भाजपा विधि प्रकोष्ठ और भाजपा नेता हाईकोर्ट के आदेश और सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों से अनजान बनकर झूठ बोल रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी का मूल चरित्र आरक्षण विरोधी है !

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रमन सरकार ने षडयंत्रपूर्वक ‘ननकीराम कंवर कमिटी’ और ‘सीएस कमिटी’ के आंकड़े छुपाये, अब भाजपाई घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी का मूल चरित्र आरक्षण विरोधी है। भाजपा विधि प्रकोष्ठ अनर्गल बयानबाजी कर दूसरों पर दोष मढ़कर रमन सरकार के षड्यंत्रों पर पर्दा डालने का कुत्सित प्रयास कर रहा हैं। जब रमन सरकार के दौरान 58% प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया, तब प्रमाणित आधार प्रस्तुत करने और नवी अनुसूची में शामिल करवाने की ज़िम्मेदारी तत्कालीन रमन सिंह सरकार की थी, लेकिन जानबूझकर इरादातन अकर्मण्यता दिखाई गई। उस वक्त भाजपा विधि प्रकोष्ठ के नेता मुंह में दही जमाए बैठे थे। हाईकोर्ट के निर्णय में उल्लिखित तथ्य और ननकीराम कंवर के बयान से भाजपा के आरक्षण विरोधी पाप उजागर हो चुके हैं। हाईकोर्ट के निर्णय में यह भी स्पष्ट है कि आरक्षण के आधार के लिए तथ्य जुटाने गठित नानकीराम कंवर और सीएस की अध्यक्षता में जो दो कमेटियां बनाई गई थी उनके दस्तावेज का उल्लेख न शपथ-पत्र में था, जो 2018 से पूर्व ही जमा किए जा चुके थे। भूपेश बघेल सरकार आने के बाद न्यायालय ने दस्तावेज़ ग्राह्य करने से इस आधार पर इनकार कर दिया कि पूर्ववर्ती रमन सरकार ने शपथ-पत्र में कमेटियों के दस्तावेजों का ज़िक्र ही नहीं किया था।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा तो मुखौटा है इनके पितृ संघठन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण विरोधी बयान सर्वविदित है। हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने 2006 के वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानो को शिथिल कर आदिवासी हितो पर प्रहार किया, तब भी भाजपा नेता मौन थे। 2023 में होने वाली जनगणना के जनसंख्या रजिस्टर में जाति के कालम को शामिल करने से मोदी सरकार ने इनकार किया, तब भी भाजपाई मौन है। केंद्रीय सचिवालय में बिना आईएएस परीक्षा पास किए, बिना आरक्षण, लेटरल एंट्री से अपने पूंजीपति मित्रों के कार्पोरेट कर्मचारियों को सीधे अधिकारी बना रहे हैं, सरकारी उपक्रमों के अंधाधुंध निजीकरण से आरक्षित वर्ग के युवाओं के सरकारी नौकरी के अधिकारों को बेच रही है मोदी सरकार, तब भी भाजपा के तमाम नेता मौन है। इसी तरह जब रमन सिंह के कुशासन में संवैधानिक दायित्व निभाने की ज़िम्मेदारी थी, रमन सरकार को न्यायालय में पक्ष रखने और नवीं अनुसूची में शामिल करवाने का दायित्व था तब भाजपा विधि प्रकोष्ठ मौन रहे। रमन सरकार के दौरान 27% प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में कोई प्रयास नहीं किया गया। अब भूपेश सरकार ईमानदार प्रयास कर रही है तो भाजपाई घड़ियाली आंसु बहा रहे हैं।

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