धि होने लगी थी और सामान्य जनों के पहुंच से ऐसी वस्तुएं दूर हो रही थी ।जशपुर जिले में नक्सलवाद का सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब जशपुर जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुलिस चौकी आरा में नक्सलियों  सीपीआई मावोवादियों के द्वारा मंगल नगेशिया के नेतृत्व में हमला कर तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर उनके हथियार लूट कर ले गए थे ।उंसके बाद से नक्सली मंगल नगेशिया जशपुर जिले को वर्ष 2015 तक अशांत करके रखा था ,बाद में झारखण्ड में नक्सलियों के आपसी झगड़े में उसकी मृत्यु हो गई।

महोदय उक्त नक्सली वारदात के बाद जशपुर जिले की सुरक्षा एवं प्रदेश की सीमा की सुरक्षा हेतु जशपुर में सीआरपीएफ की 81 वीं बटालियन को स्थापित किया गया था। सीआरपीएफ की स्थापना के बाद सीआरपीएफ के जवानों की जशपुर एवं झारखंड उड़ीसा राज्यों की सीमा पर लगातार गश्त करने के कारण जशपुर में शांति का माहौल बनना शुरू हुआ और धीरे-धीरे जशपुर नक्सल मुक्त जिला बनने की ओर अग्रसर होने लगा। परिणाम स्वरूप जिले की सीमा पर स्थित झारखण्ड एवम उड़ीसा में नक्सल घटनाएं  आए दिन सुनने और देखने को मिल रही है कुछ वर्ष पूर्व जशपुर से लगभग 25 किमी दूर स्थित झारखण्ड के डुमरी ,चौनपुर थाने पर नक्सली हमला हुआ । किंतु उनका प्रभाव जशपुर में पड़ता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। सीआरपीएफ की पदस्थापना के बाद न केवल जशपुर के लोग शांतिपूर्ण माहौल में जी रहे हैं बल्कि जशपुर में अन्य राज्यों से भी व्यापार बढ़ने के कारण यहां के लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार आया है ।चुकी जशपुर जिले में सीआरपीएफ की स्थापना के बाद नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगा है जिसके कारण प्रदेश एवं केंद्र सरकार के द्वारा जशपुर जिले को नक्सल मुक्त जिला तो घोषित कर दिया गया किंतु इसका यह दुष्परिणाम सामने आया कि जिले में पदस्थ सीआरपीएफ की 81 वीं बटालियन को भी जशपुर जिले से हटाकर बीजापुर स्थानांतरित करने का आदेश जारी कर दिया गया है ।

महोदय उक्त आदेश जारी होने के बाद सीआरपीएफ कि कई टुकड़िया जशपुर से बीजापुर के लिए रवाना भी हो चुकी है किंतु इस सूचना की भनक लगते ही जशपुर में फिर से  नक्सल गतिविधियां अपने पैर पसारना शुरू कर दी है। और इसका दुष्परिणाम सामने तब आया जब जशपुर के मनोरा चौकी में प्रधानमंत्री सड़क योजना में कार्यरत ठेकेदार की जेसीबी मशीनों एवं अन्य महत्वपूर्ण मशीनों पर अपराधियों के द्वारा आग लगाकर और उसके कर्मचारियों के ऊपर जानलेवा हमला किया गया। यह सुखद समाचार है कि उक्त संबंध में स्थानीय पुलिस एवम सीआरपीएफ ने घटना कारित करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कर दिया है  किंतु इन घटनाओं से यह संभावना बढ़ गई है कि जैसे ही जशपुर से सीआरपीएफ बटालियन को हटाया जाएगा झारखंड राज्य एवं उड़ीसा राज्य  सहित बलरामपुर जिले के कुसमी ,रामानुजगंज में सक्रिय नक्सलवादियों के लिए फिर से जशपुर एक खुला मैदान बन जाएगा और यदि ऐसा हुआ तो जशपुर वासियों का जीना फिर से दूभर हो जाएगा।ज्ञात हो कि बंगाल के नक्सलबाड़ी से आंध्रप्रदेश तक नक्सलियों के द्वारा बनाये गए रेड जोन में जशपुर जिला भी आता है किंतु लगातार जनता के बीच सम्पर्क होने तथा सीआरपीएफ के सक्रिय होने के कारण  रेड जोन में होने के बावजूद  न केवल जशपुर जिला बल्कि रायगढ़ एवम बिलासपुर जिले में नक्सल प्रभाव से बचे हुए हैं।

 महोदय मैं स्वयं भारतीय जनता पार्टी में पांच बार विधायक के पद पर कार्य करते हुए आदिम जाति कल्याण मंत्री के रूप में कार्य कर चुका हूं और अपने कार्य के दौरान मैं लगातार नक्सलवाद से जशपुर की जनता को बचाने हेतु जमीनी स्तर पर कार्य करता रहा हूं। जिसके कारण सरकार के द्वारा वर्तमान में मुझे वाइ प्लस श्रेणी की सुरक्षा देते हुए सीआईएसएफ की सुरक्षा प्रदान की गई है। महोदय मंर पिछले 40 वर्षाे से वनवासी कल्याण आश्रम एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से जशपुर के लोगों के साथ सीधे जुड़कर कार्य कर रहा हूं वर्तमान में मुझे अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक का  दायित्व  दिया गया है जिस कारण से पूरे देश मे दौरा कर रहा हूँ और मुझे यह लगता है कि जशपुर के लोगों की सुरक्षा हेतु जशपुर में सीआरपीएफ की स्थापना किया जाना अत्यंत आवश्यक है जिससे जशपुर की जनता शांति पूर्वक जीवन निर्वाह कर सकें।

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