अखिल भारतीय रौतिया समाज का जशपुर में बड़ा आंदोलन, 18 जुलाई को एनएच 43 पर लोरो में करेंगें अनिश्चितकालीन चक्काजाम : समाज के प्रतिनिधि व प्रशासन के बीच अहम बैठक कुनकुरी थाने में हुई आयोजित

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स्थानीय प्रशासन द्वारा समाज को चक्काजाम न करने की दी गई समझाईश , समाज भी मांग को लेकर आंदोलन करने पर अड़ा

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, कुनकुरी/जशपुर

कुनकुरी : अखिल भारतीय रौतिया समाज विकास परिषद् प्रांतीय शाखा छत्तीसगढ़ के आह्वान पर दिनांक 18 जुलाई 2023 को स्थान लोरो (जशपुर नगर) राष्ट्रीय राज्य मार्ग 43 पर समय प्रातः 10:00 बजे से अनिश्चितकालीन चक्काजाम करनें का निर्णय रौतिया समाज द्वारा लिया गया है। रौतिया समाज ने 11 जून 2023 को एक महासम्मेलन आयोजित किया जिसमें 15-20 हजार लोगों की उपस्थिति में एक सुर में कहा है कि 30 जून 2023 तक राज्य सरकार रौतिया जनजाति का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को अग्रेषित नहीं करने की स्थिति में लाखों की संख्या में सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन चक्का जाम जैसे उग्र आंदोलन को बाध्य होगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। समाज को अवगत कराते हुए कहा गया है कि  आज वो समय आ ही गया है हमने हर ऐसे रास्ते अपनाये जिससे हमारा काम हो सके, लेकिन दुर्भाग्य है कि किसी ने ना देखा, ना समझा, ना ही समझने का प्रयास किया और तब समाज कठोर निर्णय लेते हुए शक्ति प्रदर्शन का अन्तिम रास्ता चुना है।

रौतिया समाज द्वारा किये जा रहे इस आंदोलन को लेकर कुनकुरी थाने में बुधवार को एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में रौतिया समाज के प्रांताध्यक्ष के साथ अनेक पदाधिकारी व सदस्य कुनकुरी थाना पहूंचे। एसडीओपी कुनकुरी संदीप मित्तल, तहसीलदार लक्ष्मण सिंह राठिया, थाना प्रभारी एल आर चौहान के द्वारा प्रशासन की ओर से एनएच पर चक्काजाम के प्रावधानों से अवगत कराया गया एवं शासन के निर्देशो से अवगत कराया। उन्होने बताया कि जशपुर कलेक्टर ने एनएच पर चक्काजाम नहीं करने का साफ निर्देश दिया हैं। तहसीलदार ने राष्ट्रीय धरोहर पर चक्काजाम करना कानूनी रूप से गलत बताया है। रैतिया समाज आंदोलन को लेकर पीछे हटने को तैयार नही दिखा। समाज के महिला मोर्चा का कहना है कि हम या तो रेल या फिर एनएच पर चक्काजाम करेंगे। प्रशासन जेल की तैयारी करे। सरकार को समझना होगा कि हमारा कागज दबाकर रखी है। हमारी नाराजगी समझे।

प्रतिनिधि मण्डल में प्रान्त अध्यक्ष ओमप्रकाश साय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दामोदर सिंह,प्रांत सचिव पालू प्रधान बछरांव,सांझू राम प्रांतीय सह सचिव,प्रांत उपाध्यक्ष मनबहाल राम निराला,कंडोरा मंडल जोबिन्द राम,गिरहलडीह मंडल एतवा राम,नगर मंडल कुनकुरी जुगेश्वर सिंह, चरईडाँड चंदन राम मंडल सचिव, जगदेव राम, युवा मोर्चा से रामप्रसाद राम, मुनेश्वर राम, दिनेश राम, रवि राम, मिनू सिंह समेत 50 लोग उपस्थित रहे।

समाज के अध्यक्ष ओमप्रकाश साय नें आंदोलन एवं अपनी मांगों के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ निर्माण की संकल्पना यहां निवासरत अनु. जनजातियों के सर्वांगीण विकास के लिए किया गया था, लेकिन छ.ग. बनने के 23 वर्ष बाद भी आदिवासीयों की समस्या जस की तस धरी पड़ी है। छ.ग. में 42 जनजाति समुदाय निवासरत है, जिसका हर समुदाय का अपना एक रिति-रिवाज, संस्कृति, बोली भाषा रहन-सहन खान-पान पहनावा सभी भिन्न-भिन्न है फिर भी ये जनजाति समुदाय एक साथ भाई-चारे के साथ निवासरत है आज भी ये 42 समुदाय के साथ छोटी-छोटी आवश्यकताओं रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य, रोजगार जैसी समस्यायें खड़ी है ऐसी हि समस्याओं मे से एक बहुत गंभीर समस्या जनजाति समुदाय के लिए अहितकारी साबित होता जा रहा है । जो कि छ.ग. राज्य बनने के बाद जाति के लिखावट, उच्चारण विभेद, मात्रात्मक त्रुटि तथा कुछ जातियां जनजाति होने के बाद भी उसको सूची में शामिल नहीं किया गया जिसके कारण वर्षो से आदिवासी होते हुए भी, जनजाति लोगों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है इनमें से प्रमुख जनजाति रौतिया है।

