सतत् विकास लक्ष्य की जिला स्तर पर मॉनिटरिंग हेतु ’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क’’ पर संभागीय प्रशिक्षण आयोजित

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राज्य योजना आयोग ने बस्तर संभाग से की प्रशिक्षण की शुरुआत

सही निगरानी से योजनाएं होंगी सफल: सदस्य सचिव, राज्य योजना आयोग

सटीक आंकड़ों से योजनाओं के क्रियान्वयन में आएगी कसावट: कमिश्नर श्री धावड़े

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जगदलपुर

राज्य योजना आयोग द्वारा सतत् विकास लक्ष्य (एस.डी.जी.) के जिला स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग हेतु तैयार किये गये ’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क’’ तथा उस फ्रेमवर्क पर आधारित ’’एस.डी.जी. डैशबोर्ड’’ के संबंध में जिला स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। राज्य योजना आयोग द्वारा मंगलवार 6 दिसंबर को बस्तर संभाग से जिला स्तरीय अधिकारियों के प्रशिक्षण की शुरुआत की गई।

इस अवसर पर राज्य योजना आयोग के सदस्य सचिव श्री अनूप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बस्तर से जिलास्तरीय अधिकारियों का प्रशिक्षण प्रारंभ हो रहा है, इससे छत्तीसगढ़ में बस्तर का महत्व इंगित होता है। उन्होंने कहा कि राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किया गया ’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क’’ बहुत उपयोगी फ्रेमवर्क है, जो कि वैश्विक एस.डी.जी. लक्ष्यों को जिलो में प्रभावी रूप से लागू करने में सहायक होगा। फ्रेमवर्क को ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित विभागों के जिला अधिकारी उनके विभाग की योजनाओं का प्रभावी रूप से मॉनिटरिंग कर सकेंगे। ’’एस.डी.जी. डैशबोर्ड’’ के माध्यम से फ्रेमवर्क के इंडिकेटर्स अंतर्गत प्राप्त प्रगति परिलक्षित हो सकेगी, जिलों को स्कोर व रैंकिंग प्रदान की जाएगी, जिससे प्रतिस्पर्धात्मक परिवेश में अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ प्रदाय करने में तत्परता से कार्य होगा। उन्होंने बताया कि राज्य योजना आयोग द्वारा सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर तैयार किये गये ’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क’’ को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा अगस्त 2022 में जारी किया गया था तथा आशा की गई है कि विभागीय व जिला प्रशासन के अधिकारी इसके आधार पर प्रभावी अनुश्रवण व अनुशीलन करेंगे। डी.आई.एफ. में कुल 82 इंडिकेटर्स का समावेश किया गया है। जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में ’’जिला स्तरीय एस.डी.जी. क्रियान्वयन एवं निगरानी समिति’’ भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित की गयी है।

संभागायुक्त श्री श्याम धावड़े ने कहा कि बस्तर भौगोलिक विषमताओं से भरा वनांचल है। यहां विकास की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि योजनाओं की सफलता के लिए आवश्यक है कि उनकी सही ढंग से निगरानी की जाए। जनता की आवश्यकताओं को देखते हुए योजनाओं का निर्माण किया जाता है और संसाधन उपलब्ध कराया जाता है। आंकड़ों की सटीकता से योजनाओं के क्रियान्वयन में कसावट आती है, जिससे सही लक्ष्य प्राप्त होता है। उन्होंने संवेदनशील क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सड़क, बिजली, पानी आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर देते हुए सभी अधिकारियों से सर्वश्रेष्ठ कार्य करने की अपील की।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रकाश कुमार धुर्वे ने कहा कि डी.आई.एफ. में इंडिकेटर्स सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय पहलुओं पर मुख्यतः केन्द्रित है, जिनमें प्रगति लाने से सामाजिक-आर्थिक विकास होना सुनिश्चित है। ’’एस.डी.जी. डैशबोर्ड’’ के माध्यम से प्रत्येक लक्ष्य विरूद्ध प्रगति की जानकारी त्वरित रूप से प्राप्त होगी, जिससे अपेक्षानुसार मिड कोर्स करेक्शन, संसाधनो का पुनर्वितरण कर योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित होगा।

राज्य योजना आयोग के संयुक्त संचालक डाॅ. नीतू गौरडिया द्वारा ’’डी.आई.एफ.’’, ’’एस.डी.जी. डैशबोर्ड’’ तथा डाटा की महत्ता संबंध में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गयी तथा प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान भी किया गया।

कार्यक्रम में बस्तर संभाग की जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, वन मंडलाधिकारी तथा संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी, व जिला योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम में राज्य योजना आयोग से श्री शिवेन्द्र दुबे तथा श्री अमरदीप विश्वकर्मा भी उपस्थित रहे।

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