मनरेगा से जिले की 169 महिलाओं को मिला मातृत्व भत्ता का लाभ, भत्ता के रूप में गर्भवती-शिशुवती महिलाओं को एक माह की मजदूरी राशि दी गई, महिला स्वास्थ्य और शिशु पोषण की दिशा में प्रभावी प्रयास

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कोरबा

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार के गारंटी योजना में कार्य करने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वयं एवं उनके नवजात शिशुओं के देखभाल के लिए मातृत्व भत्ता प्रदान किये जा रहे हैं। इसके तहत जिले में 169 महिलाओं को मातृत्व भत्ता का लाभ दिया गया है। गर्भवती-शिशुवती महिलाओं को  1 माह की मजदूरी की राशि प्रदाय की गई है। जिससे वह स्वयं और शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उपयोग कर सकेंगी। कलेक्टर श्री संजीव झा के द्वारा जिले में शिक्षा, सुपोषण एवं स्वास्थ्य की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जिले में जहाँ एक ओर स्कूल आश्रमों को विकसित किया जा रहा है और वहीं दूसरी ओर मनरेगा के तहत जिले की गर्भवती महिलाओं को प्रसूति अवधि में बेहतर देखभाल के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके तहत गर्भवती-शिशुवती महिलाओं को 1 माह की मजदूरी राशि उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की गई है। यह राशि प्राप्त करके लाभान्वित महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान आ गई हैं।

जिला पंचायत के सीईओ श्री नूतन कुमार कंवर ने बताया कि मातृत्व भत्ता के रूप में जनपद पंचायत करतला अंतर्गत 13 महिलाओं को, जनपद पंचायत कोरबा में 16 महिलाओं को, कटघोरा में 11 महिलाओं को, जनपद पंचायत पाली में 97 महिलाओं को एवं जनपद पंचायत पोडी उपरोडा में 32 महिलाओं को प्रचलित दर के अनुसार 1 माह की मजदूरी राशि उनके खातों में हस्तांतरित की गई है। इसके अतिरिक्त मांग अनुसार 36 महिलाओं को मातृत्व भत्ते की स्वीकृति की प्रक्रिया की जा रही है। उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कार्यरत गर्भवती महिलाओं को प्रसूति अवधि के दौरान मांग के आधार पर 1 माह की मजदूरी के बराबर की राशि मातृत्व अवकाश भत्ता के रूप में दी जाती है। यह राज्य पोषित योजना है। इस योजना का उद्देश्य प्रसूति अवधि के दौरान जॉब कार्ड धारी महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार तथा स्वस्थ शिशु जन्म के लिए सहायता उपलब्ध कराना है। मातृत्व भत्ता के लिए पात्रता आवेदित महिला का नाम मनरेगा के अंतर्गत पंजीकृत परिवार को जारी जॉब कार्ड में अंकित होना चाहिए। मनरेगा के अंतर्गत महिला ने विगत 12 माह में कम से कम 50 दिवस का कार्य किया हो। मातृत्व भत्ता के लिए जीवित शिशु जन्म होने की अनिवार्यता नहीं है। स्टिलबर्थ यानी अभी जन्मे बच्चे की स्थिति में भी यह भत्ता दिया जाएगा। मातृत्व भत्ता हेतु आवेदिका को अपना आवेदन संबंधित ग्राम पंचायत में जमा करना होता है। आवेदन के साथ गर्भधारण की पुष्टि हेतु निकट स्थित मितानिन द्वारा जारी प्रमाण पत्र संलग्न किया जाता है। सामान्यतः आवेदन गर्भधारण की तीसरी तिमाही से पूर्व या दौरान दिया जाता है। यदि किसी आवेदिका के द्वारा इस अवधि में आवेदन नहीं दिया गया हो तो उन्हें मातृत्व भत्ता से वंचित नहीं रखा जाएगा बशर्ते प्रसूति के एक  माह के अंदर आवेदन प्रस्तुत किया गया हो। मातृत्व भत्ते के तहत महिला को प्राप्त राशि उसके द्वारा किए गए कार्य तथा बेरोजगारी भत्ते के लिए भुगतान की राशि के अतिरिक्त होती है।

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