राजेश मूणत भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस को पढाये राष्ट्रवाद का पाठ, कांग्रेस जन्मजात राष्ट्रवादी, भाजपा कार्यलय में राष्ट्रीय ध्वज बेचना कौन सा राष्ट्रवाद है? – धनंजय सिंह ठाकुर

राजेश मूणत भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस को पढाये राष्ट्रवाद का पाठ, कांग्रेस जन्मजात राष्ट्रवादी, भाजपा कार्यलय में राष्ट्रीय ध्वज बेचना कौन सा राष्ट्रवाद है? – धनंजय सिंह ठाकुर

August 4, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता पूर्व मंत्री राजेश मूणत कांग्रेस को राष्ट्रवाद की पाठ पढ़ाने के बजाये भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाना चाहिए उन्हें बताना चाहिए कि तिरंगा देश का सर्वोच्च  झंडा है जिसके आन बान शान के लिए देश के 135 करोड़ जनता अपने प्राणों की आहुति देने हमेशा तत्पर रहते हैं। मूणत में साहस है तो वे छत्तीसगढ़ में आरएसएस के कार्यालय से झंडा अभियान शुरू कर के दिखायें।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जब देश गुलामी के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ रहा था तब महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के हाथ में यही तिरंगा था और आरएसएस उस दौरान भी तिरंगा से दूर थी और आजादी के 52 साल तक अपने कार्यालय में तिरंगा नहीं फहराया। भाजपा प्रवक्ता राजेश मूणत को बताना चाहिए कि भाजपा के पितृ संगठन ने 52 वर्षों तक अपने कार्यालय में तिरंगा क्यों नहीं फहराया? राष्ट्रध्वज का 52 साल तक अपमान क्यों किया? आजादी के 25वी वर्षगांठ सिल्वर जुबली वर्ष और 50वी वर्षगांठ गोल्डन जुबली वर्ष में भी आरएसएस तिरंगा क्यों नहीं फहराया? और आज आजादी के 75 वर्ष पूरा होने पर जब पूरा देश अमृत महोत्सव बना रहा भारत के प्रधानमंत्री सोशल मीडिया में डीपी चेंज कर तिरंगा डीपी लगाने का आह्वान कर रहे हैं ऐसे में भाजपा का पितृ संगठन आरएसएस अभी तक अपने डीपी में तिरंगा क्यों नहीं लगाया? मोहन भागवत और आर एस एस के वरिष्ठ नेताओं के डीपी में भी तिरंगा नहीं दिख रहे हैं? भाजपा के प्रवक्ता राजेश मूणत बताएं क्या आरएसएस आज भी तिरंगा झंडे का विरोध कर रही है? क्या आरएसएस आज भी अपने उस बयान पर कायम है जिस पर आरएसएस ने कहा था कि तिरंगा अपशगुन है? देश का झंडा तिरंगा नहीं एक रंगा है? भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि उनके पितृ संगठन आखिर तिरंगा को लेकर क्या सोचती है?