छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति देश में सबसे अधिक आकर्षक : मुख्यमंत्री
October 23, 2021छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर, यहां उद्योग व्यापार की असीम संभावनाएं
राज्य में श्रम शक्ति और शांति का माहौल उद्योग व्यापार के लिए अनुकूल
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,
रायपुर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना महामारी ने दुनिया को एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया है जहां से उद्योग, व्यापार और व्यवसाय के साथ ही हर तरह के काम धंधे को एक नई पहल की जरूरत है। इसी तरह सरकारों को भी कारोबार के लिए नए वातावरण के बारे में नए तरीके से सोचने की जरूरत है। लम्बे लॉकडाउन के बाद मांग और पूर्ति को लेकर जो आशंकाएं पैदा हुई हैं उसके लिए नए तरीके की रणनितियों की जरूरत है। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज इकॉनामिक टाइम्स द्वारा आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
श्री बघेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि आज इस मंच के माध्यम से छत्तीसगढ़ के संसाधनों और रणनितियों के विचार को साझा कर रहा हूं। छत्तीसगढ़ के संसाधनों का दोहन संतुलित तरीके से करने में हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। जिसके कारण हमने लॉकडाउन के दौरान भी अर्थव्यवस्था को बचाए रखा और अनेक उपलब्धियां भी हासिल की। वास्तव में लॉकडाउन एक ऐसा दौर था, जब हर देश, हर प्रदेश और उसके क्षेत्रों में रहने वाले लोग एक दूसरे से कटे हुए थे। ऐसे समय में किसी नए काम काज की कल्पना भी संभव नहीं थी।
छत्तीसगढ़ ने अपने निर्यात का आंकड़ा दो गुना कर दिया अर्थात हमने लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ अपना उत्पादन बढ़ाया बल्कि निर्यात भी बढ़ाया है। वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ का निर्यात 9067 करोड़ रूपए था। जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 17200 करोड़ रूपए हो गया। मैं कहना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ में अपार संसाधन विद्यमान हैं। राज्य के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत वनाच्छादित हैं, आज के जमाने में यह बहुत बड़ी बात है। प्रदेश में इतनी जल सम्पदा है कि उससे सिंचाई क्षमता 75 प्रतिशत की जा सकती है। हालांकि अभी उपलब्ध जल संसाधनों से मात्र 23 प्रतिशत क्षेत्र सिंचाई की जा रही है।
श्री बघेल ने कहा कि हमारा प्रयास है कि इसे जल्द ही दो गुना कर दिया जाए। जिससे हम राष्ट्रीय औसत 38 प्रतिशत से आगे निकल जाए। खनिज संसाधन हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमारे यहां कोयले का भंडार 57206 बिलियन टन है। जो देश के कोयला भंडार का लगभग 18 प्रतिशत है। हमारे यहां 4858 मिलियन टन लौह अयस्क का भंडार है जो देश के लौह अयस्क भंडार का लगभग 22 प्रतिशत है। हमारे यहां सामरिक महत्व का टिन अयस्क भंडार 30 मिलियन टन है जो देश के कुल भंडार का 36 प्रतिशत है। टिन अयस्क के उत्पादन के मामले में हम देश के इकलौते राज्य हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सौभाग्यशाली है, यहां हीरा, अलेक्जेण्ड्राइट, स्वर्ण धातु, मैगनीज, गारनेट जैसे बहुमूल्य खनिज से लेकर चूना पत्थर, बाक्साइट, डोलोमाइट सब कुछ है। विविध खनिजों की ऐसी पूर्णता सामान्यता अन्य राज्यों में नहीं मिलती है। इस तरह एक ओर हमारे यहां खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना की अपार सम्भावनाएं हैं। वहीं दूसरी ओर हीरा सोनाधातु के खनन की भी बड़ी संभावनाएं हैं। उर्जा, इस्पात, सीमेंट और टिन उत्पादन के मामले में हम देश के प्रमुख राज्य हैं। हम अपनी आवश्यकता से अधिक दोगुना उत्पादन करते हैं, और देश के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
