शहीद दिवस पर संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया किसान सभा और भू विस्थापितों के संघ ने, 5 अप्रैल को दिल्ली में मजदूर-किसान संघर्ष रैली को सफल बनाने का आह्वान भी

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कोरबा

छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ ने आज 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की 92वीं शहादत दिवस को मनाया तथा उनके शोषण विहीन, वर्ग विहीन समाज के निर्माण के संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया। कुसमुंडा में 507 दिनों से चल रहे धरना स्थल में तीनों शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई तथा उनकी तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस वर्ष यह दिन किसान आंदोलन, विस्थापन और रोजगार से जुड़ी मांगो को केंद्र में रखकर मनाया गया। सभा में इंकलाब जिंदाबाद के नारों के साथ मोदी सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ 5 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित मजदूर-किसान संघर्ष रैली को भी सफल बनाने की अपील की गई।

शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को  किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा, जय कौशिक, सुमेंद्र सिंह कंवर तथा भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, रेशम यादव, रघु, हरिहर आदि ने संबोधित किया।

किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और जय कौशिक ने कहा कि भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को हुआ था और देश की आजादी के लिए 23वर्ष की उम्र में हंसते हंसते फांसी पर चढ गए। उनका सपना था कि भारत आजाद होगा, तो सबको एक समान शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी मिलेगी, हर खेत में पानी पंहुचेगा और खुशहाली आएगी। शोषण, अन्याय मुक्त व बराबरी पर आधारित जिस आजाद भारत का सपना उन्होंने देखा था, वह उनकी शहादत के इतने साल बाद भी अधूरा है।

शहीद भगत सिंह के विचारों को जन-जन तक ले जाकर जन आंदोलन के लिए प्रेरित करना होगा, क्योंकि भगत सिंह का सपना जन आंदोलन से ही पूरा हो सकता है

सभा को संबोधित करते हुए किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भगतसिंह हमारी आजादी के आंदोलन के एक प्रखर साम्राज्यवाद विरोधी प्रतीक है, जिन्होंने समानता पर आधारित एक शोषणमुक्त, समाजवादी समाज का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने देश की मेहनती जनता की एकता पर बल दिया था। लेकिन आज मोदी सरकार जिस तरह हमारी अर्थव्यवस्था को अमेरिका और कॉरपोरेटों के हाथों बेचने पर आमादा है, उससे हमारे देश की राजनैतिक-आर्थिक आज़ादी खतरे में है। जब तक मनुष्य द्वारा मनुष्य का शोषण जारी रहेगा हमारा संघर्ष भी जारी रहेगा। हम ऐसी आजादी चाहते हैं, जिसमें सत्ता किसानों और मजदूर के हाथ मे हो।

किसान सभा नेताओं ने बताया कि 5 अप्रैल को दिल्ली में मजदूर किसान संघर्ष रैली को सफल बनाने के लिए किसान-मजदूरों द्वारा सड़कों पर उतरकर व्यापक प्रचार अभियान चलाया जाएगा।

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