42 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली भाजपा किस मुंह विपक्षी दलों के गठबंधन पर सवाल उठा रही है?, 29 दलों के सहयोग से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने बाद में उन्हीं दलों को खंडित किया भाजपा ने – सुशील आनंद शुक्ला

42 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली भाजपा किस मुंह विपक्षी दलों के गठबंधन पर सवाल उठा रही है?, 29 दलों के सहयोग से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने बाद में उन्हीं दलों को खंडित किया भाजपा ने – सुशील आनंद शुक्ला

June 23, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 42 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली भाजपा किस मुंह से विपक्षी दलों के गठबंधन पर सवाल उठा रही है। 2014 के चुनाव में 29 दलों के बैसाखी के सहारे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और भाजपा ने अपने घटक दलों को ही खंडित करने काम किया जिसके चलते 17 दलों ने भाजपा से किनारा कर लिया 2019 में 21 दलों के साथ मिलकर भाजपा पुनः चुनाव लड़ी और उन्हीं दलों को धोखा देने का काम भाजपा की सरकार ने किया है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 1998 से लेकर 2022 तक 29 पार्टियों ने भाजपा के गठबंधन से खुद को बाहर कर लिया क्योंकि जिस एजेंडा के साथ पार्टियों ने समझौता किया था उसके विपरीत काम भाजपा की सरकार ने किया है। देश में बढ़ती महंगाई बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था से नाराज हुये, देश की संपत्ति की बिक्री किया जा रहा किसान के खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है। नौजवानों को रोजगार के नाम से धोखा दिया जा रहा है जिसके कारण भाजपा के गठबंधन के सहयोगियों ने भाजपा को छोड़कर जनता की आवाज बनना पसंद किया।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस के समान विचारधारा के लोग आज देश को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं इससे भाजपा डरी हुई है। 9 साल में मोदी सरकार देश के सामने अपनी उपलब्धि नहीं रख पाई अब देश की आवाज कांग्रेस के साथ अन्य दल बन रहे तब भाजपा गठबंधन पर सवाल उठा रही है। वह भाजपा जो खुद बैसाखी के सहारे जन्म जन्मांतर से चलते आ रही है। भाजपा की बौखलाहट से स्पष्ट हो गया है कि 202 23 में राज्यों से और 2024 में केंद्र से भाजपा की विदाई तय है। देश की जनता अब सच्चे दिन देने वाली कांग्रेस पर भरोसा कर रही है और भाजपा खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे की तरह बयान बाजी कर अपनी पीड़ा को बता रही है।