जशपुर में आईआईटी मुम्बई के डॉक्टरों द्वारा दिया गया स्तनपान एवं पोषण आहार पर 6 दिवसीय प्रशिक्षण, प्रभावी प्रयोग के संबंध में दी गई जानकारी

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जशपुर स्तनपान में बहुत आगे एवं जिला को कुपोषण से मुक्त करने जिला प्रशासन के पहल का मुंबई आईआईटी की टीम ने की सराहना

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के चयनित 150 प्रतिभागियों को 03 बैंच में आईआईटी मुम्बई के डॉ. रूपल दलाल, शिशु रोग विशेषज्ञ एवं डॉ. देव पाटिल, सुश्री दीपाली फारगेड़े के द्वारा प्रतिभागियों को स्तनपान एवं पोषण आहार पर  6 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है। 6दिनों तक चले प्रशिक्षण में स्वास्थ्य अधिकारी, स्टाफ नर्स, ए.एन.एम, हेल्थ सुपरवाइजर, ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता  सम्मिलित हुए। इस प्रशिक्षण उद्देश्य कुपोषण को  दूर करना है और सही स्तनपान तकनीकों का महत्व, परामर्श और प्रशिक्षण के माध्यम से देखभाल करने वाले के व्यवहार में परिवर्तन लाना है।

आईआईटी मुंबई विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मीडिया से चर्चा कर स्तनपान एवं पोषण आहार के संबंध में प्रभावी प्रयोग के संबंध में मीडिया को जानकारी दी। विशेषज्ञों  की टीम ने  पोषणआहार व कुपोषण प्रबंधन पर सटीक जानकारी दी।बच्चों को सिर्फ दाल, रोटी, चावल या खिचड़ी खिलाने से उनमें विकास नहीं होगा। सर्वांगीण और तेजी से विकास के लिए उनके आहार में विविधता लाना बहुत जरूरी है। इसके लिए सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, सोडियम, पोटैशियम, सल्फर, मैग्नीशियम, जिंक, कैल्शियम आदि से युक्त आहार देना बहुत जरूरी है। छह माह बच्चों को स्तनपान के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त आहार ही देना है। वहीं दो साल से ऊपर के बच्चों को किसी भी प्रकार का जंक फूड नहीं खिलाना है। उन्होंने बताया कि  प्रशिक्षण पश्चात वह अपने अपने क्षेत्र में स्तनपान एव पोषण  आहार के बारे में सटीक जानकारी दें पांएगी।

जिला प्रशासन जशपुर के द्वारा जिले में स्वास्थ्य एवं पोषण को बढ़ावा देने के लिए सार्थक प्रयास किया जा रहा है।  उन्होंने कलेक्टर डॉ रवि मित्तल एव जिला प्रशासन  को स्तनपान के कार्य बेहतर करने तथा जिला को  कुपोषण से मुक्त करने के   पहल का मुंबई की  आईआईटी विशेषज्ञ डॉक्टरों की  टीम ने सराहना की।

उन्होंने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। इसके लिए स्वास्थ्य और शिक्षा पर बेहतर कार्य करने के लिए कार्यशाला आयोजित किया जा रहा है। जिले में बाल संदर्भ शिविर लगाकर और चिरायु टीम के द्वारा भी गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का चिन्हांकन किया जा रहा है।  कुपोषण को दूर करने के लिए अभियान की तरह कार्य किया जा रहा है जिले के सरपंच, सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिनो का भी सहयोग लेकर कार्य किया जा रहा । जो की अच्छा प्रयास है। सबके सहयोग और प्रयास से कुपोषण को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जशपुर  स्तनपान में बहुत आगे हैं। स्तनपान को प्रभावी बनाने के लिए लोगों को जागरूक कर सिखाना होगा। प्रभावी स्तनपान जानने का तरीका यही है कि बच्चों के वजन में बहुत तेजी में वृद्धि आएगी। आईआईटी मुंबई की डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम ऐसी जगह पर काम कर रहा है जहां ट्राइबल ज्यादा है। माताओं और बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के लिए मिलकर काम करें। जन्म के समय बच्चे का वजन 3 किलो 15 ग्राम होना जरूरी है। जन्म के तुरन्त बाद एक घण्टे के अंदर मॉ को अपने बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।  जिससे की बच्चे का वजन पहले 5 हफ्ते में 40 से 50 ग्राम बढ़ने लगता है।

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