जशपुर जिले में चाय की खेती हेतु अभिनव पहल : कृषकों की 95.500 एकड़ निजी भूमि में 3,58,500 चाय के पौधे रोपण किये जा रहे हैं, 72 कृषक परिवार होंगें लाभान्वित उन्हें मिला स्वरोजगार, पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है चाय बागान.
July 16, 2023किसानों के उत्साह को देखते हुये जिला प्रशासन ने 100 एकड़ भूमि में चाय पौध रोपण की भी स्वीकृति दी
1015 को रोजगार मिलने से उनके अन्यत्र पलायन पर भी रोक लगाने में सहायता मिली
समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, जशपुर
जिला प्रशासन के मार्गदर्शन एवं आर्थिक सहयोग से बगीचा विकासखंड के ग्राम छिछली (अ) एवं मनोरा विकासखंड के ग्राम केराकोना में चाय की खेती क्षेत्र विस्तार के तहत 95.50 एकड़ भूमि में चाय पौधा रोपण विधिवत प्रारम्भ किया गया। जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में चाय विशेषज्ञों के साथ फील्ड विजिट, कृषको से चर्चा एवं कृषको को चाय उत्पादन की तकनीकी प्रशिक्षण चाय विशेषज्ञ से दिलाये जाने के उपरान्त चाय की खेती हेतु कृषको की सहमति से उनकी निजी भूमि में मनरेगा, विभागीय योजना मद एवं डीएमएफ के अभिसरण से चाय पौध रोपण कार्य किया गया है।
चाय की 4 वर्षीय परियोजना से कृषको की 95.500 एकड़ निजी भूमि में 358500 चाय पौध रोपण किये जा रहे हैं जिससे 72 कृषक परिवार लाभान्वित होकर उन्हें स्वरोजगार मिला है, तथा अन्य मजदूर 1015 परिवारों को भी रोजगार मिलने से उनके अन्यत्र पलायन पर भी रोकने में सहायता होगी। कृषक व मजदूर वर्ग की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ जीवन स्तर में सुधार होगा तथा क्षेत्र कृषकों में चाय के खेती के प्रति रुची बढ़ी है किसानो के उत्साह को देखते हुये जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में 100 एकड़ भूमि में चाय पौध रोपण की कार्ययोजना भी स्वीकृति हेतु प्रस्तावित की गई है।
जिससे क्षेत्र में स्वरोजगार एवं रोजगार उपलब्ध होंगे तथा उनकी आय में निरन्तर वृद्धि होगी। इसके आगामी वर्ष में 500 एकड़ भूमि में चाय पौध रोपण एवं चाय प्रोसेसिंग युनिट स्थापना, चाय पत्ती उत्पादन, वेल्यू एडिशन व पैकिंग तथा मार्केटिंग व चाय पौध उत्पादन रोपण स्थापना की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। जिले को वन डिस्ट्रीक्ट वन फोकस के अंतर्गत नई पहचान स्थापित होगी तथा भारत व विश्व के पटल पर छत्तीसगढ़ राज्य को भी चायपत्ती उत्पादन में सहभागिता प्रदर्शित होगी।
पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है चाय बागान
जशपुर जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी और जंगल के बीच स्थित सारूडीह चाय बागान एक पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग चाय बागान देखने पहुंचते है। यह बागान वन विभाग के मार्गदर्शन में महिला समूह द्वारा संचालित किया जा रहा है। सारूडीह के सात ही सोगड़ा आश्रम में भी चाय की खेती के कारण जशपुर जिले को एक नई पहचान और पर्यटकों को घूमने का एक नया स्थान मिला है।