महिला आयोग को प्राप्त प्रकरणों की हुई सुनवाई : आवेदिका और पुत्री ने आयोग के समक्ष अपने पैतृक संपत्ति पर हिस्सा दिलाने लगाई गुहार, आयोग की सुनवाई में बच्चों ने कहा हम माता-पिता के साथ नहीं, दादी के साथ रहना चाहते हैं

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समदर्शी न्यूज ब्यूरो, राजनांदगांव

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. श्रीमती किरणमयी नायक ने आज राजनांदगांव जिले से महिला आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। उनके द्वारा पक्षकारों की उपस्थिति में दोनों पक्षकारों की कथनों को सुनकर सुनवाई की गई। जिन प्रकरणों में सुनवाई पूर्ण की गई ऐसे प्रकरणों को नस्तीबद्ध  किया गया। कुछ प्रकरणों को अगली सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित किया गया है। साथ ही कुछ प्रकरणों को रायपुर में सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित किया गया है। सुनवाई के दौरान आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने पक्षकारों की उपस्थिति में उनके अभिमत और कथन को सुनकर फैसला सुनाया। आज की सुनवाई के लिए 17 प्रकरण आयोग के समक्ष रखें गए थे, इनमें 14 प्रकरणों पर सुनवाई पुरी हो जाने पर नस्तीबद्ध किया गया। साथ ही 3 प्रकरणों की सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित किया गया।

बच्चे माता-पिता के साथ नहीं, दादी के साथ रहना चाहते हैं –

एक प्रकरण की सुनवाई में आवेदिका पत्नी ने कहा कि वह पति के साथ नहीं रहना चाहती। आवेदिका पत्नी ने आरोप लगाया गया कि उसका पति ने दूसरा विवाह कर लिया है और दूसरी पत्नी के बच्चे भी है। इसी प्रकार का आरोप अनावेदक पति ने भी पत्नी पर लगाया है। सुनवाई के दौरान पहली पत्नी के बच्चों से पूछे जाने पर दोनों बच्चों ने कहा कि वे न ही अपने मां के साथ न ही अपने पिता के साथ रहना चाहते हैं। दोनों बच्चों ने कहा कि वह अपनी दादी के साथ रहना चाहते हैं। जो अभी दोनों बच्चों की परवरिश करने के साथ ही स्कूल में पढ़ा रही है। इस पर आयोग ने इस प्रकरण को सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए नस्तीबद्ध किया।

पहली पत्नी से तलाक लिए बिना पति दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा है –

इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में आवेदक  पत्नी ने आनावेदक पति पर आरोप लगाया कि बिना तलाक के वह दूसरा विवाह कर लिया है। आवेदिका ने बताया कि उसके दो बच्चे हैं। जिसमें से एक बच्चा 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग है। सुनवाई के दौरान पता चला कि पूर्व में न्यायालय में मामला चल चुका है और न्यायालय द्वारा भरण पोषण के लिए 4500 देने का फैसला सुनाया है। आनावेदक पति के द्वारा पिछले 3-4 साल से भरण पोषण का पैसा नहीं दिया जा रहा है और ना ही किसी प्रकार का ख्याल रखा जा रहा है। सुनवाई के दौरान यह पता चला कि आनावेदक पति लिव इन रिलेशनशिप में एक अन्य महिला के साथ रह रहा है  और उसके तरफ से अभी 7 माह का एक बेटा भी है। इस पर आयोग ने जब आवेदक से पूछा कि लिव इन रिलेशनशिप से हुए बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में पिता का नाम का उल्लेख किया गया है या नहीं। इस पर अनावेदक पति के द्वारा कोई जानकारी नहीं दिया गया। इस पर आयोग ने रायपुर में सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित करते हुए कहा कि निर्धारित तिथि को वह अपनी दूसरी पत्नी और बच्चे के साथ आयोग के समक्ष उपस्थित होगा। साथ ही जिस अधिवक्ता के माध्यम से वह लिव इन रिलेशनशिप का एग्रीमेंट पेपर तैयार किया है। उसे भी साथ में आयोग के समक्ष लेकर उपस्थित होने कहा गया है। साथ ही आयोग ने यह भी कहा कि वह संबंधित न्यायालय जहां पर भरण पोषण का फैसला सुनाया गया था। वहां भरण पोषण नहीं देने संबंधी पत्र लिखेगा।

पति की मृत्यु हो जाने पर पारिवारिक संपत्ति में मृतक की पत्नी और पुत्री को नहीं दे रहे हिस्सा –

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक पक्षकारों पर आरोप लगाया है कि जनवरी 2022 में उसकी पति की मृत्यु हो गई है। वह सभ्रात परिवार से तालुकात रखती है। पैतृक संपत्ति में पति की मृत्यु के उपरांत आवेदिका और उसकी पुत्री को परिवार के लोग हिस्सा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने अपने पैतृक संपत्ति पर हिस्सा दिलाने की गुहार लगाई है। इस पर आयोग ने प्रकरण की वस्तु स्थिति को ध्यान में रखते हुए रायपुर में सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित किया है।

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