रागी की फसल से समृद्ध हो रहे किसान : छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन, बढ़ती मांग के चलते किसानों का बढ़ा रागी की ओर रुझान
June 10, 2023समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, बिलासपुर
कृषि विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (रफ्तार) से जिले के किसान अब रागी की फसल लेने में रूचि ले रहे है। ग्रीष्म ऋतु में किसानों के लिए अच्छा और लाभदायक फसल है क्योंकि इसमें आने वाली लागत राशि बहुत ही कम है। विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के माध्यम से किसानों को रागी फसल के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मोटे अनाज में पौष्टिकता इतनी प्रबल है कि खेती के कार्य करने वाले मजदूर एवं किसान इन मोटे अनाजों को भोजन के रूप में लेकर समस्त पौष्टिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते हैं। मोटे अनाज ग्लूटिन से रहित आवश्यक एमिनो अम्लयुक्त होने के कारण सुपाच्य होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार की कोई एलर्जी नहीं होती है। यह अन्य धान्य की तुलना में कम ग्लूकोज उत्पादित करते हैं। कम ग्लासिमेक्स इनडेक्सयुक्त होते हैं। जो मधुमेह के जोखिम को कम करता है। आज के दौर में डायबिटीज की बीमारी एक महामारी के रूप में व्यापक रूप से बढ़ रही है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रदेश में मिलेट मिशन चलाया गया है और लघुधान्य फसलों को बढ़वा दिया जा रहा है। शासन द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत लघुधान्य फसलों को प्रोत्साहित करते हुए खरीदी की जा रही है। इस योजना के तहत कोदो, कुटकी, रागी के किसानों को लाभ दिया जा रहा है।
विकासखण्ड तखतपुर के विजयपुर गांव के निवासी श्री सेवकराम कश्यप इस योजना का लाभ लेकर अच्छी आमदनी कर रहे है। श्री कश्यप ने बताया कि वे पहले ग्रीष्मकाल में मुख्य रूप से धान की खेती करते थे। धान की खेती में अत्यधिक पानी की आवश्यकता है और गर्मी के दिनों में भूमि का जलस्तर भी नीचे चला है। ऐसी स्थिति में धान की उत्पादन क्षमता पर बहुत ही असर पड़ता है। ग्रीष्मकालीन धान में लागत राशि ज्यादा आती है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री सी.पी. महिलाने से रागी की खेती करने की सलाह मिली। 0.400 हेक्टेयर कृषि भूमि में रागी फसल लगाकर इसकी शुरूआत उन्होंने की। इस फसल में बहुत ही कम मात्रा में पानी की खपत होती है और उर्वरकों की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। श्री कश्यप ने बताया कि 0.400 हेक्टेयर रकबे में लगे फसल से उन्हें 8 क्विंटल उत्पादन एवं लगभग 46 हजार रूपये की आय होने का अनुमान है। वे कहते हैं कि इस योजना के माध्यम से उन्हें धान की फसल का एक अच्छा विकल्प मिला है। आसपास के किसान भी रागी फसल के लाभ से प्रभावित होकर इसमें रूचि दिखा रहे है।