गुरु पूर्णिमा के अवसर पर करनी सेना छत्तीसगढ़ ने आयोजित की खारुन गंगा महाआरती, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर करनी सेना छत्तीसगढ़ ने आयोजित की खारुन गंगा महाआरती, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

July 3, 2023 Off By Samdarshi News

बनारस से पधारे गंगा आरती के प्रसिद्ध पुजारी राघव महाराज जी की रही विशेष उपस्थिति

समदर्शी न्यूज ब्यूरो, रायपुर

रायपुर : करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर एवं माँ खारुन गंगा महाआरती महादेव घाट जनसेवा समिति के तत्वाधान में बनारस की तर्ज पर प्रत्येक माह की पूर्णिमा की संध्या को आयोजित की जाने वाली “खारुन गंगा महाआरती एवं हटकेश्वर महादेव पूजन” इस महीने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हटकेश्वर महादेव को आदिगुरु के रूप में स्वीकार करते हुए, संध्या 5:00बजे से महादेव घाट रायपुर में संपन्न हुई। आयोजन में रायपुर के भजन सम्राट लल्लू महाराज ने अपनी स्वर लहरियों से आगन्तुक श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम में अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर के साथ करणी सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष सन्तोष सिंह, प्रदेश संगठन मंत्री मनोरंजन सिंह, रायपुर युवा जिला अध्यक्ष निखिल तिवारी, क़ायम सिंह जी, सूर्या वर्मा जी, राहुल गुप्ता जी एवं करणी सेना छत्तीसगढ़ के विभिन्न पदाधिकारी एवं सदस्यों की उपस्थिति रही।

करणी सेना के प्रदेशाचार्य वासुदेव महाराज एवं अनेकों प्रशिक्षित ब्राह्मणों द्वारा सम्पूर्ण विधि विधान से मंत्रोच्चार के साथ पूजन कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इस अवसर पर बनारस से पधारे गंगा आरती के प्रसिद्ध पुजारी राघव महाराज जी की विशेष उपस्थिति रही। आयोजन में समिति द्वारा श्रद्धालुओं को हज़ारों की संख्या में दीप वितरित कर आरती को और भी भव्यता प्रदान की गई।

आसाढ़ी पूर्णिमा को आयोजित यह महाआरती निरन्तर क्रम में 8वीं बार संपन्न हुई है। ज्ञात हो कि दिसंबर 2022 से प्रत्येक माह की पूर्णिमा को यह महाआरती वीरेन्द्र सिंह तोमर जी के नेतृत्व में आयोजित की जा रही है। आरती के पश्चात् खीर प्रसादी के वितरण एवं भजनों के साथ कार्यक्रम की पूर्णाहुति हुई।

श्री तोमर के अनुसार यह महाआरती जनकल्याणकारी, भक्तों का भाग्योदय करने वाली एवं विशेष पुण्य प्रदायिनी है। खारुन गंगा आरती अपने संकल्प और अपनी भव्यता के साथ न केवल छत्तीसगढ़ अपितु देश भर के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित हो रही है, जिससे अन्य लोगों को भी अपने आस-पास की नदियों एवं प्रकृति में ईश्वरीय भाव के साथ संरक्षण की भावना जागृत हो रही है।