पत्रकारवार्ता : भाजपा झीरम की जांच क्यों रोकना चाहती है ? धरमलाल कौशिक किस बात को छुपाना चाहते है, भाजपा किस बात से डर रही है? – कांग्रेस

April 30, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

नगरीय निकाय मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने राजीव भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि झीरम घाटी कांड पर गठित न्यायिक जांच आयोग को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने एक बार फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है और नये आयोग को निरस्त करने की मांग की है। ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब भाजपा ने झीरम घाटी कांड की जांच में बाधा खड़ी करने की कोशिश की हो। झीरम घाटी कांड की जांच सबसे अधिक भाजपा के शासन काल में हुई। सीबीआई की जांच नहीं होने दे रहे थे, एनआईए की जांच रोक दिया था। एसआईटी की जांच नहीं होने देना चाहते थे। अब न्यायिक जांच आयोग की जांच को रोकना चाहते है।

धरमलाल कौशिक शायद ये भूल गये कि भाजपा के शासनकाल में 2013 से लेकर 2018 तक झीरम घाटी जांच आयोग की जांच पूरी नहीं हुई थी, कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी आयोग की समय वृद्धि की गई। आयोग ने समय वृद्धि के लिये फिर से शासन को लिखा था परंतु जस्टिस प्रशांत मिश्रा का तबादला हो जाने के बाद आयोग की ओर से राज्य शासन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी। हमारी सरकार को लगता है कि झीरम घाटी कांड की जांच और गहन रूप से और दूसरे आयामों में भी करना जरूरी है जिसके बिना झीरम घाटी घटना का सच सामने नहीं आ पायेगा इसीलिये सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। झीरम घाटी कांड एक ऐसा कांड था जिसने कांग्रेस के नेतृत्व की एक पूरी पीढ़ी को ही समाप्त कर दिया था।

स्वतंत्र भारत में हुई दुर्दान्त और हृदय विदारक घटना भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में डॉ. रमन सिंह के राज में घटित हुई थी ये बात अब भारत के इतिहास से कभी मिटने नहीं वाली है। जैसे ही झीरम घाटी कांड की जांच की बात आती है पता नहीं भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है, किसी न किसी प्रकार से वे इसकी जांच को बाधित करने में जुट जाते हैं, कभी बयानबाजी करते हैं, कभी आंदोलन करते हैं, कभी कोर्ट की शरण में जाते हैं, पीआईएल दायर करते हैं, यानी किसी भी प्रकार से भाजपा झीरम घाटी की सम्यक जांच को होने ही नहीं देना चाहती है।

भाजपा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक क्या इस बात से डरते हैं कि झीरम घाटी कांड की जांच से ऐसा कोई सच निकल कर आ जाएगा जिससे तत्कालीन भाजपा सरकार के किसी कुत्सित चेहरे पर से नकाब उठा जायेगा? क्या श्री धरमलाल कौशिक इस बात से डरते हैं कि उनके आका, तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार की नाकामी, उनके द्वारा कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को सुरक्षा मुहैया करवाने में बरती गई घोर लापरवाही सामने आ जायेगी? धरमलाल कौशिक किस बात को छुपाना चाहते है, भाजपा किस बात से डर रही है? क्या श्री धरमलाल कौशिक इस बात से डरते हैं कि इस नक्सली घटना के पीछे की किसी बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो जायेगा जिसका प्रभाव इनकी पूरी पार्टी पर पड़ सकता है? आखिर किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं, धरमलाल कौशिक जी? आप अपनी अंतरात्मा से पूछिये कि यदि ये ही घटना भाजपा के नेताओं के काफिले के साथ हुई होती, यदि आपके बड़े नेता मारे गये होते तो भी क्या आप इसकी न्यायिक जांच को रोकने के इतने प्रयास करते? क्या हमारे शहीद नेताओं को, हमारे सुरक्षा बलों के जवानों को और इस घटना में मारे गये आम नागरिकों को न्याय पाने का अधिकार नहीं हैं? क्या सिर्फ आपके राजनीतिक स्वार्थ और डर के कारण हम इस झीरम घाटी कांड की जांच भी न करवाएं?

भाजपा न्यायिक जांच आयोग का विरोध करके न्याय की आशा का गला घोंट रही है। उन सभी शहीदों की शहादत का अपमान कर रही है। हमारे नेताओं की दुखद मृत्यु का उपहास उड़ा रही है। पर धरमलाल कौशिक याद रखिये कि एक ऊपर वाले की अदालत भी होती है हमारे शहीदों के परिजनों के आंसूओं ने भगवान की अदालत में जो पिटीशन लगाई है उस पर ईश्वर ने आप लोगों के पापों की सुनवाई कर रखी है, और उसने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। आप न्यायिक जांच आयोग के गठन का विरोध कर सकते हैं लेकिन ऊपर वाले की अदालत में आपकी कोई पिटीशन काम नहीं आयेगी। प्रदेश की जनता भली भांति जान समझ गई है कि आखिर क्यों आप लोग झीरम घाटी कांड की जांच नहीं होने देना चाहते हैं, आखिर क्या डर है आपके अंदर, आपकी दाढ़ी में ऐसा कौन सा तिनका है जिसे आप छुपाना चाहते हैं, ये सब जनता देख रही है और ये विश्वास जानिये, मनुष्य की अदालत से भले ही कोई गुनाहगार बच जाये लेकिन ईश्वर की अदालत से झीरम के दोषी कभी नहीं बच पायेंगे, इसकी गारंटी हम लेते हैं।