37500 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा एवं न्याय योजना की राशि देकर प्रायश्चित करे छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार – संदीप शर्मा

37500 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा एवं न्याय योजना की राशि देकर प्रायश्चित करे छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार – संदीप शर्मा

December 9, 2021 Off By Samdarshi News

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो,

रायपुर, भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश प्रभारी संदीप शर्मा  ने कहा है कि उत्तरप्रदेश में वोट के लिए स्तरहीन राजनीति करके किसानों के नाम पर घड़ियाली आँसू बहाते हुए छत्तीसगढ़ के ख़ज़ाने का पैसा अपनी व्यक्तिगत सम्पदा मानकर लुटाने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन होकर मुआवजा दे रही है। श्री  शर्मा ने कहा कि बेमौसम बारिश के चलते खराब हुई फसल के लिए प्रदेश सरकार प्रति एकड़ मात्र 5 हजार रुपए मुआवजा दे रही है जो प्रदेश के किसानों के प्रति घोर अन्याय है।

भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश प्रभारी संदीप शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ के आपदाग्रस्त किसानों को प्रति एकड़ धान के मूल्य 37500 रु की दर से नुकसानी के अनुपात में  मुआवजा दे। प्रदेश सरकार के हठीलेपन के चलते धान की ख़रीदी 01 नवम्बर से शुरू नहीं किए जाने के कारण ही किसानों की फसल बर्बाद हुई और अब प्रदेश सरकार को किसानों के नुक़सान की ज़िम्मेदारी लेकर उन्हें 37500 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा एवं न्याय योजना की राशि देकर प्रायश्चित करना चाहिए। श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश भाजपा फिर प्रदेश सरकार को आगाह करती है कि वह किसानों के साथ छलावा और धोखाधड़ी करने की प्रवृत्ति से बाज आकर किसानों का भीगा हुआ पूरा धान अपने मापदंडों को शिथिल करके प्राथमिकता के आधार पर ख़रीदे।

भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश प्रभारी संदीप शर्मा ने कहा कि एक ओर किसान प्राकृतिक आपदा से परेशान हैं, दूसरी ओर प्रदेश सरकार अपनी तुग़लक़शाही से बाज नहीं आ रही है। मंडी शुल्क में 150% बढ़ोतरी करके भूपेश सरकार ने किसानों पर भारी वज्रपात किया है। सन 2018 में भाजपा की तत्कालीन प्रदेश सरकार के समय जिस धान के समर्थन मूल्य पर प्रति क्विंटल 31 रु शुल्क लगता था वह अब 98 रु हो गया है जो 2018 की तुलना में तीन गुना से अधिक है। मंडी शुल्क में बढ़ोतरी का दुष्परिणाम बढ़ोतरी के दूसरे ही दिन दिखने लगा जब मंडियों में 1450 से 1480रु तक बोली लगने वाले धान की बोली राजिम मंडी सहित तमाम मंडियों में 1000रु से शुरू होकर 1250-1280 रु तक आकर रुक गई। इससे रुष्ट किसानों ने अनेक मंडियों में धान बेचने से ही मना कर दिया।