मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुढ़ियारी में आयोजित शिव महापुराण कथा में शामिल होकर प्रदेश की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुढ़ियारी में आयोजित शिव महापुराण कथा में शामिल होकर प्रदेश की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया 

November 13, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर स्थित दही हांडी मैदान, गुढ़ियारी में आयोजित शिव महापुराण कथा में शामिल हुए। उन्होंने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को नमन किया और प्रदेश की सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन भी उपस्थित थे ।  

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि आप सभी पिछले एक सप्ताह से बहुत अच्छा शिवकथा महापुराण सुन रहे हैं । यहाँ लाखों लोग रोज आ रहे हैं, मैं आप सब को नमन करता हूं । उन्होंने कहा कि आप सभी  देवाधिदेव महादेव के बारे में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी से कथा श्रवण कर रहे हैं । महादेव सबसे बड़े अवघड़ दानी, ज्ञानी और ध्यानी हैं । महादेव ने ही दुनिया में सबसे पहले विवाह नाम की संस्था को स्थापित किया, सबसे पहले संगीत की रचना की और सबसे पहले नृत्य की रचना की, जिनके तांडव नृत्य से हम सभी बखूबी परिचित हैं । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान शिव सभी दिशाओं में स्थित हैं भगवान राम ने जहां उत्तर से दक्षिण की ओर यात्रा की, भगवान कृष्ण ने उत्तर से पश्चिम की ओर यात्रा की है परंतु एकमात्र शिव देश के हर प्रत्येक कोने में विराजमान हैं । गांव गांव में शिव विराजमान है कोई उन्हें शिव कहते हैं, कोई शंकर, कोई महादेव, कोई बूढ़ादेव तो कोई बड़ा देव लेकिन प्रत्येक रूप में शिव की ही पूजा करते हैं । बिना शिव के ना तो राम की कथा हो सकती है और ना ही कृष्ण की । शिव के बिना किसी का गुजारा संभव नहीं है, इसीलिए आज कथा सुनने लाखों की तादाद में आप सभी यहां उपस्थित हैं । 

श्री बघेल ने कहा कि भगवान शिव के हाथों में जहां डमरु है, त्रिशूल है, वहीं गले में सर्प की माला और नंदी का भी विशेष स्थान है । मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि यह दुखद है कि नंदी  को आज आवारा पशु के रूप में छोड़ दिया जाता है, गाय दूध देती है इसलिए उसका पालन किया जाता है । हमारी छत्तीसगढ़ सरकार ने गाय और बैल दोनों के जतन का जिम्मा उठाया है । वर्तमान समय में जहाँ पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होने की समस्या रहती है, वहीं छत्तीसगढ़ में हमने लोगों से पैरा दान करने की अपील की है ताकि पर्यावरण प्रदूषित भी न हो और आवारा मवेशियों को गौठानों की सहायता से चारा की उपलब्धता बनी रहे । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में पैरा दान का अभियान चल रहा है जिससे प्रदूषण में रोकथाम होगी और मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था होगी । कथा सुनने आये लोग अपने सामर्थ्य अनुसार धन और धान का दान करते हैं, माताएं जिनकी बेटियाँ हैं वह कन्यादान करती हैं कन्या दान सबसे बड़ा दान है । हमारी सरकार ने किसानों से पैरा दान की अपील की है और  सड़क पर घूमने वाले मवेशियों से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रदेश भर में गौठान भी  बना रहे हैं ।  पूरे देश में छत्तीसगढ़ सरकार एकमात्र ऐसी सरकार है जो 2 रुपये किलो की दर से गोबर की और 4 रुपये प्रति लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी कर रही ।  हमारी सरकार ने योजना के तहत अब तक 89 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की है, जिससे 20 लाख क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया जा चुका है । अब हमारा प्रदेश जैविक खेती की ओर अग्रसर हो चुका है, आने वाले वर्षों में यह प्रदेश ऑर्गेनिक स्टेट के रूप में जाना जाएगा । जिससे फसल बचेगा और अनाज शुद्ध भी होगा, जिससे बीपी शुगर जैसी बीमारियों से बचना सम्भव हो सकेगा । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार श्री राम वनगमन परिपथ के अंतर्गत प्रदेश में  भगवान श्रीराम से सम्बंधित स्थलों का विकास कर रही है । जिसके तहत प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ में स्थित एकमात्र कौशल्या माता का मंदिर जीर्णोद्धार किया गया, अब प्रत्येक शनिवार और रविवार को वहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु आने लगे हैं । इसी क्रम में गत वर्ष शिवरीनारायण मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, वहां महानदी के किनारे 51 फीट ऊंची श्री राम की प्रतिमा स्थापित की गई है और  इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने योजना में राजिम का चयन किया है, जिसके अंतर्गत वहां आने वाले साधु जनों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों, अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों के ठहरने के लिए स्थाई टेंट का निर्माण और वर्ष भर चलने वाले विभिन्न आयोजनों के लिए 55 एकड़ जमीन चिन्हांकित कर  विकसित की जा रही है ।