बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) के सुचारू संचालन के लिए नियमित बजट में किया जाएगा प्रावधान : मुख्यमंत्री

October 18, 2021 Off By Samdarshi News

बस्तर की बादल अकादमी को संस्कृति विभाग से वित्त पोषण किया जाएगा, मुख्यमंत्री ने देवी मडई में की घोषणा

पर्यटकों को बस्तर की जनजातीय संस्कृति से रूबरू कराने पहली बार किया गया देवी मड़ई का आयोजन

देवी मड़ई : बस्तर के लोकगीतों, लोक नृत्यों और लोक कथाओं का अनोखा संगम 

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो

रायपुर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बस्तर की जनजाति संस्कृति को सहेजने और संवारने के लिए आज जिस बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) का लोकार्पण किया गया है उसके सुचारू संचालन के लिए इस अकादमी के वित्त पोषण के लिए नियमित बजट में प्रावधान किया जाएगा बस्तर की यह अकादमी राजनांदगांव के नाचा केंद्र और रायगढ़ के चक्रधर कलाकेंद्र के बाद ऐसी तीसरी संस्था होगी, जिसे संस्कृति विभाग के माध्यम से वित्त पोषण प्राप्त होगा मुख्यमंत्री ने आज देवी मड़ई में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए यह महत्वपूर्ण घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार बस्तर दशहरा के अवसर पर देवी मडई का आयोजन किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा को देखने के लिए दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों को देवी मड़ई में बस्तर की गौरवशाली लोक संस्कृति को नजदीक से देखने समझने का अवसर मिलेगा। देवी मड़ई में तीन प्रमुख पंडाल बनाये गए हैं। इनमें एक पंडाल में लोक गायन, एक पंडाल में लोक नृत्य और एक पंडाल में लोक कथा का आयोजन किया गया। इसके साथ ही बस्तरिया हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों के लिए भी पंडाल बनाया गया था। इन पंडालों में धातु शिल्प, मृदा शिल्प, बांस शिल्प, सीसल शिल्प सहित विभिन्न शिल्पों के उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इसे पर्यटक देख सकेंगे और बस्तर के स्थानीय शिल्पकारों को नया बाजार मिलेगा। मुख्यमंत्री ने मुरिया दरबार का उल्लेख करते हुए कहा कि बस्तर दशहरा हमारे लिए त्यौहार के साथ-साथ बस्तर के विकास की दिशा तय करने का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर बस्तर को सजाने और संवारने का कार्य करेंगे। मुख्यमंत्री ने बस्तर की संस्कृति से पर्यटकों को रूबरू कराने के लिए जिला प्रशासन की इस पहल की सराहना की।

इस अवसर पर उद्योग मंत्री एवं बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति दीपक बैज, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। दीपक बैज ने ने कहा कि बस्तर दशहरा के अवसर पर दो नई शुरुआत की गई है, रथ बनाने के लिए जिस स्थान से लकड़ी लाई जाती है, वहां पर्यावरण के संरक्षण के लिए पौधे लगाने के साथ-साथ इस बार देवी मडई का भी पहली बार आयोजन किया गया है। 

राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम, विधायक मोहन मरकाम, क्रेडा के अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार,नगरनिगम जगदलपुर की महापौर श्रीमती सफीरा साहू, अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू सहित अनेक जनप्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे। देवी मड़ई में किलेपाल के गौर नर्तक दल के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति मुख्यमंत्री के समक्ष दी। इसके पहले देवी मड़ई में नर्तक दलों ने घुरवा नृत्य, झांय-झांय, गेंड़ी नृत्य, डंडारी नृत्य, मड़ई नाचा की प्रस्तुति दी। श्रुति सरोज ने ध्रुपद कथक नृत्य और लावण्या दास ने संबलपुरी नृत्य प्रस्तुत किया।