HEALTH NEWS बदल रहा मौसम, बच्चों के स्वास्थ्य का रखें विशेष ध्यान : संतुलित और मौसम के अनुरूप आहार देकर करें बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रतनपुर/बिलासपुर

बदलते हुए मौसम का असर हर उम्र के लोगों को अपनी चपेट में लेता है और वह वायरल और फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। इस मौसम में तमाम सावधानियों के बावजूद कई बार बच्चों पर मौसम का असर ज्यादा हो सकता है या किसी और से बच्चे तक संक्रमण आ सकता है। इसलिए इस मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही साथ बच्चों को विशेष पोषक तत्व युक्त आहार देना चाहिए।

सर्दियों के मौसम में अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। इस मौसम में सर्दी-जुखाम, बुखार, खांसी तो बड़े से लेकर बच्चों को होती है। इस मौसम में वायरल इन्फेक्शन के साथ ही  विभिन्न प्रकार के अन्य तरह के इन्फेक्शन भी परेशान कर सकते हैं। ऐसे में बच्चों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। विशेषकर 0-6 आयुवर्ग के बच्चों के खाने-पीने, पहनने पर भी ध्यान देना जरूरी है। मौसम में बदलाव की वजह से अस्पतालों में वायरल, एलर्जी एवं इन्फेक्शन की शिकायत लेकर ज्यादातर छोटे बच्चे पहुंच रहे हैं। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रतनपुर की मेडिकल ऑफिसर एवं पीडियाट्रिशियन डॉ. पूनम सिंह ने बताया;“ हर मौसम में शरीर को कुछ विशेष पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यदि बच्चों के शरीर को जरूरी पोषक तत्व ना मिले तो वह बीमार पड़ सकते हैं। खासकर इस बदलते मौसम यानि की सर्द हवाओं वाले सर्द-गर्म वाले मौसम में बच्चों की इम्यूनिटी बहुत महत्वपूर्ण होती है। बडों की अपेक्षा छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए मौसम में बदलाव होते ही वह बीमार हो जाते है। इसके अलावा बुखार, उल्टी, दस्त, स्किन इंफेक्शन या रैशेज और फुंसियां, पेट दर्द, ड्राय कफ, निमोनिया, वायरल इंफेक्शन के शिकार भी बच्चे हो सकते हैं। इससे बचने के लिए उनके खान-पान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। अच्छे पाचन और बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए उनके भोजन में प्रोटीन, विटामिन, फाइबर, आयरन युक्त खाद्य पदार्थ को शामिल करना चाहिए।“ 

आगे उन्होंने बताया: “सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ओपी़डी में प्रतिदिन 60-65 मरीज ( विभिन्न बीमारियों और विभिन्न आयुवर्ग से संबंधित) पहुंचते हैं। इस बदलते मौसम में इन दिनों 15-20 छोटे बच्चे वायरल या अन्य की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। बच्चों में सर्दी-जुकाम या बुखार की समस्या होने पर उसंकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए, फौरन चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।  क्योंकि ऐसे में बच्चों को न्यूमोनिया या अन्य इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। “

अभिभावकों की काउंसिलिंग- डॉ. पूनम के अनुसार गर्मी से सर्दी या फिर सर्दी से गर्मी होने पर सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। इसलिए अस्पताल पहुंचने वाले बच्चों को उनके अनुरूप दवाएं तो देते हैं। साथ ही उनके अभिभावकों की भी काउंसिलिंग करते हैं ताकि बच्चा जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके। इसके अलावा मरीज के परिजनों को फालोअप की सलाह देते हैं क्योंकि स्वस्थ्य हो जाने के बाद भी बच्चे को कमजोरी रहती है। फालोअप के द्वारा उसकी कुछ दिनों तक नियमित जांच हो जाती है।  

खान-पान का ऐसे रखें ध्यान- बदलते हुए मौसम में बच्चों को (6 माह से बड़े को) सूखे मेवे जैसे – बादाम, अखरोट, खजूर, किशमिश और अंजीर खिलाएं। छोटे बच्चों को सर्दी-जुकाम होने पर भी बच्चे को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ जैसे मॉ का दूध, दाल का पानी, मसले हुए ( मैश किए ) फल देते रहना चाहिए। वहीं बच्चा 6 माह  से बड़ा है तो उसे हल्दी मिला दूध, तुलसी और अदरक मिला पानी समय-समय पर देते रहना चाहिए। साथ ही फौरन डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए। बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए।

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