राष्ट्रीय परामर्श मनोविज्ञान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय परामर्श मनोविज्ञान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन

August 18, 2023 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

श्री गोबिंदराम शदाणी शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेन्द्रनगर रायपुर, शासकीय जे योगानंदम छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर एवं श्री कुलेश्वर महादेव शासकीय महाविद्यालय गोबरा नवापारा के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय परामर्श मनोविज्ञान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय वेबीनार “परामर्श की भूमिका: महाविद्यालय स्तरीय विद्यार्थियों के संदर्भ में” शीर्षक पर का आयोजित किया गया | यह वेबीनार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अमिताभ बैनर्जी, प्रभारी प्राचार्य डॉ. उषा अग्रवाल एवं प्रभारी प्राचार्य श्री एस आर वड्डे श्री कुलेश्वर महादेव शासकीय महाविद्यालय गोबरा नवापारा के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया| इस कार्यक्रम के  संयोजक डॉ. अंजना पुरोहित, सह संयोजक डॉ. अनामिका मोदी जैन, आयोजक सचिव डॉ. वैशाली गौतम हिरवे, डॉ. मनोज कुमार राव व सुश्री साक्षी मेश्राम थे|  कार्यक्रम में महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ कविता शर्मा का विशेष सहयोग रहा।

इस अवसर पर प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में  डॉ. गरिमा गुप्ता आर्य महिला महाविद्यालय वाराणसी ने अपने वक्तव्य में महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए परामर्श की भूमिका पर प्रकाश डाला । डॉ गुप्ता ने विद्यार्थियों को  बहुत सरल शब्दों में एक परामर्शदाता का विद्यार्थी जीवन में क्या महत्व होता है इसे बताया, उन्होंने कहा कि एक परामर्शदाता विद्यार्थी को अधिगम प्रविधि, धारणा शक्ति, चिंता शिथिलीकरण तकनीक के बारे में तो बताता ही है इसके साथ ही परामर्शदाता जीवन लक्ष्य तय करने में भी सहायता करता है,  वह एक विद्यार्थी को नकारात्मकता  से सकारात्मकता की ओर लेकर जाता है स्वंय पर विश्वास करना सीखाता है | स्व विश्लेषण करने में उसकी सहायता करता है और उसकी मानसिक स्वस्ति-बोध को बढ़ाने के लिए, समायोजन की तकनीक से भी परिचित कराता है।

व्याखान के दूसरे चरण में वेद प्रकाश रावत बीसीपीए के ट्रेजर एवं सह आचार्य वसंता कॉलेज फॉर वूमेन राजघाट वाराणसी ने अपने वक्तव्य में परामर्श दाता की सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक भूमिका पर प्रकाश डाला | उन्होंने स्पष्ट किया कि परामर्शदाता कभी भी अपने परामर्शी को समाधान नहीं देता अपितु उसमें अंतरदृष्टि या सूझ को विकसित करता है क्योंकि हर विद्यार्थी या परामर्शी अपनी समस्याओं का समाधान करने में स्वयं सक्षम है सिर्फ उनको उनकी आंतरिक क्षमता से परिचित कराने की आवश्यकता है | उन्होंने विद्यार्थियों के साथ-साथ समाज के अन्य वर्गों में भी परामर्श की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों का समाधान भी प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महाविद्यालय से डॉ संध्या वर्मा, डॉ शीला दुबे, डॉ प्रीति पांडे, डॉ रंजना तिवारी, डॉ मीना पाठक, डॉ सुषमा तिवारी, डॉ रवि शर्मा , डॉ लक्ष्मी देवनानी, सुश्री हर्षा कोसले सहित अनेक प्राधापको एवम्  विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया एवं इस कार्यक्रम से लाभान्वित हुए।