श्री बघेल ने कहा कि आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लाकडाउन के दौरान जब पूरी दुनिया घरों में बंद थी तब हमारे उद्योगों ने 90 से 100 प्रतिशत तक काम किया। पूरे भारत में जब इस्पात सीमेंट का उत्पादन बंद था तब छत्तीसगढ़ पूरे देश को सप्लाई कर रहा था। इतना ही नहीं हमारे यहां एग्रीकल्चर, फारेस्ट प्रोड्यूज के सेक्टर मे भी जबरदस्त तेजी इस दौरान आयी है। जब देश में बेरोजगारी दर बढ़ रही थी तब हमारे प्रदेश में बेरोजगारी दर न्यूनतम स्तर पर थी। वर्ष 2018 में जब हम सरकार में आये थे। तब बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत थी। विगत दो वर्षों में 2 प्रतिशत के न्यूनतम दर पर पहुंची और आज 3.8 प्रतिशत है। जबकि वर्तमान में भारत में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत है।
श्री बघेल ने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने छत्तीसगढ़ में अपनी विशेषताओं और क्षमताओं को उभारने की कोशिश की है। हमने अपने उपलब्ध संसाधनों के वेल्यूएडिशन की नीति अपनायी है। इस तरह हमने ऐसी नीतियां बनाई है जिनसे हम अपनी ही ताकत को इकटठ्ाकर दृढ़ निश्चय के साथ सामूहिक भागीदारी के साथ कुछ नया कर सकें।
मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने प्राथमिक क्षेत्र को सशक्त करने का बीड़ा उठाया है जिससे कृषि और वन उत्पादों को हमने लोगों के रोजगार का बड़े पैमाने पर जरिया बनाया। हमारी इस रणनीति का व्यापक असर हुआ। खेत और जंगल बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देते हैं। जिससे बहुत बड़ी आबादी की क्रय शक्ति बढ़ती है इसलिए हमने एक तरफ जहां राज्य की प्रमुख फसल धान के समर्थन मूल्य पर खरीदने की बेहतर व्यवस्था की और सर्वाधिक धान खरीदकर किसानों की जेब में पैसे डाले। वहीं धान सहित हर तरह की फसल लेने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना हमारी ऐसी योजना है जिसमें यदि आप धान की फसल लेते हैं तो 9000 रूपए प्रति एकड़ की अनुदान राशि सरकार अलग से देती है और यदि कोई धान के बदले दूसरी फसल लेता है तो उसे प्रति एकड़ के मान से 10 हजार रूपए अनुदान राशि देने की व्यवस्था की है। इस तरह हमने फसलों की किस्म और गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया है।
पहले जहां मात्र 7 लघु वनोपज की खरीदी होती थी वहां हमने अब 52 लघु वनोपज को समर्थन मूल्य पर खरीदनें की व्यवस्था की है। विगत दो वर्षों में किसानो, लघु वनोपज पर आश्रित लोगों को डीबीटी के माध्यम से 80 हजार करोड़ रूपए दिए हैं, इन पैसों से ग्रामीण बाजारों में तरलता बनी रही और इससे शहरों के कारोबार चलते रहे। इस दौरान छत्तीसगढ़ में आटोमोबाइल, इलेक्ट्रानिक, कपड़ा से लेकर सराफा बाजार तक में रौनक रही। कृषि उपकरणों की खरीदी बड़े पैमाने पर हुई । एक ओर हमने कृषि से लेकर वनोपज, गोबर तक को लोगों की आमदनी का जरिया बनाया, दूसरी ओर कृषि उपजों एवं वनोपजों के प्रोसेसिंग के लिए बड़े पैमाने पर प्रोसेसिंग यूनिट लगा रहे हैं।
हम हर ब्लाक में फुड पार्क बना रहे हैं इस तरह हमनें कृषि और वनोपज के लिए नया बाजार खोल दिया है। जो औद्योगिक विकास से जुडकर बहुत बड़ी संख्या में ग्रामीण और वन निवासी जनता में उद्यमिता का विकास करेगा। सुराजी गांव योजना के माध्यम से हमने एक ओर जल संरक्षण पर्यावरण संरक्षण और पशुधन विकास की पहल की है। वहीं दूसरी ओर जैविक खाद की का्रंति को जन्म दिया है, जिससे मिट्टी पानी और उपज की शुद्धता को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के तहत लाया जा सके।
