मार्कफेड की श्रमिक निविदा में भारी भ्रष्टाचार, जिन निविदाकारों की निविदा निरस्त की गई उन्हें ही फिर से दे दिया गया काम, भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

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भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मार्कफेड में हो रही अनियमितताओं को किया है उजागर

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित रायपुर (मार्कफेड) द्वारा कुछ दिनों पूर्व संग्रहण केंद्रो में कार्य करने हेतु अर्द्धकुशल एवम् अकुशल श्रमिको के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी, किंतु उक्त निविदा अनियमितता की भेट चढ गई।हुआ यह कि उक्त निविदाकारों द्वारा जो निविदा भरी गई थी उसमें कई त्रुटियां थी। यथा किसी भी निविदा में दो तरह के ऑनलाइन या ऑफलाइन फॉर्म भरे जाते हैं। एक टेक्निकल बिड दूसरा प्राइस बी। यदि टेक्निकल  बीड में किसी प्रकार की कमी रहती है तो प्राइस बीड खोला ही नहीं जाता। किंतु मार्कफेड में 13 जिलों के लिए जो निविदा जारी की गई थी उसमें उन्हीं फर्म की निविदा स्वीकृत की गई जिनके टेक्निकल बीड  में कुछ न कुछ खामियां थी या संवैधानिक देयताओं की पूर्ति नहीं की जा रही थी। वैधानिक दर की पूर्ति नहीं होने के बावजूद भी उक्त निविदाओं  को मार्कफेड  द्वारा स्वीकृत कर दिया गया था, लेकिन भारी आपत्तियों के चलते मजबूरन उक्त निविदा कारों की निविदाएं मार्कफेड द्वारा निरस्त कर दी गई। मार्कफेड मुख्यालय द्वारा पुनः अल्पकालीन निविदा जारी किया गया। लेकिन उक्त निविदा का निराकरण करने के पूर्व ही जिन निविदाकारों  की  निविदाएं वैधानिक दर नहीं होने के कारण निरस्त कर दी गई थी, उन्हीं  निविदाकारों को ही उसी दर पर पुनः कार्यादेश जारी कर दिया गया। इस प्रकार अपात्र हो चुकी निविदा कारों की निविदाओं को आधार मानकर पुनः कार्यादेश जारी किया जाना कहां तक उचित है। इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने इसकी उच्चस्तरीय जांच करने की मांग की है।

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