डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में एडवांस्ड कार्डियक इंस्टीट्यूट और बेल्जियम यूनिवर्सिटी द्वारा ऑप्टीकल कोहेरन्स टोमोग्राफी (ओसीटी) पर संयुक्त कार्यशाला का आयोजन

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मई 2022 में एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट ने छत्तीसगढ़ राज्य की पहली ओसीटी (ऑप्टीकल कोहेरन्स टोमोग्राफी) पद्धति से कार्डियक प्रोसीजर कर एक और एडवांस टेक्नोलॉजी की शुरुआत की थी

बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में स्थित बेल्जियम लिबरल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एल्विन केधी पहुँचे एडवांस्ड कार्डियक इंस्टिट्यूट

डॉ. एल्विन केधी, बेल्जियम लिबरल यूनिवर्सिटी में इनोवेशन कार्डियोलॉजी क्लिनिक के निदेशक भी हैं

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग तथा ब्रुसेल्स में स्थित बेल्जियम लिबरल यूनिवर्सिटी के द्वारा संयुक्त रूप से ओसीटी (ऑप्टीकल कोहेरन्स टोमोग्राफी) पद्धति पर साझा कार्यशाला का आयोजन किया गया।  कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि यह कार्यशाला प्रदेश के कार्डिओलॉजिस्ट्स को इस नयी तकनीक से अवगत कराने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।  प्रोफेसर डॉ. एल्विन केधी ने अपनी अल्प दिनों की भारत यात्रा में एडवांस्ड कार्डियक इंस्टीट्यूट रायपुर में आने पर और ओसीटी (ऑप्टीकल कोहेरन्स टोमोग्राफी) की कार्यशाला में भाग लेने पर हर्ष व्यक्त किया।

प्रदेश के कार्डिओलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. जावेद अली खान ने मेडिकल कॉलेज रायपुर को निरंतर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अग्रिम रहने पर प्रसन्नता जाहिर की और मेडिकल कॉलेज से छात्र जीवन से ही जुड़ाव होने की बात कही।  वर्तमान अध्यक्ष डॉ. दिलीप रत्नानी और सेक्रेटरी डॉ. एम. पी. सामल ने कार्डिओलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ छत्तीसगढ़ के सदस्यों को इस आयोजन में भागीदारी हेतु साधन उपलब्ध कराये।

डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि ओसीटी पद्धति में मरीज के हृदय कि धमनियों के अन्दर की संरचना को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिससे नसों के थक्के, बीमारी, केल्सीफिकेशन इत्यादि के साथ विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है तथा उपचार हेतु निर्णय लेने में मदद मिलती है।

कार्यशाला में तीन मरीजों की जटिल हृदय की नसों के ब्लॉक का कार्डियोलॉजी विभाग में, ओसीटी (ऑप्टीकल कोहेरन्स टोमोग्राफी) पद्धति की मदद से सफल उपचार किया गया। कार्यशाला में  विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. प्रतीक गुप्ता, डॉ. वासु कन्नौजे, डॉ. भेदराज चौधरी, डॉ. स्मृति लकड़ा, कैथ टेक्नीशियन खेमसिंह, जितेन्द्र चेलकर, चन्द्रकांत बन्छोर, महेन्द्र साहू, अश्वन्तिन साहू नर्सिंग स्टाफ श्रीमती नीलिमा शर्मा, श्रीमती गौरी सिंह, रोशनी, आभा, हेमलता, आनंद, रिषभ आदि उपस्थित रहे।

‘ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी’ (OCT) इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड का एक प्रकार है जो अल्ट्रासाउंड की तुलना में 10 गुना अधिक स्पष्ट छवियां बनाता है। हार्ट की नस में  ब्लॉक का पता लगाने के लिए, कोरोनरी एंजियोग्राफी  मानक है।  एक ओसीटी की उपयोगिता यह है कि एंजियोग्राफी को यह थ्री डी छवि में फिर से बना सकता है और पूरी धमनी को ऐसे दिखा सकता है जैसे कि आप अपने दिल को जीवित देख रहे हैं । एक बार जब कोई व्यक्ति ओसीटी छवियों के माध्यम से एंजियोग्राफी करता है, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे आप अपनी कोरोनरी धमनी के अंदर यात्रा कर रहे हैं और प्रत्येक खंड को ‘थोड़ा-थोड़ा करके’ देख रहे हैं।

प्रारंभ में और आज भी ओसीटी का उपयोग नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है। हाल ही में कार्डियोलॉजी में इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। ओसीटी का प्राथमिक उद्देश्य एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया का अनुकूलन करना है – अर्थात आपके हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा किया गया स्टेंटिंग प्रभावी ढंग से किया गया है या नहीं। यह महत्वपूर्ण रूप से जमा वसा की सटीक सीमा की पहचान करता है, जिससे स्टेंट के साथ रोगग्रस्त लंबाई के कुल कवरेज में मदद मिलती है। यदि ओसीटी निर्देशित स्टेंटिंग की जाती है, तो रोगग्रस्त हिस्से के छूटने के लिए ‘किसी भी त्रुटि की कोई संभावना नहीं रहती है’। यदि आपके ब्लॉक में कैल्शियम का घनत्व अधिक है, तो स्टेंट डालने से पहले उन्हें डीबल्क करना होगा। ओसीटी में उपयोग की जाने वाली इंफ्रा रेड लाइट, कैल्शियम के बेहतर दृश्य में मदद करती है। ब्लॉक की सटीक लंबाई, ‘परिधि’ या धमनी के आकार का मूल्यांकन स्टेंटिंग से पहले किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ‘परफेक्ट’ आकार के स्टेंट का चयन किया जा सकता है। यह ठीक वैसा है जैसे कि आप अपने लिए एक ‘दर्जी’ से ट्राउजर बनवा रहे हैं, बिना किसी बड़े या छोटे आकार के चयन में त्रुटि की कोई संभावना छोड़े। कई बार कोरोनरी एंजियोग्राम पर एक ब्लॉक सौम्य लग सकता है, लेकिन वास्तव में बहुत खतरनाक हो सकता है। इसे हम ‘असुरक्षित प्लेक या कमजोर पट्टिका’ कहते हैं। इन ‘असुरक्षित प्लेक’ के फटने की अत्यधिक संभावना होती है और ये अचानक दिल के दौरे का कारण बनते हैं। यदि ओसीटी पर एक कमजोर पट्टिका की पहचान की जाती है, तो इसे आवश्यकतानुसार माना जाता है, जिससे व्यक्ति को भविष्य में होने वाले दिल के दौरे से बचाया जा सके। 

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