शिक्षकों व बच्चों के प्रदर्शन से मिलती है स्कूल की पहचान –कलेक्टर

Advertisements
Advertisements

स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के शिक्षकों की कार्यशाला का हुआ आयोजन

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

रायगढ़, कलेक्टर भीम सिंह की अध्यक्षता में आज जिले के विभिन्न विकासखंडों में संचालित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के प्राचार्यों व शिक्षकों की कार्यशाला का आयोजन कलेक्ट्रेट के सृजन सभाकक्ष में किया गया। इस मौके पर सहायक कलेक्टर प्रतीक जैन, जिला शिक्षा अधिकारी आर.पी.आदित्य, डीएमसी आर.के.देवांगन उपस्थित रहे।

कार्यशाला में कलेक्टर ने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि अंग्रेजी का अपना महत्व है। उच्च अध्ययन स्तर पर अधिकांश पुस्तकें अंग्रेजी में उपलब्ध होती हैं, जिन तक विद्यार्थियों की पहुंच बनाने और समझ विकसित करने में अंग्रेजी का ज्ञान होना आज जरूरी है। उन्होंने कहा कि विद्यालय भवन से नहीं अपितु शिक्षकों व बच्चों से बनता है। विद्यालयों में शिक्षकों व बच्चों के बीच अंग्रेजी में वार्तालाप का माहौल निर्मित करें। रटने की प्रवृत्ति से बचते हुए समझने की अवधारणा व प्रवृत्ति विकसित करें। शिक्षक बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण निर्मित करने का प्रयास करें। स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल अभी अपने शैशवावस्था में हैं, इसे और बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सभी शिक्षकों की है।

सहायक कलेक्टर रायगढ़ प्रतीक जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षित और अशिक्षित में वही अंतर होता है जो एक जीवित और मृत व्यक्ति में होता है। विद्यालय में हार्ड स्किल के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल भी सिखाया जाए। साथ ही शिक्षकों द्वारा नवाचार अपनाया जाए। डीईओ आर.पी. आदित्य ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि कार्यशाला शिक्षकों के दैनिक शिक्षण कौशल व सम्पूर्ण विद्यालयीन प्रबंधन को नए तरीके व रचनात्मक कौशल प्रदान करती है। डीएमसी रमेश देवांगन ने पूरी टीम को उनके प्रदर्शन के लिए साधुवाद देते हुए उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। प्राचार्य जिंदल आर के त्रिवेदी ने अपने उद्बोधन में नेतृत्व क्षमता के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा एक स्पष्ट विजन होना चाहिए तथा विजन को पहचानने व उसके क्रियान्वयन का तरीका भी हमें मालूम होना चाहिए। हमें स्कूलों में सीमित संसाधनों के साथ ही सर्वश्रेष्ठ और बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करनी चाहिए।

प्राचार्य साधुराम विद्या मंदिर टूना विश्वाल ने समय प्रबंधन के महत्व को बताते हुए समय प्रबंधन के विभिन्न आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्राचार्य राजेश डेनियल ने विद्यालय अनुशासन के महत्व को बताते हुए कहा किए अनुशासन और व्यवहार को लेकर हम जो दूसरों से अपेक्षा करते हैं हमें स्वयं भी उस पर अमल करना बेहद जरूरी है। प्राचार्य श्री संतोष चंद्रा ने विद्यालयीन दस्तावेजों के संधारण, रखरखाव के संबंध में विस्तार से बताया। आयोजित कार्यशाला में नेतृत्व क्षमता, समय प्रबंधन,शिक्षण के प्रभावी तरीकों, शिक्षण व प्रबंधन में शिक्षकों व संस्था प्रमुखों की भूमिका, शिक्षण कौशल में सुधार, शिक्षकों व विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों के विकास, जीवन कौशल, विद्यालय में मध्यान्ह भोजन व्यवस्था, पालक शिक्षक बैठक, बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझते हुए उनसे व्यवहार,अंतर्मुखी व शर्मीले बच्चों से व्यवहार, विद्यालय में खेल व प्रदर्शनी का आयोजन, विद्यार्थी संगठन, स्काउट गाइड, एनएसएसए के गठन व उनकी भूमिका, विज्ञान व गणित विषयों के अध्यापन की प्रभावी तकनीक, पाठ्य सहगामी गतिविधियों का संचालन, विद्यालय परीक्षा परिणाम सुधार तकनीक आदि बिंदुओं पर सारगर्भित चर्चा के साथ प्रस्तुतकर्ताओं द्वारा प्रभावी प्रजेन्टेंशन दिया गया। कार्यशाला की समाप्ति पर सहायक संचालक श्रीमती दीप्ति अग्रवाल द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!