चिटफंड और नान मामले की जांच के लिए ‘ईडी’ को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पत्र लिखे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रेस वार्ता कर दी प्रतिक्रिया और पूछे सवाल !

चिटफंड और नान मामले की जांच के लिए ‘ईडी’ को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा पत्र लिखे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रेस वार्ता कर दी प्रतिक्रिया और पूछे सवाल !

November 9, 2022 Off By Samdarshi News

आज प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बुनियाद हिलती नजर आ रही है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयानों में परिवर्तन और बौखलाहट यह स्पष्ट संकेत हैं कि अब इस कांग्रेस सरकार का दोहरा चरित्र जल्द ही उजागर होने वाला है – डॉ. रमन सिंह

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

कल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने चिटफंड और नान मामले की जांच के लिए ईडी को 6 पन्नों का पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने 2015 में ACB की जांच का हवाला देते हुए प्रश्न चिन्ह लगाए हैं। मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी से पूछना चाहता हूं 4 वर्ष पहले जब आप विपक्ष में थे तब भी इसी तरह बिना तथ्य के झूठे आरोप-प्रत्यारोप का कीचड़ उछाल कर, लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश करते रहे, आज आप एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर हैं, इसके बावजूद जिम्मेदारी लेने के बजाय आप आज भी सिर्फ और सिर्फ झूठे आरोप लगाने की ही क्षमता रखते हैं।

4 वर्षों से पुलिस-शासन-व्यवस्था-प्रशासन सभी कुछ तो आपके हाथ में है, क्या आप अपने आरोपों को सिद्ध करने के लिए सक्षम नहीं हैं ?

चिटफंड के मामले में भूपेश बघेल ने मेरे पुत्र और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह के ऊपर बिना किसी आधार और साक्ष्य के आरोप लगाया है, तो मैं आपको आज एक और जांच की कॉपी दिखाता हूं।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की प्रेस वार्ता

यह जांच कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार की पुलिस द्वारा की गई जिसमें उन्होंने चिटफंड की जांच उपरांत स्पष्ट रूप से कहा कि “विवेचना में अपराध में शामिल धारा 406, 467, 468, 471, 384,120 बी भा.द.वि. के दंडनीय कृत्य के संबंध में स्टार प्रचारकों द्वारा प्रत्यक्ष कार्य किया जाना अथवा कार्यलोभ घटित होना स्थापित नहीं हुआ। धारा 10 निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम (2000) 3,4,6 प्राइज चिट्स एंड मनी सरकुलेशन स्कीम्स बैनिक एक्ट 1978 के अधीन निवेशकों की निवेश राशि के भुगतान में व्यक्तिगत तथा लुभावनी स्कीम के माध्यम से निर्देश प्राप्त करने अथवा स्वयं के लिए इस निवेश के माध्यम से आर्थिक लाभ प्राप्त करने में स्टार प्रचारकों की संलिप्तता स्थापित नहीं हुई।”

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भले ही ईडी की विश्वसनीयता पर शंका हो पर मुझे इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच पर विश्वास है, उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है और आप इसकी जांच के लिए ईडी को पत्र लिख रहे हैं, आपका तो मुख्य आधार ही धराशाई हो गया है।

इस पत्र में मेरी और मेरे परिवार की संपत्ति का भी उल्लेख किया गया। जिसमें बिना किसी तथ्य के मनगढ़ंत ढंग से संपत्ति में वृद्धि बताई और की गई है।

मैं आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछना चाहता हूं कि आज आप ईडी का दरवाजा खटखटा रहे हैं, जबकि नान मामले की जांच के लिए 2019 को आपने एक एसआईटी बनाई थी। प्रदेश को बताइए कि उसकी जांच का क्या हुआ ? क्या आपकी पुलिस में आपको विश्वास नहीं रहा ?

मेरे चुनाव में दिये शपथ-पत्र के आधार पर मेरी संपत्ति की जाँच की माँग संबंधी याचिका माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है. जिसमें मेरे द्वारा अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया गया है एवं उस याचिका में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा भी अपना जवाब प्रस्तुत किए गया है। जिसमें स्पष्ट रूप से शपथ-पत्र पर बताया गया है कि है कि 2003 से 2018 तक मेरे सभी इलेक्शन एफिडेविट की जाँच की जा चुकी है एवं कोई भी गड़बड़ी मेरे आय और संपत्ति के संबंध में नहीं पाई गई है। आप न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखिए कोर्ट में सबकी सच्चाई सामने आ जायेगी।

क्या आपकी पुलिस ने आपकी एसआईटी ने नान और चिटफंड मामले की जांच अब तक पूरी नहीं की और अगर पूरी कर ली तो आपने जिस जनता के सामने चीख-चीख कर नान और चिटफंड की बात कही थी, उसकी जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की ?

आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सिर्फ ईडी को पत्र लिखकर राजनीति कर रहे हैं, एक तरफ जब इसी ईडी ने प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही की तो मुख्यमंत्री बघेल उनके संरक्षक बनकर सामने आ जाते हैं और ईडी के अधिकारियों को धमकी देने लगते हैं। उनकी जांच और विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाते हैं और अब प्रदेश के चिटफंड और नान मामले में ईडी से जांच हेतु निवेदन करने लगते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो रिपोर्ट सार्वजनिक करने से रहे, क्योंकि उस रिपोर्ट में उनका राजनीतिक हित नहीं बल्कि सिर्फ सत्य निहित है।

लेकिन मित्रों आज जब पत्रों की बात हो ही रही है तो मैं आज एक पत्र आप को भी दिखाना चाहूंगा, यह वह पत्र है जिसे तात्कालिक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टी. एस. सिंहदेव ने 12 अप्रैल 2017 को प्रधानमंत्री जी को लिखा था। “इस पत्र में प्रदेश कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता और महत्वपूर्ण पद पर बैठे हुए पदाधिकारियों जिसमें आज एक प्रदेश का मुख्यमंत्री है और दूसरा कैबिनेट मंत्री है। इन दोनों ने लिखा था कि नान मामले के मुख्य आरोपी आईएएस अनिल टुटेजा और आईएएस आलोक शुक्ला के खिलाफ ईडी द्वारा FIR कर तुरंत गिरफ्तारी हो तो आज इन दोनों अधिकारियों को बचाने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में बड़े-बड़े वकीलों की फौज क्यों खड़ी की जा रही है।“

* इस पत्र में जिस आईएएस आलोक शुक्ला को 2017 में भूपेश बघेल और टी. एस. सिंहदेव नान मामले का मुख्य आरोपी मानकर देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे थे। उस अधिकारी को संविदा पर नियुक्ति देकर पहले छत्तीसगढ़ शासन का महत्वपूर्ण पद क्यों सौंपा गया ?

* आज भूपेश बघेल को यह जवाब देना होगा कि इन दोनों अधिकारियों को भूपेश सरकार ने शासन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर संरक्षण क्यों दिया है ?

* 2017 तक जो अधिकारी इन्हें नान के मुख्य आरोपी लगते थे, आज उनका नाम भी नहीं लेते हैं। आखिर ऐसी क्या सांठ-गांठ है, क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए ?

* मुख्यमंत्री भूपेश जी नान मामले की जांच ईडी पहले से कर रही है और प्रदेश से दूसरे राज्य में ट्रांसफर करना चाहती है ताकि निष्पक्ष जांच हो तो भूपेश बघेल उसमें अड़ंगा क्यों लगा रहे हैं ?

यह तो प्रदेश की व्यवस्था के लिए शर्मनाक बात है कि एक जिम्मेदार केंद्रीय एजेंसी को यह कहना पड़े कि प्रदेश का मामला दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने की नौबत आ रही है, क्योंकि उन्हें भी अपनी कार्यवाही में यह महसूस हो रहा है कि सत्ता में बैठे कांग्रेस के लोग निष्पक्ष जांच में अड़चन डाल रहे हैं। भूपेश जी आप किस मुंह से ईडी और जांच की दुहाई दे रहे हो ?

अगर आपने वास्तव में चाहा होता कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और आरोपियों को सजा मिले तो छत्तीसगढ़ की पुलिस और एसआईटी अब तक निर्णायक नतीजों पर पहुंच चुकी होती। इसलिए नौटंकी बंद करिए और यदि आपमें सामर्थ हैं और आपकी नियत साफ है तो सुप्रीम कोर्ट में नान मामले में दखल देना बंद करिए, आरोपियों के संरक्षक मत बनिए और ईडी को अपनी जांच करने दीजिए।

इस सब मामले में यह बड़ा आश्चर्य का विषय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ईडी को जांच के लिए 15 दिन का समय दिया है और कहा कि यदि यदि जांच नहीं करेगी तो मैं न्यायालय जाऊंगा। अरे भूपेश बघेल जी ! यह धमकी भरा लहज़ा छोड़िए और न्यायालय के दरवाजे सबके लिए खुले हैं, आपको रोका किसने है। लेकिन किसी भी मुख्यमंत्री को एक केंद्रीय एजेंसी को इस तरह धमकी देना शोभा नहीं देता। आप पहले जन घोषणा-पत्र के वादों से पलटे, आरोपी अधिकारियों पर कार्यवाही से पलटे, अपनी पार्टी के अंदर भी आपने खूब पलटी मारी, लेकिन अब बंदरों की तरह गुलाटी मारने से काम नहीं चलेगा भूपेश जी।