हसदेव अरण्य बचाने आदिवासियों की आवाज बुलंद कर रही भाजपा, सत्ता पाते ही कांग्रेसियों की नैतिकता के मरने का लगाया आरोप

June 10, 2022 Off By Samdarshi News

भाजपाईयों ने कांग्रेसियों को राहुल का वादा दिलाया याद

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

हसदेव अरण्य की जबरदस्ती व प्रशासनिक दबाव के साथ कटाई का स्थानीय आदिवासी पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इसके बाद भी आदिवासियों के हसदेव अरण्य बचाओ के  आंदोलन को नजर अंदाज कर स्थानीय कांग्रेस सरकार प्रशासनिक अमलों से चोरी-छुपे जंगल की कटाई का आदेश दे वन आश्रित ग्रामीणों के साथ दुर्लभ जीव-जंतुओं के जान से खिलवाड़ कर रही है। हसदेव अरण्य को बचाने आंदोलन कर रहे आदिवासियों की आवाज बुलंद करने भाजपाई भी मैदान में उतर गए हैं। भाजपा कार्यकर्ता ने प्रदेश की जंगलीय अद्भूत संस्कृति को बचाने का संकल्प ले आदिवासियों की सुरक्षा के साथ ज़मीनी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में सरगुजा जिला अंतर्गत ग्राम हरिहरपुर में मांइस प्रभावित संघर्षरत आदिवासियों के धरने में भाजपा प्रदेश मंत्री विजय शर्मा, प्रबल प्रताप सिंह जुदेव, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य व कोरबा जिला प्रभारी विक्रांत सिंह ठाकुर, भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ सह संयोजक संजू नारायण सिंह ठाकुर, भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष चिंटू राजपाल, भाजयुमो पूर्व जिला उपाध्यक्ष विजय व्यास सहित सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता घंटो धरने में आदिवासियों के साथ बैठे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि  छत्तीसगढ़ के उत्तरी कोरबा, दक्षिणी सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच स्थित करीब 1 लाख 70 हेक्टेयर में फैला वनाच्छिदत क्षेत्र हसदेव अरण्य जैव विविधता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यह विशालतम वन स्थानीय आदिवासियों सहित विविध दुर्लभ जीव – जंतुओं के जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन है। जिस प्रदेश कांग्रेस की सरकार ने तानाशाही फैसला देते हुए काटने का निर्णय लिया है। जिसका हम पुरजोर विरोध करते है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्ता मे आते ही जनता को किए अपने वादे भूल गए हैं। इतना ही नहीं कांग्रेसियों के मसीहा राहुल गांधी के किसी भी हद में जंगल बचाने के आदिवासियों के साथ किए वायदे को भूल गए हैं। प्रदेश कांगेस की भूपेश सरकार पैसे कमाने की लालच में अपनी ही प्राचीनतम संस्कृति के साथ खिलवाड़ कर रहे। जिसका हम भाजपा कार्यकर्ता पुरजोर विरोध करते हैं। साथ ही जंगल को बचाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा आदिवासियों के साथ प्रदर्शन में शामिल रहेंगे।