सरजू टेकाम की भाषा निंदनीय लेकिन ऐसी भाषा की जननी तो भाजपा ही है, रमन सिंह, गिरिराज सिंह, अनुराग सिंह और सरजू टेकाम की भाषा में कोई अंतर नहीं – धनंजय सिंह ठाकुर

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

आदिवासी नेता सरजू टेकाम के द्वारा दिए गए वक्तव्य की निंदा करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि आदिवासी नेता सरजू टेकाम के द्वारा दी गई वक्तव्य आपत्तिजनक है बेहद निंदनीय है छत्तीसगढ़ में इस प्रकार की भाषा स्वीकार्य नही है। लोकतंत्र में सभी को मर्यादा के भीतर रहकर अपनी बात को रखना चाहिए। लेकिन भाजपा आज जिस भाषा को लेकर आपत्ति दर्ज करा रही है उसकी जननी भी तो भाजपा ही है। भाजपा के राष्ट्रीय नेता से लेकर प्रदेश स्तर के और वार्ड स्तर के नेता भी हमेशा से उकसाने वाला हिंसा फैलाने वाला और नफरत फैलाने वाले ही भाषा का उपयोग करते हैं सोशल मीडिया में हजारों ऐसे बयान भाषण भाजपा नेताओं के मिल जाएंगे जो लोकतंत्र के शुचिता और पवित्रता के विपरीत है लोकतंत्र को शर्मशार करने वाला है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा के नेता कई बार सार्वजनिक मंचों से आपत्तिजनक बयान देते हैं इस दौरान भाजपा के शीर्ष प्रमुख मौन रहकर उनके बयानों का समर्थन करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मंच से प्रदेश के अधिकारी कर्मचारियों को धमकाते हैं। अरुण साव का बयान भी गैर जिम्मेदाराना रहता है। छत्तीसगढ़ के संस्कृति के विपरीत रहता है। राजेश मूणत कई बार पुलिस के अधिकारी कर्मचारियों के लिए अभद्र भाषा उपयोग करते हैं। बृजमोहन अग्रवाल कांग्रेस नेताओं को अशब्द कहते हैं। सांसद संतोष पांडे ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह मंच से गोली मारने की बात करते हैं। गिरिराज सिंह, प्रज्ञा ठाकुर सहित कई भाजपा के नेता हैं। जिनकी पहचान उनकी बदजुबानी है जो सभ्य समाज में अस्वीकार है। सोशल मीडिया में जिस प्रकार से विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग भाजपा और उनसे जुड़े लोग करते हैं। यह बेहद आपत्तिजनक होता है अरुण साव को चाहिए कि वह भाजपा नेताओं को भी हिदायत दें और शालीनता सिखाये।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र की जननी है लोकतंत्र की मर्यादा के भीतर रह कर अपनी बात रखने पर विश्वास करती है और हमेशा  इस प्रकार से अपमानित करने वाले, उन्माद फैलाने वाले बातों की निंदा करती हैं। भाजपा नेताओं को भी अपनी भाषा शैली पर अंकुश लगाना चाहिए और अपना चरित्र सुधारना चाहिए।

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