वर्तमान चुनौतीपूर्ण समय में तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने से होगा सबका फायदा : तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाइए, आसान पहुंच से दूर कीजिए और राजस्व बढ़ाइए – चिकित्सकों, अर्थशास्त्रियों, जनस्वास्थ्य समूहों ने जीएसटी कौंसिल से कहा

वर्तमान चुनौतीपूर्ण समय में तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने से होगा सबका फायदा : तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाइए, आसान पहुंच से दूर कीजिए और राजस्व बढ़ाइए – चिकित्सकों, अर्थशास्त्रियों, जनस्वास्थ्य समूहों ने जीएसटी कौंसिल से कहा

July 10, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

चिकित्सकों और अर्थशास्त्रियों के साथ जनस्वास्थ्य समूह जीएसटी कौंसिल से कह रहे हैं कि सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन (क्षतिपूर्ति) सेस बढ़ा दिया जाए ताकि सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व पैदा हो सके। इन सबों ने कौंसिल से अपील की है कि अतिरिक्त राजस्व के लिए सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन (क्षतिपूर्ति) सेस लगाने के असाधारण उपाय पर विचार किया जाए। तंबाकू से प्राप्त होने वाला यह टैक्स राजस्व आवश्यकता में अच्छा-खासा योगदान कर सकेगा। इस समूह के मुताबिक आज के चुनौतीपूर्ण समय में तंबाकू पर टैक्स बढ़ाना सबके फायदे की नीति रहेगी।

जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से तंबाकू पर टैक्स में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। ऐसे में सभी तंबाकू उत्पाद पिछले तीन वर्षों के दौरान ज्यादा लोगों की पहुंच में आ गए हैं। कुल टैक्स बोझ (खुदरा मूल्य समेत अंतिम टैक्स के प्रतिशत के रूप में टैक्स) सिगरेट पर सिर्फ करीब 52.7%, बीड़ी के लिए  22% और अन्य तंबाकू उत्पादों के लिए 63.8% है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित टैक्स बोझ के मुकाबले बहुत कम है। सिफारिश तंबाकू उत्पादों के खुदरा मूल्य का कम से कम 75% टैक्स रखने की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टैक्स में वृद्धि के जरिए तंबाकू की कीमत बढ़ाना तंबाकू का उपयोग कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। तंबाकू की कीमत इतनी ज्यादा हो कि उस तक पहुंच कम हो जाए तो यह स्थिति लोगों को तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित करती है, जो उपयोग नहीं करते उन्हें शुरू करने से रोकती है और जारी रखने वाले उपयोगकर्ताओं में इसकी मात्रा या खपत कम होती है।

इस समय में जीएसटी राजस्व में कंपनी के लिए राज्यों को भरपाई करने के लिए राजस्व जुटाने की तात्कालिक आवश्यकता के रूप में सिगरेट और बिना धुंए वाल तंबाकू उत्पाद (खैनी, पान मसाला आदि) पर मौजूदा कंपनसेशन सेस बढ़ाना तथा बीड़ी पर कंपनसेशन टैक्स लगाना बहुत ही प्रभावी नीति हो सकती है। राजस्व जुटाने और तंबाकू का उपयोग कम करने का यह एक अच्छा तरीका हो सकता है।

वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की मुख्य कार्यकारी भावना मुखोपाध्याय ने कहा, सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन सेस बढ़ाना सबके लिए फायदेमंद होगा क्योंकि इससे सरकार के लिए अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही यह लाखों लंबाकू उपयोगकर्ताओं को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा और युवाओं को तंबाकू की लत लगने से पहले ही रोक सकेगा।”  

तंबाकू का उपयोग अपने आप में धीमे चलने वाली महामारी है और हर साल 13 लाख भारतीयों की मौत इससे होती है। इसलिए, तंबाकू उत्पादों को युवाओं और समाज के गरीब कमजोर वर्ग से दूर रखना अब यह पहले के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण है। भारत में तंबाकू उपयोगकर्ताओं की संख्या (268 मिलियन) दुनिया में दूसरे नंबर पर है और इनमें से 13 लाख हर साल मर जाते हैं। भारत में होने वाले सभी कैंसर में से करीब 27 प्रतिशत तंबाकू के कारण होते हैं। तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों और मौत की वार्षिक आर्थिक लागत 2017-18 में 1,77,341 करोड़ रुपए होने का अनुमान रहा है जो भारत के जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर है।

टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल में गर्दन कैंसर के प्रमुख सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी के अनुसार – “भारत में लगभग 27% कैंसर तम्बाकू के कारण होते हैं। सभी तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाना देश के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं के भी हित में है। इससे उनकी सामर्थ्य और खपत कम हो जाएगी।