सन् 1872 से ले करके अब तक के समस्त रिकार्ड, शासकीय अभिलेख आदि मे रौतिया जाति को जनजाति ट्राइबस (primitive tribes) कहा गया। आजादी के पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा राजपत्र में प्रकाशित THE KING’S MOST EXCELLENT MAJESTY IN COUNCIL 1936 (Govt of India) एवं Central Provinces & Berar में 36 आदिवासी समुदाय को अनुसुचित जनजाति की सूचि में सूचिबद्ध किया गया था, जिसमें रौतिया जाति भी अधिसूचित था। 04 अगस्त 1948 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने डीबेट में Constituent Assembly Debates On 4 November] 1948 Part IX CONSTITUENT ASSEMBLY OF INDIA & VOLUME VII प्रस्ताव 36 जातियों के लिए, दिया गया था जिसमें रौतिया जाति भी एक था, लेकिन 1950 की सूचि में कुल 34 आदिवासी समुदाय को अनु. जनजाति के रुप में अधिसूचित कर दिया गया जिसमें रौतिया जनजाति को सूचि से पृथक कर दिया गया।

उक्त प्रशासकीय भूल के कारण रौतिया जनजाति पिछले 50-60 सालों से अनभिज्ञ रहा जैसे हि ज्ञात हुआ कि रौतिया जनजाति आजादी के पूर्व अनु. जनजाति के रूप में अधिसूचित था, समाज में बेहद आक्रोश के साथ उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है जिसके लिए समाज एकजूट होकर प्रयास शुरु किया । स्थानीय प्रशासन सहित राज्य एवं केन्द्र स्तर पर पिछले 20 वर्षो से रायपुर और दिल्ली के चक्कर लगा-लगा कर थक चुके हैं। थक-हारकर समाज में कठोर निर्णय लेते हुए अब सड़क की लड़ाई का फैसला कर लिया है। इस हेतु विभिन्न चरणों में बैठकों एवं चर्चा परिचर्चा का दौर युद्धस्तर पर किया जा रहा है।

पढ़ें क्या लिखा है ज्ञापन में

उपरोक्त विषय एवं संदर्भ में निवेदन है कि छ.ग. मे निवासरत रौतिया जनजाति 1930 तथा 1949 के पूर्व अनुसुचित जनजाति की सूची में अधिसुचित था लेकिन प्रशासनीक त्रुटियों के कारण रौतिया जनजाति 1950 की सूची में छुट गया था जिसकी जानकारी हमें बहुत देर से हुई वर्ष 2002 रौतिया जनजाति को अनु.ज.जा. के रूप में अधिसुचित करने हेतु निवेदन प्रस्तुत किया गया लगातार शासन, प्रशासन, मुख्यमंत्री, मंत्री आदि को लगातार निवेदन किया जाता रहा लेकिन हमारी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया दिनांक 04/08/2020 को भारत सरकार से पत्र भेजा गया था जिसे शासन प्रशासन द्वारा दबा दिया गया इसकी जानकारी दिल्ली से प्राप्त हुआ जहां से समाज को जानकारी प्राप्त हुई उक्त पत्र को दुर्भाग्यपूर्वक दबाये रखने के कारण समाज में भारी आकोश व्याप्त है इस पत्र का जवाब समाज द्वारा 18-04-2023 को प्रस्तुत कर दिया गया है लेकिन आज दिनांक तक इस विषय पर किसी भी प्रकार का सकारात्मक पहल नहीं हुआ है इससे भी समाज में भारी रोष व्याप्त है। पुरे छ.ग. में लगभग 5-6 जिलो में निवासरत है जिनकी जनसंख्या लगभग 6-7 लाख है।

यह कि 1930 व 1949 से पूर्व रौतिया जनजाति अधिसुचित था लेकिन प्रशासन की त्रुटियों का खामियाजा पिछले 75 सालों से समाज को भुगतना पड़ रहा है समाज की 10 पीढ़ी का भविष्य पूर्णतः खराब हो चुका है ऐसे में शासन प्रशासन द्वारा रौतिया समाज की समस्याओं को गंभीरता से न लेना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक है।

इस विषय में शासन प्रशासन को आवेदन निवेदन एवं कई बार पत्राचार किया गया लेकिन जनजातियो के विषयो में शासन प्रशासन की असंवेदनशीलता और टाल मटोल की प्रवृत्ति से समाज में बेहद अक्रोश एवं अविश्वास का भाव व्याप्त हो गया है, समाज कुछ भी कर गुजरने की स्थिति मे आ गयी है। समाज की यह समस्या अत्यंत ही पीड़ा दायक है इसका अतिशीघ्र निराकरण किया जाना आवश्यक है।

पूर्व में शासन-प्रशासन को 30 जून तक प्रतिवेदन केन्द्र सरकार को भेजने का आग्रह किया गया था, इस हेतु अधिकारियों से भेट कर प्रतिवेदन दिल्ली भेजने का निवेदन किया गया, लेकिन शासन-प्रशासन कि टाल-मटोल रवैया से क्षुब्ध होकर समाज उग्र आंदोलन को मजबूर हो गया है, तथा स्थान- लोरो (जशपुर नगर), राष्ट्रीय राज्यमार्ग – 43, दिनांक- 18 जुलाई2023 समय – 10 बजे से अनिश्चितकालीन क्रांतिकारी महाआंदोलन चक्काजाम करने की घोषणा करता है, तथा जब तक मांग पुरी नही हो जाती तब तक शांतिपुर्ण ढंग से चक्काजाम जारी रहेगा। जिनकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की रहेगी। महाआंदोलन अनिश्चितकालीन चक्काजाम में लाखो कि संख्या में बच्चे, बुजुर्ग एवं महिलाये उपस्थित रहेंगी अतः शांति, स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पेयजल की व्यवस्था हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें।

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