किसानों की समृद्धि से भाजपाइयों को इतनी नफरत क्यों ? उर्वरक की सप्लाई बाधित कर किस बात का ले रहे हैं प्रतिशोध ?

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केंद्र की मोदी सरकार और छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता किसानों के साथ क्रूरतम व्यवहार पर उतारू हैं

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी का चरित्र आरंभ से ही किसान विरोधी रहा है। संघीय व्यवस्था के अंतर्गत उर्वरक का उत्पादन, विपणन और आपूर्ति केंद्र सरकार का दायित्व है। फसल का सीजन (खरीफ और रवी) के शुरू होने के पहले राज्यों के द्वारा मांग भेजी जाती है। केंद्र की सहमति के बाद माहवार आपूर्ति का प्लान भी तय होता है। छत्तीसगढ़ में किसानों की समृद्धि को भारतीय जनता पार्टी के नेता पचा नहीं पा रहे हैं और यही कारण है कि पूर्व में दी गई स्वीकृति को भी दरकिनार कर माहवार आपूर्ति प्लान के अनुरूप खाद नहीं भेजा जा रहा है। विगत रवी सीजन के समय भी 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की मांग पर पहले चरण में ही 45 परसेंट की कटौती कर दी गई थी और अंत तक भेजा गया केवल 3 लाख 20 हजार मीट्रिक टन। यही नहीं मोदी सरकार आने के बाद 2014 से ही लगातार किसानों को प्रताड़ित करने के कुत्सित प्रयास जारी है।

खरीफ सीजन 2015 में छत्तीसगढ़ की डिमांड 11 लाख मीट्रिक टन थी जिसके विरूद्ध केवल 9 लाख 81 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद की आपूर्ति की गई। खरीफ 2016 में 10.40 लाख मीट्रिक टन की डिमांड के विरुद्ध 8.5 लाख मीट्रिक टन उर्वरक मिला। खरीफ सीजन 2017 में मांग का 72 प्रतिशत खरीफ सीजन 2018 में मांग का 89 प्रतिशत आपूर्ति की गई थी। इस साल भी बुवाई और थरहा देने का समय आ चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के लिए आवश्यक 9 लाख टन रासायनिक खाद का 40 प्रतिशत भी अभी तक नहीं मिला है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि स्वीकृति के बाद भी आपूर्ति बाधित करना सरासर धोखा है, छल है। आखिर मोदी सरकार और छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के 10 सांसद छत्तीसगढ़ के किसानों से किस बात का बदला ले रहे हैं ? किसान अन्नदाता है, राष्ट्रीय उत्पादन में अपना सहयोग करते हैं, किसानों के साथ इस प्रकार का क्रूरतम व्यवहार राष्ट्रीय अपराध है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि किसान विरोधी मोदी सरकार के द्वारा विगत 3 सालों में कृषि का बजट लगभग 67 हजार करोड़ रूपया घटाया गया। कृषि से संबंधित पार्लियामेंट्री कमिटी ने हाल ही में रिपोर्ट दी है कि 2019-20 से 21-22 के बीच कृषि विकास मद का 67929 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं किए गए और उसे वापस सरेंडर कर दिया गया। कृषि का बजट जो 2019-20 में कुल बजट का 4.68 प्रतिशत था वह घटते-घटते 2022-23 में मात्र 3.14 प्रतिशत रह गया है। चालू वित्तीय वर्ष में ही मोदी सरकार ने खाद सब्सिडी में 35 हजार करोड़ की कटौती की है। पिछले साल भी छत्तीसगढ़ के कोटे का उर्वरक जम्मू कश्मीर और यूपी में खपाया गया था, इस साल फिर उपेक्षा। भाजपा नेता यह बताएं कि आखिर वे क्यों नहीं चाहते कि किसान भरपूर पैदावार ले ?

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