इस रेड में कुल 9.5 करोड़ अघोषित कैश एवं 4.5 करोड़ की ज्वेलरी बरामद हुई, साथ ही 200 करोड़ से अधिक के कलेक्शन के भी मिले हैं प्रमाण
रेड मुख्य रूप से प्रदेश में कोल ट्रांसपोर्ट से हो रही अवैध कमाई को भी प्रमाणित करती है, इस जांच के दौरान 50 करोड़ की अचल संपत्ति के दस्तावेज भी आईटी विभाग को हुये हैं प्राप्त
समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर
दिनांक 30 जून 2022 को कांग्रेस की भ्रष्ट भूपेश सरकार के कारण छत्तीसगढ़ महतारी एक बार फिर शर्मसार हुई, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी के दुर्ग स्थित आवास में आई टी विभाग ने 24 महिने में दूसरी बार रेड किया, इसके साथ ही मुख्यमंत्री के करीबी सूर्यकांत तिवारी एवं उनके पार्टनर के साथ कुल 30 स्थानों में कार्यवाही की गई। ये वही सूर्यकांत तिवारी है जो हॉस्पिटल में एडमिट होते हैं, तो मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल एवं विधायकों के साथ उनका हाल-चाल जानने पहुँच जाते हैं। इस रेड में कुल 9.5 करोड़ अघोषित कैश एवं 4.5 करोड़ की ज्वेलरी बरामद हुई, साथ ही 200 करोड़ से अधिक के कलेक्शन के भी प्रमाण मिले हैं। यह रेड मुख्य रूप से प्रदेश में कोल ट्रांसपोर्ट से हो रही अवैध कमाई को भी प्रमाणित करती है, इस जांच के दौरान 50 करोड़ की अचल संपत्ति के दस्तावेज भी आईटी विभाग को प्राप्त हुये हैं।
विभाग का दावा है कि जांच के दौरान कर चोरी के कई पुख्ता दस्तावेज मिले हैं, साथ ही एकाउन्ट शीट्स और डिजीटल साक्ष्य भी प्राप्त हुये हैं। आयकर अधिकारियों के अनुसार जांच के दौरान सरकारी अधिकारियों को भी नकद भुगतान किये जाने के साक्ष्य मिले हैं, जो कि बहुत गंभीर हैं, जिन्हें आईटी विभाग द्वारा गंभीरता से जांच किया जा रहा है और जरुरत पड़ने पर विभाग द्वारा उन्हें जल्द ही पूछ-ताछ हेतु बुलाया जा सकता है। इस जांच में सूर्यकांत तिवारी द्वारा कोरबा की एक कोल वाशरी को खरीदने में 45 करोड़ के अघोषित कैश भुगतान का भी प्रमाण मिला है। अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भी कैश भुगतान के प्रमाण भी आईटी विभाग को मिले हैं। आईटी विभाग की कार्यवाही की प्रारंभिक जांच में जो प्रमाण मिले हैं, वह प्रदेश में हो रही कई सौ करोड़ रूपए की अवैध उगाही को प्रमाणित करता है, जिसकी जांच विभाग द्वारा की जा रही है|
इस पूरी कार्यवाही में दो लोग मुख्य केंद्र बिंदु रहे, एक सूर्यकांत तिवारी और दूसरी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी, यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि दोनों ही भूपेश बघेल के लिए काम कर रहे है तो इसका मतलब इन दोनों को प्रदेश के मुखिया का संरक्षण है और इन्ही की शरण में दोनों प्रदेश को लूटने में लगे हुए हैं। यह सरकार पूरी तरह अपने 3.5 साल के कार्यकाल में ही भ्रष्टाचार के दलदल में फँस चुकी है, इस भ्रष्ट सरकार के कारण छत्तीसगढ़ महतारी का सर शर्म से झुक गया है। भाजपा ने भी 15 वर्षों तक सरकार चलाई और इनमें से 10 वर्षों तक कांग्रेस के शासन काल में सरकार चलाई और उस दौरान भी प्रदेश में कई आईटी के छापे भी पड़े लेकिन हमारी सरकार पर कभी आंच नहीं आई और इस कांग्रेस की सरकार से जुड़े लोगों के विरुद्ध दो बार आई.टी. विभाग ने कार्यवाही किया। यदि राज्य सरकार वर्ष 2020 में की गयी कार्यवाही से जुड़े लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करती तो आज ये नौबत नहीं आती, जबकि आईटी विभाग द्वारा राज्य सरकार को वर्ष 2020 में दोषी अधिकारीयों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के लिए पत्र भी भेजा गया लेकिन जब मुखिया का ही संरक्षण है तो कार्यवाही कौन करेगा। प्रदेश की जनता सब कुछ देख रही है वह 2023 में इसका हिसाब करेगी।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिये पुरजोर कोशिश कर रही है। यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, यह सरकार सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है, इस जांच से यह साबित होता है कि इसमें मुख्यमंत्री पूरी तरह से संलिप्त हैं और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिये।
इस जांच के दौरान 50 करोड़ की अचल संपत्ति के दस्तावेज भी आईटी विभाग को प्राप्त हुये हैं। विभाग का दावा है कि जांच के दौरान कर चोरी के कई पुख्ता दस्तावेज मिले हैं, साथ ही एकाउन्ट शीट्स और डिजीटल साक्ष्य भी प्राप्त हुये हैं। आयकर अधिकारियों के अनुसार जांच के दौरान सरकारी अधिकारियों को भी नकद भुगतान किये जाने के साक्ष्य मिले हैं जो कि बहुत गंभीर हैं। मुख्य दोषी प्रदेश की कांग्रेस सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिये पुरजोर कोशिश कर रही है। यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, यह सरकार सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है, इस जांच से यह साबित होता है कि इसमें मुख्यमंत्री पूरी तरह से संलिप्त हैं और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिये।