दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर रेल मंडल के जामगा स्टेशन को चौथी  लाइन से जोड़ने के लिए जामगा स्टेशन में नॉन इंटरकनेक्टिविटी का किया जायेगा कार्य

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इस कार्य में किसी भी यात्री ट्रेन को कैंसिल, रेग्युलेटिंग, रिशिड्यूलिंग , शॉर्ट टर्मिनेटिंग या डाइवर्सिंग नही किया जा रहा

बिलासपुर-झारसुगुडा चौथी लाइन परियोजना दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की महत्वपूर्ण परियोजना है, जिससे भविष्य में यात्री सुविधाओं में वृद्धि होगी

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बिलासपुर

बिलासपुर-झारसुगुडा के बीच चौथी रेल लाइन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की एक महत्वपूर्ण तथा  व्यस्त रेल मार्ग है, जो  इस पूरे क्षेत्र को उत्तर भारत से जोड़ती है । परिचालन को और भी सुचारू तथा नई गाडियों के मार्ग प्रशस्त करने के लिए नई लाइनों का निर्माण कार्य किया जा रहा है । इससे आधारभूत संरचना में विकास के साथ नई यात्री सुविधाओं में वृद्धि के साथ यात्री ट्रेनों की समय बद्धता में वृद्धि होगी । इसी दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करते हुए झारसुगुडा से बिलासपुर  के बीच चौथी लाइन का कार्य किया जा रहा है । 

इसके अंतर्गत बिलासपुर- झारसुगुडा सेक्शन के जामगा  रेलवे स्टेशन को चौथी लाइन से जोड़ने के लिए नॉन इंटर लॉकिंग का कार्य किया जाएगा । ज्ञात हो कि बिलासपुर-झारसुगुडा रेलमार्ग की लंबाई 151 किलोमीटर है, जिसके विभिन्न स्टेशनों को चौथी लाइन से जोड़ा भी जा चुका है ।  इस कार्य को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है । 

इस कार्य को तीव्र गति से पूरा करने हेतु बिलासपुर मंडल के जामगा  स्टेशन में तीसरी लाइन कनेक्टिविटी के अंतर्गत नान-इंटरलाकिंग का कार्य 28 फ़रवरी से 03 मार्च, 2023 को किया जाएगा । अभिनव तरीके से संपादित किए जाने वाले इस कार्य के सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें किसी भी यात्री ट्रेन को कैंसिल,रेगुलेशन, रिशिड्यूलिंग, शॉर्ट टर्मिनेटिंग, डाइवर्जिंग नही किया जा रहा है । इसके तहत नान-इंटरलाकिंग कार्य 01 दिन में किया जाएगा ।   

बिलासपुर-झारसुगुडा चौथी रेल लाइन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की एक बहुत महत्वपूर्ण लाइन है, जो मध्य भारत के इस क्षेत्र  को उत्तर भारत से जोड़ने  हेतु सेतु का कार्य करती है । नागपुर से हावड़ा और उससे भी आगे इस पूरे क्षेत्र की मध्य भारत और दिल्ली, मुंबई, मद्रास, कोलकत्ता, भोपाल, जबलपुर, कोटा, इलाहाबाद जैसे महत्वपूर्ण नगरों से जुड़ाव इसी लाइन के द्वारा होता है । चौथी  लाइन का कार्य पूरा होते ही भविष्य में गाड़ियों के परिचालन में गतिशीलता आने के साथ ही इस क्षेत्र  के आर्थिक और सामाजिक  विकास के नए आयाम प्रशस्त होंगे ।

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