निर्मला सीतारमण स्पष्ट करे कि कैसे एक्साइज ड्यूटी कम होने का भार राज्यों पर नहीं पड़ेगा- मोहन मरकाम

निर्मला सीतारमण स्पष्ट करे कि कैसे एक्साइज ड्यूटी कम होने का भार राज्यों पर नहीं पड़ेगा- मोहन मरकाम

May 23, 2022 Off By Samdarshi News

सीतारमण महंगाई के लिये बड़ी कंपनियों को जिम्मेदार मानती है, तो कार्यवाही क्यों नहीं करती हैं ?

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

वित्तमंत्री सीतारमण द्वारा यह कहना कि डीजल-पेट्रोल पर केन्द्र द्वारा कम किये गये एक्साइज ड्यूटी का राज्यों के ऊपर कोई भार नहीं पड़ेगा सफेद झूठ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि वित्त मंत्री को स्पष्ट करना चाहिये कि राज्यों पर इसका भार कैसे नहीं पड़ेगा ? केन्द्र के कर नीति के तहत पेट्रोलियम पदार्थो के सेन्ट्रल एक्साइज कर का 41 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को मिलता है, फिर सेन्ट्रल एक्साइज की कमी का राज्यो पर भार नहीं पड़ने के वित्तमंत्री के बयान का आधार क्या है ? क्या वित्त मंत्री केंद्र सरकार पेट्रोलियम के एक्साइज ड्यूटी केन्द्र ओर राज्य के हिस्सों के लिये कुछ नया प्रावधान किया है वित्त मंत्री को स्पष्ट करना चाहिये ?

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि अगर निर्मला सीतारमण यह मानती है कि देश में भीषण महंगाई के लिए कंपनियों का गठजोड़ जिम्मेदार है तो उन्हें यह भी मान लेना चाहिए कि कंपनियों का यह गठजोड़ मोदी सरकार के पूंजीवादी नीतियों का परिणाम है। इसके पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सीमेंट और स्टील उद्योग में कंपनियों द्वारा गठजोड़ की बात मान चुके हैं। देश के भीतर यदि निजी कंपनियां गठजोड़ बना कर जमाखोरी और कालाबाजारी कर रही है, तो इसका सीधा मतलब यह है कि इन कंपनियों को मोदी सरकार का संरक्षण प्राप्त है और मोदी सरकार इन कंपनियों द्वारा की जा रही मुनाफाखोरी में बराबर की हिस्सेदार है। मोदी सरकार इन मुनाफाखोर कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं करती हैं ? मोदी सरकार अपने पाप को कंपनियों के ऊपर डाल कर बच नहीं सकती क्योंकि देश की जनता भाजपा के पूंजीवादी चरित्र को अच्छी तरह समझ चुकी है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि देश की जनता जानती है कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में गरीब, किसान और बेरोजगार नहीं बल्कि उद्योगपति, मुनाफाखोरी और व्यापार है। जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तब से उद्योगपतियों और व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए संविधान और आम लोगों के जनजीवन से खेलने का काम कर रही है। केंद्र में आते ही मोदी सरकार ने भू अधिकार कानून में संशोधन करने का कुत्सित प्रयास किया था कि उद्योगपतियों को आम लोगों की जमीन हड़पने में आसानी हो मगर कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए निरंतर आंदोलनों के कारण भाजपा इस कानून को लागू नहीं कर पाई। हाल ही में देश के कृषि व्यवस्था पर उद्योगपतियों का एकाधिकार स्थापित करने के लिए तीन असंवैधानिक कृषि कानून लाए गए जिसके द्वारा जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा तो मिलता ही साथ ही देश का किसान पूंजीपतियों का गुलाम बन जाता। इस कानून को लागू करने के लिए उद्योगपतियों की गुलाम मोदी सरकार इस कदर उत्सुक थी कि लाखों किसानों का आंदोलन और 700 किसानों की मृत्यु का भी सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। मोदी सरकार के चाल चरित्र से यह स्पष्ट हो चुका है कि देश में हर नीति और कानून मुनाफाखोरी और उद्योगपतियों की तिजोरी भरने के लिए बनाई जा रही है। पिछले 8 सालों से मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के दुष्परिणाम को देश की जनता भुगत रही है। केवल दो चार उद्योगपतियों के लिए मुनाफाखोरी का जरिया बन कर बैठी केंद्र की मोदी सरकार को देश की 130 करोड़ जनता से कोई सरोकार नहीं है।