नरवा संवर्धन से ऊँचा उठता भू-जल स्तर, सिंचित रकबा भी 2 हजार 144 हेक्टेयर बढ़ा

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नरवा संवर्धन से 123 पंचायतों के भू-जल स्तर में 5.8 प्रतिशत की वृद्धि

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

रायगढ़, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नरवा कोई नया नाम नहीं है। नरवा के माध्यम से वर्षा के बाद फसल सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता रहा है। परंतु नरवा के उचित विकास व संवर्धन न होने के फलस्वरूप नरवा का पानी प्राय: बह जाता अथवा सूख जाता था। छत्तीसगढ़ शासन की नयी सोच और ग्रामीण विकास के लिए ग्राम सुराजी गांव योजना के तहत नरवा के विकास के लिए किये जा रहे कार्यों से जहाँ नरवा के आस पास भू-जल स्तर में वृद्धि हो रही है, वहीं किसानों के फसल की सिंचाई के लिए अब पानी नरवा के माध्यम से प्राप्त हो रहा है।

आज रायगढ़ जिले में नरवा विकास संवर्धन के तहत किये कार्यों के प्रभाव का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा आंकलन किया गया। जिसमें पाया गया कि नरवा प्रभावित 123 पंचायतों में 5.8 प्रतिशत जल स्तर में वृद्धि हुई है। सिंचित रकबा में 2144 हेक्टेयर बढ़ा है। खरीफ  एवं रबी उत्पादन में 99 हजार 552 क्ंिवटल अर्थात 9.88 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिले में 2019-20 में जहां 90 नरवा विकास योजनाओं की स्वीकृति प्रदाय की गई थी। जिसमें मृदा संरक्षण अंतर्गत 1490-ब्रशहुड चेक, 775-गली प्लग, 1395-लुज बोल्डर चेक, 53 हेक्टेयर-कंटुर टें्रच, 134 नग-गेबियन एवं जल संवर्धन अंतर्गत 512- डाईक, 45-परकोलेशन टैंक संरचनाओं का निर्माण किया गया है। साथ ही 44-नया तालाब, 120-तालाब गहरीकरण, 2-वाटर कोर्स चैनल, 135-कुंआ, 165-डबरी निर्माण, 150- भूमि समतलीकरण एवं 130 नग वृक्षारोपण कार्यों के प्रस्ताव सम्मिलित है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2021-22 में कलस्टर-1 के अंतर्गत 575 नालों के लिए 152 नरवा का डीपीआर तैयार किए गए है। जिसमें 8726 कार्यो का प्रशासकीय स्वीकृत प्रदाय की गई है। इन कार्यों में रिज लाइन के ब्रशहुड चेक, लुज बोल्डर चेक, गेबियन, कटुरट्रेंच एवं 2880 वृक्षारोपण के कार्य पूर्ण कर लिये गये है। जिसमें जिले के रायगढ़ तहसील के कुशवाबहरी नाला, पुसौर के बिंजकोट नाला, बरमकेला के जीरानाला, लैलूंगा के खैरदरहा नाला, खरसिया के खडगाव नाला तथा सारंगढ़ के सुअरगुडा नाला आदि में किया जा चुका है।

जिसमें वृहद स्तर से वर्षा जमा के बहाव को रोक कर जल स्तर बढ़ाने, समतलीकरण कर भूमि को कृषि योग्य एवं वृक्षारोपण किया जा रहा है। जिससे नरवा विकास के माध्मय से ग्रामीण जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। नरवा विकास के अंतर्गत रायगढ़ में प्रदेश में उपलब्ध विभिन्न जल स्त्रोत नदी नालों के जल को संरक्षित कर कृषि कार्य हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। नरवा विकास के माध्यम से भू-जल स्तर में जल की मात्रा एवं बहावकाल में वृद्धि करना है। भूमि संरक्षण कार्यो से कृषि योग्य भूमि योग्य बनाकर वृक्षारोपण के माध्यम से ग्रामीण आजीविका में सुधार लाना मुख्य इसका मुख्य उद्देश्य है।

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