परम्परागत धान की खेती के स्थान पर दलहन की खेती से लाभ लेने प्रोत्साहित हो रहे कृषक

September 27, 2021 Off By Samdarshi News

दलहनी फसलों के क्षेत्र में हुई वृद्धि 3503 हेक्टेयर में अब हो रही खेती

बस्तर जिले में प्रमुखता से हो रही चना, उड़द एवं मूंग दलहन की खेती

 समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

जगदलपुर, भारत विश्व में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक व उपभोक्ता है। यहां की अधिकांश जनसंख्या की प्रोटीन की आवश्यकता की पूर्ति दलहन से ही होती है। छत्तीसगढ़ में किसानों को हर प्रकार से मजबूत बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही हैं। यही कारण है कि धान की फसल के साथ ही किसानों को दलहन की फसल के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।

बस्तर जिले में भी कृषि विभाग द्वारा निरंतर कृषकों को प्रशिक्षण व प्रदर्शन के माध्यम से प्रोत्साहित कर जिले में दलहनी फसलों के क्षेत्र में वृद्धि हेतु अनवरत प्रयास किये जा रहे है. जिले में दलहन का क्षेत्र वर्ष 2015-16 में 2674 हेक्टेयर था जो कि वर्ष 2020-21 में 3503 हेक्टयर हो गया है। जिले में चना उड़द एवं मूंग की खेती प्रमुखता से की जा रही है। दलहन में पानी की कम खपत होती है। सूखे वाले क्षेत्रों व वर्षा सिंचित क्षेत्रों में दलहन उगाई जा सकती हैं। यह मृदा में नाइट्रोजन संरक्षित करके मृदा की उर्वरता में भी सुधार करती है। इससे उर्वरको की आवश्यकता कम होती है। जिस कारण विभाग द्वारा दलहन उत्पादन हेतु निरंतर कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

विगत कई वर्षो से परंपरागत धान की वर्षा धारित खेती करते आ रहे किसानों को कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा सतत् संपर्क से दलहन फसल और विभागीय योजना सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत स्प्रिंकलर प्रदान करनें के साथ सौर सुजला योजनान्तर्गत सोलर पंप प्रदान का लाभ लेने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। इसी तारतम्य में विकासखंड बकावंड के ग्राम चितालूर निवासी 50 वर्षीय कृषक सोनाधर कश्यप को विभागीय प्रशिक्षण के माध्यम से दलहनी फसलों की खेती के लिए प्रेरित किया गया।

सोनाधर द्वारा वर्ष 2020 में कृषि विभाग के आत्मा एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत मसूर, चना, उड़द फसल का  प्रदर्शन दिया गया था। समय समय पर कृषक को कीट-व्याधी नियंत्रण एवं उर्वरक अनुशंसा दी गयी। जिसके अनुसार कृषक द्वारा फसलोत्पादन लिया गया जिससे सोनाधर को मसूर के 0.73 हेक्टयर क्षेत्र रकबा में 18 हजार 615 रूपए का आय, चना 0.6  हेक्टयर रकबा क्षेत्र में 35 हजार 700 रूपए का आय व उड़द के 0.5 हेक्टयर रकबा क्षेत्र में 24 हजार रूपए की आय हुई, इस प्रकार दलहनी फसल उत्पादन से एक वर्ष में कुल राशि 78 हजार 315 का आय प्राप्त हुआ। कृषक सोनाधर कश्यप द्वारा प्राप्त अच्छा उत्पादन देखकर ग्राम के अन्य कृषक भी दलहन उत्पादन हेतु प्रोत्साहित हो रहे है।