गोबर की बिजली से जगमग हुआ बनचरोदा गौठान, बिजली उत्पादन का शुभारंभ किया मुख्यमंत्री ने

Advertisements
Advertisements

गांधी जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन, गोबर से अब गौठान और महिला समूहों को होगा दोहरा लाभ

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, आज गांधी जयंती के अवसर पर रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के ग्राम बनचरोदा में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया। वर्चुएल कार्यक्रम में बनचरोदा  गोठान में जनपद अध्यक्ष खिलेश देवांगन, कलेक्टर सौरभ कुमार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मयंक चतुर्वेदी, जनपद आरंग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी किरण कोशिक, सरपंच कृष्ण कुमार साहू सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि गण और ग्रामीणजन भी उपस्थित थे।

मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने गोठान की वर्मी खाद और जैविक खाद बनाने वाली धन लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष गीता साहू से विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बात की और उन्हे गोबर गैस से बनी बिजली से रोशनी फैलाने का आग्रह किया। उसी क्षण गोठान में बनी बिजली से बल्ब की रोशनी जगमगा उठी। श्रीमती गीता साहू ने मुख्यमंत्री से कहा कि अब उनका गौठान शाम को भी रोशन रहेगा और अधिक देर तक गोठान में रहकर काम कर सकेंगी। उन्होंने गोठान में ही बिजली बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि इन अभिनव प्रयासों से छत्तीसगढ़ के गौठान अब गोबर की बिजली से जगमग होंगे। गौठान अब बिजली के मामले में स्वावलंबी हों सकेंगे।

गोबर से सस्ती बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ इससे मिलने वाली स्लरी से जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। इससे गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा। सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 6 हजार गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है, यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन एवं अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है।

प्रथम चरण में  रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाई गई है।  यहां 5 किलो वॉट के पावर जनरेटर के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। यहां स्थापित बॉयोगैस संयंत्र में प्रतिदिन लगभग 250 किलो गोबर की आवश्यकता होती है। इससे प्रतिदिन 25 घन मीटर गोबर गैस बनने की क्षमता  है, इससे मिलने वाले मीथेन गैस को जनरेटर के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में कनवर्ट किया जाता है है।इससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ अन्य  मशीनों का संचालन भी हो सकेगा।

राज्य शासन द्वारा कोरोना-संकट के दौरान गत 20 जुलाई को महत्वपूर्ण योजना गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई। योजना के तहत गौठानों में किसानों और पशुपालकों से 2 रुपए प्रति किलो में गोबर खरीदकर उससे वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट बनाई जा रही है। इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी।

छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 6112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है। गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है, जिसके एवज में ग्रामीणों, पशुपालकों को 102 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है। सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठान और गोधन न्याय योजना के कन्वर्जेंस से बहुआयामी लाभ मिलने लगा है। इससे गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिला है।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!