मीसा बंदियों का पेंशन प्रकरण : सुप्रीम कोर्ट के स्थगन पर कांग्रेसी खुश ना हों – सच्चिदानंद उपासने

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उपासने ने कहा कि अपनी वैधानिक अज्ञानता के परिणाम स्वरुप थोड़े दिनों तक मन के लड्डू खा लें कांग्रेसी

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के पेंशन प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन से कांग्रेसी ऐसे खुश हो रहे हैं मानो उन्होंने बहुत बड़ी लड़ाई जीत ली हो। उपासने ने कहा कि अपनी वैधानिक अज्ञानता के परिणाम स्वरुप थोड़े दिनों तक मन के लड्डू कांग्रेसी खा लें। उपासने ने कहा विधि कि यह स्पष्ट मान्यता है कि जब भी किसी निम्न न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध पीड़ित पक्ष ऊपरी अदालत में उसे चुनौती देता है, तो इस प्रकार का स्थगन आदेश जारी कर सभी पक्षकारों को अंतिम सुनवाई हेतु नोटिस जारी की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी विधिक प्रक्रिया का निर्वहन कर छत्तीसगढ़ सरकार की मीसा बंदियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पारित आदेश के विरुद्ध पेश की गई अपीलों में किया है, न कि मीसा बंदियों की पेंशन निरस्त करने बाबत कोई निर्णय दिया।

उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मीसा बंदियों के भौतिक सत्यापन के नाम पर पेंशन राशि को बंद करने के निर्णय से लेकर रमन सरकार के इस संबंध में जो भी नियम बनाए गए, उसे निरस्त करने के समस्त आदेशों को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की सिंगल और डबल बेंच ने भी अवैधानिक ठहराते हुए अपने निर्णय में छत्तीसगढ़ शासन को फटकार लगाते हुए कहा कि यह नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन है तथा यह भी फटकार लगाई इस प्रकरण में शासन ने अपनी समस्त वैधानिक सीमाओं को लांघकर दुर्भावना पूर्वक उच्च न्यायालय के निर्णय को भी बायपास करने का दुस्साहस किया है। इस टिप्पणी के साथ मीसा बंदियों को यथावत सम्मान निधि देने हेतु शासन को कोर्ट ने आदेशित किया। उपासने ने कहा कि इन्हीं आधारों पर कोर्ट में छत्तीसगढ़ शासन की याचिकाएं अंतिम रूप से निरस्त होगी व मीसा बंधुओं की जीत सुनिश्चित है।

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