श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में तप कल्याणक दिवस पर हुआ मंगल अभिषेक

श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में तप कल्याणक दिवस पर हुआ मंगल अभिषेक

November 18, 2022 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, भिलाई

श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान गुरुवार को दशहरा मैदान रिसाली में तप कल्याणक दिवस के अवसर पर श्री 108 विशुद्ध सागर महाराज के अमृत वचनों से ससंघ भक्तों ने प्रतिष्ठाचार्य दीवान जी के मंत्रोच्चार के साथ मंगल अभिषेक और शांतिधारा की। जहां आज पंच कल्याणक महोत्सव समिति के संयोजक मंडल एवं समिति के सदस्यों ने आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज को श्रीफल अर्पण कर पादप्रच्छालन करते हुए मंगल आशीर्वाद ग्रहण किया।

इस अवसर पर सुबह मंडप स्थल पर सौधर्म इंद्र इंद्राणी, महायज्ञ नायक, कुबेर इंद्र, महेन्द्र इंद्र, सनत इंद्र, इशान इंद्र सहित सैकड़ों इंद्र-इ्रद्राणियों ने तप कल्याणक की पूजा आराधना करते हुए प्रतिष्ठा होने वाले पूजन स्थल पर भक्तिभाव के साथ अर्घ्य समर्पण किया। इस अवसर पर आज परम पूज्य आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज जी एवं आचार्य श्री विराग सागर महाराज के छायाचित्र पर दीप प्रज्ज्वलन समाज सवियों द्वारा किया गया। जहां आचार्य श्री के पाद प्रच्छालन करने का सौभाग्य हरिप्रकाश जैन दुर्ग एवं आचार्य श्री को शास्त्र भेंट श्री नेमीचंद बाकलीवाल ने सपत्निक कर आशीर्वाद ग्रहण किया। मंच संचालन प्रतिष्ठाचार्य के साथ मुख्य संयोजक प्रशांत जैन ने भिलाई दुर्ग के सभी मंदिरों के पदाधिकारियों को श्रीफल अर्पण कराते हुए अध्यक्ष दिनेश जैन के साथ सभी का अभिवादन किया।

जब तक कारण नहीं होगा कार्य नहीं हो सकता
आज आचार्य श्री ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जब तक कारण नहीं होगा कार्य नहीं हो सकता। आज आप जो यह पंचकल्याणक करा रहे हैं जहां यह मंडप की स्थापना इसलिए किए हो क्योंकि यहां मुनिगणों के मंगल प्रवचन का धर्मलाभ और पुण्यार्जन करने के लिए आप सभी अरिहंत भगवान की प्रतिष्ठा और स्थापना हेतू यहां पधारे हैं। क्योंकि तीर्थंकर देव की देशना और जिनवानी, उपदेश ग्रहण करने का आपलोगों का मुख्य उद्देश्य है।

कारण को देखकर की कार्य का होता है बोध
कारण को देखकर ही कार्य का बोध होता है। बंधुओं अज्ञान को पचाने की क्षमता है यदि आपमें तो ज्ञान को पचाने की क्षमता भी होनी चाहिए। वस्तु के स्वाभाव का बोध होना चाहिए। तत्क्षण का निर्णय बहुत ही घातक होता है जैसे असंवाद, तलाक, झगड़ा, क्रोध के वशीभूत होकर जघन्य अपराध इसका मुख्य कारण है। आप तत्क्षण के कारण कई बार गलत निर्णय ले लेते हैं। मोह में फंसकर धन कमाने में लगे हो कुछ समय ज्ञान अर्जन करने में भी लगाएं। यदि आप अपना सत्कर्म करेंगे तो अपना और देश का कल्याण करेंगे।

दिगंबर मुनि किसी वस्तु के प्रचारक नहीं है, भगवान को भगवान के रूप में देखने आप सभी भक्त बनकर आना और आत्मीय भाव से जिनवाणी का संदेश ग्रहण करें। हम दिगंबरत्व के प्रचारक हैं। समता से भगवान बनाया जा सकता है। कष्टसहश्री ग्रंथ का उल्लेख भी आचार्य श्री ने करते हुए बताया कि आप सभी अपने जीवन को सुरक्षित रखते हुए बैर भाव को मिटाते हुए बगैर किसी से ईश्र्या का भाव न रखते हुए अपने जीवन को सार्थक करने मुनि गणों की तरह सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र का भाव रखते हुए केवल ज्ञान की प्रप्ति का लक्ष्य रखें। आज आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त करने विश्व व्यापार परिवार के प्रदीप जैन एवं गुरुकृपा परिवार के नरेन्द्र जैन पहुंचे। 

18 नवंबर को ज्ञानकल्याण दिवस के अवसर पर आदि कुमार भगवान के आहार चर्या पंचकल्याण मंडप स्थल दशहरा मैदान में आचार्य श्री के प्रवचन उपरांत होगा।