धान फसल को कीट व्याधि से बचाने आवश्यक दवाईयों का करें उपयोग, फसलों में कीड़े लगने पर गौ मूत्र से तैयार जैविक कीटनाशक भी उपयोगी

कृषि एवं उद्यानिकी फसलों के लिए किसानों को दी गई समसामयिक सलाह

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कोरबा

वर्तमान में धान फसल कन्से व कहीं-कहीं गभोट की स्थिति में है। वर्तमान में धान फसल में कीट व्याधि का प्रकोप होने पर किसानों के लिए समसामयिक सलाह जारी की गयी है। कृषि अधिकारी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त भ्रमण कर किसानों को धान फसल के लिए जरूरी सलाह दी जा रही है। कृषि वैज्ञानिकांे ने धान फसल के खेत की सतत् निगरानी करने एवं खेतों में शाम सात बजे से रात के दस बजे तक प्रकाश प्रपंच का उपयोग करने की भी सलाह दे रहे हैं। जिलें में खरीफ 2022 में धान 88 हजार 789 हेक्टेयर, अन्य अनाज 11 हजार 493 हेक्टेयर, दलहन आठ हजार 335 हेक्टेयर, तिलहन दो हजार 461 हेक्टेयर एवं सब्जी 11 हजार 269 हेक्टेयर इस प्रकार कुल एक लाख 22 हजार 347 हेक्टेयर में खरीफ फसल ली गयी है। उपसंचालक कृषि श्री अनिल शुक्ला ने बताया कि किसान जैविक कीटनाशक के रूप में गौ मूत्र से तैयार अग्नि अस्त्र या ब्रम्हास्त्र का उपयोग फसल में कीड़े लगने की प्रारंभिक अवस्था में करें। यह जैविक कीटनाशक जिले के सेंद्रीपाली एवं चिर्रा के गोठानों में तैयार किया जा रहा है। उन्होने बताया कि देर से धान की रोपा की गई फसल में पत्ती मोड़क कीट दिखाई देने पर क्लोरोपायरीफास एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। धान फसल के गभोट अवस्था में तना छेदक की तितली एक मोथ प्रति वर्गमीटर होने पर पिपरोनील 5एस.एस. एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से दवा प्रयोग करें।

उपसंचालक कृषि ने बताया कि किसान धान फसल में झुलसा रोग दिखाई देने पर ट्राईसाईक्लाजोल, कवक नाशी 6 ग्राम प्रति 10 लीटर या नॉटिवो 4 ग्राम प्रति लीटर दवा का छिड़काव 10 से 12 दिन के अंतराल पर करें। जीवाणु जनित झुलसा के लक्षण दिखाई देने पर पोटाश खाद 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एवं हेक्जाकोनाजोल 1 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। भूरा धब्बा रोग का धान के पत्तो पर लक्षण दिखाई देने पर मेनकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की मात्रा से छिड़काव करें। कृषि विभाग द्वारा अन्य फसलों के लिए भी सलाह जारी की गयी है। इस मौसम में अदरक एवं हल्दी फसल में हल्की मिट्टी चढ़ाकर पलवार करने की सलाह दी गयी है। धान फसल नही लगा पाने की स्थिति में कुल्थी, रामतिल, उड़द, मूंग, सूरजमूखी, सब्जी एवं चारे वाली फसलों की बुवाई की भी सलाह जारी की गयी है। शिमला मिर्च एवं खरीफ प्याज की खेत में रोपाई करने एवं टमाटर मिर्च, बैगन, गोभी वर्गीय फसलों की नर्सरी की तैयारी करने के लिए किसानों को सलाह जारी की गयी है। साथ ही सब्जी वर्गीय फसलों में चुरड़ा-मुरड़ा के लक्षण दिखाई देने पर किसानों को डायमिथोएट 750 एमएल प्रति हेक्टेयर या मिथईल डेमेटान 750 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने कहा गया है। फसल में किसी भी प्रकार के अन्य रोग दिखाई देने पर जिले के किसान अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, विकासखण्डों मे संचालित कृषि कार्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र लखनपुर में संपर्क कर सकते है।

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