जहां तक खनिजों के परम्परागत आधार पर औद्योगिक विकास का सवाल है, मैं कहना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नीति देश में सबसे अधिक आकर्षक है। नए निवेशकों को हम पहले की दरों से एक तिहाई कम दर पर जमीन दे रहे हैं। ईज आफ डूईंग बिजनेस के मापदंडों में देश में अव्वल चार राज्यों में शामिल है। सिंगल विंडों प्रणाली के साथ ही हमने ऐसी व्यवस्था की है, कि निवेशक को सारी अनुमतियां न्यूनतम संभावित दिनों में मिल जाए। निवेशकों को हर तरह के सहयोग देने के मामले में छत्तीसगढ़ की नीति देश में सर्वाधिक आकर्षक है। हम देश का एक तिहाई इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम उत्पादन करते हैं। साथ ही देश के सनराइज सेक्टर के लिए भी बहुत आकर्षक नीतियों के साथ हम आप जैसे उद्यामियों को आमंत्रित करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य की कनेक्टिविटी सभी राज्यों से सुगम है।
हमारे यहां श्रम शांति का गौरव शाली इतिहास है। जो इस बात की गारंटी देता है कि निवेशक यहां अपने कारोबार बहुत शांति और सद्भाव से कर सकते हैं। राज्य में अधोसंरचना के विकास पर पर्याप्त निवेश किया जा रहा है ताकि यहां कच्चे माल की आवक और निर्मित माल की निकासी में कोई समस्या न हो। अब हमारी प्राथमिकता निर्यात का संवर्धन है। जिसके लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। भिलाई में इंजीनियरिंग एक्पोर्ट प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया के कार्यालय की स्थापना की गई है। साथ ही विदेश व्यापार महानिदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना, एयर कार्गो की स्थापना की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य की नई औद्योगिक नीति 2019-24 में निर्यातक ईकाईयों को परिवहन अनुदान दिए जाने की व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन औद्योगिक नीति 2019-24 में बी-स्पोक पॉलिसी के लागू होने से 100 करोड़ से उपर का पूंजी निवेश करने वाले ईकाइयों की संख्या में वृद्धि हुई है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के साथ 140 ईकाईयों ने 6556 करोड़ रूपए के पूंजी निवेश के साथ एमओयू किया है। इन उद्योगों की स्थापना से 90 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। जिनमें एथनाल निर्माण, स्टील आधारित उद्योग, फार्मासीट्यूकल, इलेक्ट्रानिक, रक्षा उपकरण टेक्सटाइल, प्लास्टिक सेक्टर एवं खाद्य प्रसंसकरण उद्योग प्रमुख हैं। मैं बताना चाहता हूं कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का संकल्प लिया है। इसका मतलब है कि हम इनोवेशन और नवाचार को बढ़ाना देना चाहते हैं। हम प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक जीवन को भी खुशहाली के रंग में रंगना चाहते हैं। राज्य की प्राकृतिक सुंदरता घने जंगल, जल प्रपात ऐतिहासिक पौराणिक पर्यटन स्थलों को विकास के रास्ते बनाते हैं। इसके साथ ही सर्विस सेक्टर के विकास में भी बहुत ध्यान दे रहे हैं।
श्री बघेल ने कहा कि हम सदभाव और समरसता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए हम प्रदेश में आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करना चाहते हैं, इसलिए नए विचारों के साथ छत्तीसगढ़ आने वाले निवेशकों के लिए छत्तीसगढ़ बांहे पसारे खड़ा है। मुख्यमंत्री ने उद्यमियों को छत्तीसगढ़ आकर यहां के औद्योगिक वातावरण को परखने के लिए आमंत्रित किया और यह उम्मीद जताई कि उद्योगपति छत्तीसगढ़ में उद्योग व्यापार के सकारात्मक वातावरण को देखकर यहां पूंजी निवेश के लिए सहर्ष तैयार होंगे।