सिंहदेव की व्यथा बता रही है कि कांग्रेस में 2003 जैसी भगदड़ मचेगी – नारायण चंदेल

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव के बयान के हवाले से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। श्री चंदेल ने कहा कि सरगुजा के सूरजपुर में वरिष्ठ मंत्री श्री सिंहदेव ने व्यथित होकर कहा है कि उन्हें चुनाव के पहले अपने भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लेना पड़ेगा। यह इस बात का संकेत है कि छत्तीसगढ़ में एकला चलो की नीति चल रही है। सरकार में कोई टीमवर्क नहीं है। इसके पहले भी सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने सरकार के कामकाज की खुले तौर पर आलोचना की। जो इस बात का द्योतक है कि स्थिति क्या है। टीएस सिंहदेव घोषणा पत्र समिति के संयोजक थे और वे राज्य में जहां भी जा रहे हैं, उनसे जनता वादों को पूरा न करने का जवाब मांग रही है। जिससे वे व्यथित हैं। श्री सिंहदेव के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस में क्या पक रहा है।

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि कांग्रेस में चल रहे सत्ता संघर्ष के कारण प्रदेश की जनता के हित प्रभावित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल न स्वयं कोई काम कर रहे हैं और न ही श्री सिंहदेव को करने दे रहे हैं। 4 साल का इतिहास साक्षी है कि सिंहदेव जी को किस तरह उपेक्षित किया गया है। उनके विभागीय कामकाज प्रभावित किए गए हैं। जिससे दुखी होकर ही उन्होंने पंचायत जैसा महत्वपूर्ण विभाग मुख्यमंत्री को लौटा दिया। पंचायत विभाग छोड़ते समय श्री सिंहदेव ने सारी बातें इतने स्पष्ट तौर पर सार्वजनिक की हैं कि भूपेश बघेल सरकार के अंतः पुर की कलह सामने आने के साथ-साथ यह भी जनता को पता चल गया कि मुख्यमंत्री ने पंचायत मंत्री के साथ जो व्यवहार किया, उससे छत्तीसगढ़ की जनता के हित प्रभावित हुए। गरीबों को प्रधानमंत्री आवास नहीं मिल सके। इसी तरह श्री सिंहदेव के स्वास्थ्य विभाग को बदहाल बना दिया गया है। इसका भी सीधा असर छत्तीसगढ़ की आम जनता पर पड़ रहा है। इस सरकार की विदाई तो तय है लेकिन अब सिंहदेव जी के बयान से यह खुले संकेत मिल गए हैं कि कांग्रेस में चुनाव के पहले क्या होने वाला है। यह तय है कि चुनाव के पहले भूपेश बघेल को छोड़कर कई स्वाभिमानी कांग्रेसी उसी तरह पार्टी छोड़कर जाएंगे जैसे 2003 के चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कारण कांग्रेस छोड़कर कई दिग्गज नेता चले गए थे।

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