बाल संरक्षण गृह में किशोरों के लिए आत्महत्या रोकथाम कार्यशाला का हुआ आयोजन, किशोरों को नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मक रहने की दी गई सीख

Advertisements
Advertisements

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बिलासपुर

 ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह’ के तहत बुधवार को बाल संरक्षण गृह सरकंडा, बिलासपुर में किशोरों के लिए आत्महत्या रोकथाम पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस दौरान विशेषज्ञों द्वारा आत्महत्या रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग के माध्यम से आत्महत्या के विचारों को त्यागने, जीवन प्रबंधन, नकारात्मक विचारों को छोड़कर सकारात्मक रहने, तनाव से बचने के आवश्यक उपाय, नशे से होने वाले दुष्प्रभाव, मानसिक स्वास्थ्य, लक्षण एवं उपचार के बारे में भी बताया गया।

साथ ही विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से तनाव से दूर रहने, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, आत्महत्या करने के पूर्व के लक्षणों की पहचान करने, तनाव एवं अवसाद होने पर अपनी पसंदीदा कार्य कर ध्यान को भटकाने, मेडिटेशन, योगा द्वारा जीवन प्रबंधन के संबंध में बताया गया। इतना ही नहीं आत्महत्या का प्रयास करना उनके और उनके परिवार वालों के लिए कितना गंभीर हो सकता है, इस बारे में बताया गया।

मानसिक चिकित्सालय सेंदरी की नर्सिंग ऑफिसर एंजलीना वैभव लाल ने बताया: “हर व्यक्ति तनाव से ग्रसित है। आजकल सभी उम्र के लोगों द्वारा आत्महत्या के प्रयास के मामले आ रहे हैं। इनमें भी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या ज्यादा है। तनाव के कारण अवसाद, बेचैनी और नकारात्मक विचार आते हैं। नकारात्मक विचारों को लंबे समय तक रखने पर व्यक्ति अपने जीवन को समाप्त करने की सोचता है। ऐसी अवस्था को समझकर आत्महत्या करने वाले व्यक्ति से बातचीत कर, उसकी समस्या समझने की कोशिश की जाए तो वह आत्महत्या के विचार को त्याग देता है। क्योंकि व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत विभिन्न परेशानियों की वजह से तनावग्रस्त रहता है। वह अपनी परेशानियों को सुलझा नहीं पाता है यानि तनाव प्रबंधन ठीक से नहीं कर पाता है। इसलिए नकारात्मक विचारधारा को बदलकर सकारात्मक विचार लाना बहुत जरूरी है।“

इस दौरान स्पर्श क्लिनिक के प्रशांत पांडेय ने बताया: “बहुत अधिक तनाव हानिकारक होता है, यह स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। साथ ही इसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य प़र भी पड़ता है। अवसादग्रस्त होकर कई बार आत्महत्या का विचार भी हावी हो जाता है। इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच रखना चाहिए। आत्महत्या करने के लिए व्यक्ति कई दिनों तक प्लानिंग करता है और तब आत्महत्या का प्रयास करता है। इस दौरान व्यक्ति के व्यवहार में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। इसे यदि समय पर पहचान लिया जाए तो आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को नया जीवन दिया जा सकता है।“ इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. जे.पी. आर्या, बाल संरक्षण गृह के अधीक्षक एस. गुप्ता एवं सीनियर नर्सिंग ऑफिसर विभा बंसरियार, भी मौजूद रहे।

‘आत्महत्या रोकथाम सप्ताह’ के रूप में मनाया जाएगा दिवस- 10 सितंबर को ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष “क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन” थीम पर यह दिवस मनाया जाएगा। इस दिवस को ‘विश्व आत्महत्या सप्ताह’ के रूप में मनाने के संबंध में उपसंचालक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. महेन्द्र सिंह द्वारा 6 सितंबर से 12 सितंबर तक मानसिक स्वास्थ्य संबंधित जन-जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रम किए जाने को निर्देशित किया गया है। इसके तहत राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी द्वारा विभिन्न कार्यक्रम किए जाएंगे। 8 सितंबर को सेंट्रल जेल में मानसिक स्वास्थ्य शिविर लगेगी, 9 सितंबर को बालिका बालविकास में बालिकाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य शिविर, 10 सितंबर को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में छात्राओं के लिए तथा 12 सितंबर को महादेव कॉलेज ऑफ नर्सिंग के छात्रों के लिए आत्महत्या रोकथाम कार्यशाला होगी।

Advertisements
Advertisements
error: Content is protected !!